रानी मुख़र्जी के शुरुआती दौर में, उनके द्वारा निभाई गई बहुत सी भूमिकाएं किसी और अभिनेत्री को दिमाग में रख कर बनाई गई होती थी, और या तो उस अभीनेत्री के मना करने, या निकाल दिए जाने के बाद रानी को मिला करती थी। ज़ाहिर सी बात है, इन्हीं भूमिकाओं ने रानी मुख़र्जी की प्रतिभा को और ज़्यादा तराशा है, और जिस मुकाम पर वो आज हैं, उस मुकाम पर पहुँचाया है।
लेकिन स्टारडम पाने के बाद, कुछ फिल्में ऐसी भी थी, जो रानी ने छोड़ दी या स्वीकार नहीं की। जिनमें से कुछ विद्या बालन के पास आईं और उन्हें सुपरस्टार बना दिया। असल में यह एक चक्र है। इसी बात पर देखिये, के ऐसी कौन सी फिल्में है जो रानी ने स्वीकार नहीं करी, और सोचिये के उसमे रानी होती तो क्या और कितना अलग होता।
1- ग्रेसी सिंह (लगान)
ग्रेसी सिंह के बिना बॉलीवुड की कल्पना करो ! ठीक है, कल्पना करना मुश्किल नहीं है, लेकिन अगर रानी ने लगान में राधा की भूमिका निभाई होती, तो हम ग्रेसी सिंह को ये करते हुए नहीं देख पाते।
2- प्रियंका चोपड़ा (वक़्त)
ज़ाहिर तौर पर, वक़्त में प्रियंका का चरित्र इतना अमीर था के उसके कमरे में एक स्विमिंग पूल था। और इस बात के अलावा कोई भी नहीं जानता कि रानी ने इस भूमिका के लिए मना क्यों किया ।अरे भई, वो प्रतिष्ठित गाने ‘डू मी ए फेवर लेट्स प्ले होली’ का हिस्सा बन सकती थीं।
3- अमीषा पटेल (मंगल पण्डे)
इसके बजाय उन्होंने वैश्या की भूमिका का चयन किया, जो निश्चित रूप से ज़्यादा भावपूर्ण था। इस बात के लिए उन्हें दोष नहीं दिया जा सकता!
4- विद्या बालन (हे बेबी)
हो सकता है के अगर रानी हे बेबी में होती, तो शायद फिल्म में विद्या की तुलना में उनका पहनावा बेहतर होता।
5- विद्या बालन (भूल भुलैया)
हे बेबी को स्वीकार न करना फिर भी समझ आता है ! लेकिन कोई भूल भुलैया की मौंजुलिका की भूमिका कैसे छोड़ सकता है? खैर, मुझे लगता है के विद्या बालन जैसी मौंजुलिका और कोई हो भी नहीं सकती थी।
6- तब्बू (नेमसेक)
यह एक अच्छी तरह से प्रकाशित कास्टिंग का फेरबदल था, क्योंकि रानी के पास नेमसेक के लिए तरीक नहीं थी । वह उस समय
“कभी अलविदा ना कहना” की शूटिंग कर रही थीं।
आपका इन सभी के बारे में क्या विचार है?