कथक सम्राट पंडित बिरजू महराज ने अब हमारे बीच नहीं रहे। 83 वर्ष की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया । उनका निधन दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुआ। उन्होंने दिल्ली में अपनी अंतिम सांसें लीं। संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘देवदास’ का वह गीत ‘काहे छेड़ छेड़ मोहे ’ में माधुरी दीक्षित के एक्सप्रेशन के साथ, अब भी किसी अन्य अभिनेत्री के लिए ताल से ताल मिला पाना मुश्किल है।फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी’ में ‘मोहे रंग दो लाल’ में दीपिका पादुकोण ने जिस सलाहियत से इस गाने पर परफॉर्म किया है, उस गाने के विजुल्स मेरे लिए भूलना मुमकिन ही नहीं। मुझे याद है, दीपिका ने बाजीराव मस्तानी के इस गाने की शूटिंग को लेकर अपनी बात साझा की थी कि कैसे उनकी आँखों से आंसू निकल आये थे, क्योंकि उन्होंने पहले दिन अच्छा परफॉर्म नहीं किया था, लेकिन पंडित बिरजू महराज, जिन्होंने इस गाने के लिए कोरियोग्राफ किया था। उन्होंने उन्हें हौसला दिया और फिर जाकर वह इस गाने पर अच्छी तरह से परफॉर्म कर पाई थीं।

अपनी आँखों से नृत्य करने वाले, नृत्य को ही अपनी जिंदगी समझने वाले, कई अभिनेत्रियों को कथक की बारीकी समझाने वाले कथक के महागुरु पंडित बिरजू महाराज ने कथक के क्षेत्र में एक से बढ़ कर एक नायाब मोती पिरोये हैं। पंडित बिरजू महराज का यूं जाना, पूरे देश के लिए एक बड़ी क्षति है।हालाँकि यह खबर लगातार सामने आ रही थी कि पिछले कुछ वर्षों से वह बेहद बीमार चल रहे थे। माधुरी दीक्षित को बिरजू महराज के गानों पर सबसे अधिक अपने नृत्य कौशल को दर्शाने का मौका मिला।

पंडित बिरजू महाराज का यूं जाना, कथक जैसे तहजीब की एक बड़ी विरासत का जाना है। बिरजू महराज कथक के पर्याय रहे और उन्होंने अपनी कला से न सिर्फ पूरे भारत को समृद्ध किया, बल्कि  कथक जैसे शास्त्रीय नृत्य कला की धरोहर को पूरी दुनिया में पहचान दिलायी।इस कला की गरिमा को बरक़रार भी रखा और इसे संजो कर रखा है।कला के क्षेत्र में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जायेगा। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि ।