आज फिर बॉलीवुड इंडस्ट्री के लिए बहुत ही दुखद दिन है, हमने हमारे सितारों में से एक और सितारा खो दिया। हम बात कर रहे हैं 1975 की सुपर डुपर हिट फिल्म शोले से मशहूर हुए सय्यद इश्तियाक़ अहमद जाफरी उर्फ़ जगदीप जाफरी की। “सूरमा भोपाली” नाम से प्रसिद्द सीनियर एक्टर का 8 जुलाई की रात को 81 की उम्र में निधन हुआ।
जगदीप न सिर्फ अपनी कॉमेडी के लिए जबकि अपने भोपाली लहज़े के लिए भी जाने जाते थे। 400 से ज़्यादा पिक्चरों में एक्टिंग करने के बाद आज भी उनके डायलॉग्स हमारे ज़हन में संजीदा हैं। वैसे तो उनका टैलेंट बचपन में चाइल्ड आर्टिस्ट के बतौर हमारे सामने आया, लेकिन उनका असल किरदार शोले से उभरा ।
यह उनके कुछ फेमस डायलॉग्स हैं – फिल्म शोले का “हमारा नाम सूरमा भोपाली ऐसे ही नहीं है”, “पैसे… ऐसे कैसे पैसे मांग रहे हो?” फिल्म विधाता का जाना माना डायलाग है “हम लड़ता नहीं, लड़वाता है… हम करता नहीं, करवाता है… हम मारता नहीं, मरवाता है”, एवं जाल फिल्म से है “टंकी में नहीं तेल… तो बड़े से बड़ा इंजीनियर फेल।
ऐसा माना जाता है के भोपाली लहज़ा उन्हें राइटर जावेद से सीखने को मिला, जब उनकी चाय पे बैठक में शायरियां चला करती थी। महफ़िल में तो मशहूर थे लेकिन सोशल मीडिया पर नहीं , उनका आखिरी मैसेज हमें उनके पिछले जन्मदिन पर मिला जो की उनके बेटे जावेद जाफरी ने शेयर किया जो की है – “मेरे पिता जगदीप सोशल मीडिया पर नहीं हैं तो उन्होंने अपने उन सभी प्यारे फैन्स के लिए एक मैसेज भेजा है जिन्होंने उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दी हैं।” कुछ यह किस्सा है हमारे सूरमा भोपाली का, उन्हें हमारा आखिरी सलाम।