‘’कभी-कभी एक मुलाकात ही काफी होती है, कभी -कभी कई मुलाकातें लग जाती हैं। तुम अगर खुल रो नहीं सकोगी तो खुल कर हंसोगी कैसे’’’। ऐसे ही कई न जितने कितने फिल्मी संवाद हैं, जो हमें जिंदगी का नजरिया भी सिखाते हैं और रिश्तों की गहराइयों को भी समझाते हैं। सिनेमा के जादू में यही तो खास बात है कि सिनेमा आपके अंतर्मन में उस कोने में भी पहुँच जाता है, जहाँ हम चाह कर भी पहुँच नहीं पाते हैं। रिश्तों की गुत्थी सुलझाना आसान नहीं रहा है, आसान हो भी नहीं सकता, इसमें इतनी परतें हैं कि यह हर इंसान के व्यक्तिगत अनुभव पर निर्भर करती है। मैं ईमानदारी से कहना चाहूंगी कि मेरी जैसी इमोशनल लड़की पर सिनेमाई मैजिक का असर लंबे समय तक रहता है। रिश्तों की गहराइयों में उतरने में कुछ कमाल की हिंदी फिल्मों ने बहुत बेहतरीन भूमिका अदा की है। रिश्ते केवल सीधे और सपाट नहीं होते हैं, यह मैंने फिल्मों से ही जाना। रिश्तों में काफी ट्विस्ट और टर्न भी होते हैं और कॉम्पलेक्सिटी भी, लेकिन मैं वाकई तारीफ करना चाहूंगी जोया अख्तर, फरहान अख्तर, शकुन बत्रा  और ऐसे तमाम निर्देशकों की जो रिश्तों की गहराइयों में गोते लगा कर, उस तह तक जा रहे हैं और उस तह को खोलने की कोशिश लगातार कर रहे हैं, जहां हम पहुँचने में थोड़े हिचकिचाते हैं। शकुन बत्रा अभी अपनी नयी फिल्म ‘गहराईयां’ से रिश्तों की गहराइयों में झाँकने की कोशिश कर रहे हैं। इस फिल्म का ट्रेलर भी काफी रोचक है। मैं यहाँ आपको ‘गहराईयां’ फिल्म के बहाने ही पांच ऐसी और फिल्मों के बारे में बताने जा रही हूँ, जिन फिल्मों ने रिश्तों की गहराइयों को बेहतरीन तरीके से समझा है और रिश्तों की एक नयी परिभाषा गढ़ी है।

गहराईयां

‘गहराईयां’ शकुन बत्रा की फिल्म है। फिल्म में दीपिका पादुकोण, अनन्या पांडेसिद्धांत चतुर्वेदी मुख्य किरदार में हैं। मॉडर्न रिलेशनशिप पर आधारित इस फिल्म में प्रेम को लेकर एक अलग दृष्टिकोण दर्शाने की कोशिश की गई है। ट्रेलर में जो बातें  नजर आ रही हैं। दो बहनें हैं और दोनों ही बहनों का दिल जब एक पर आ जाता है। चीजें उलझती जाती हैं या सुलझती हैं। ट्रेलर से फिल्म को देखने की बेताबी बढ़ी है। मुझे पूरी उम्मीद है कि शकुन ने इस विषय को लेकर एक दिलचस्प कहानी गढ़ी होगी।

लाइफ लेशन : अभी यह फिल्म रिलीज नहीं हुई है, लेकिन ट्रेलर देख कर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यह फिल्म यह बताने की कोशिश कर रही है कि कौन से रिश्ते आपको किस मोड़ पर मिल जाएं, पता नहीं होता, लेकिन हर रिश्ता अपना नहीं होता।

कपूर एंड सन्स

कपूर एंड सन्स’ के निर्देशक भी शकुन बत्रा रहे हैं और उन्होंने उस फिल्म के माध्यम से भी मुझे काफी प्रभावित किया।  इस फिल्म में एक मां बेटे के रिश्ते, दोस्त, दोस्त से प्यार और फिर होमो सेक्सुअलिटी विषय पर भी अच्छे से डील किया है। इतना ही एक परिवार में बड़े-बुजुर्गों की अहमियत क्या होनी चाहिए। इसे भी इमोशनल तरीके से दर्शाया है।

लाइफ लेशन : जिंदगी में जरूरी है अपनों का साथ

दिल धड़कने दो

जोया अख्तर रिलेशनशिप्स पर फिल्में बनाने में माहिर हैं। ‘दिल धड़कने दो’ में तो उन्होंने एक साथ कई कॉम्प्लेक्स रिश्तों को दर्शाया है। एक ऐसा परिवार, जो अपने बेटे-बेटी में पूरी तरह फर्क करता है। एक एलिट क्लास परिवार को सिर्फ अपने पैसों और शोहरत से मतलब है। बेटी किस दर्द से गुजर रही है, उन्हें फर्क नहीं पड़ रहा। एक पत्नी को उसका पति बार-बार बॉडी शेम कर रहा है। सिर्फ झूठी शान और शौकत को दिखाने में एक इंसान लगा हुआ है, जिसके लिए इमोशन की कोई जगह नहीं हैं। जोया ने एक मॉडर्न एलिट क्लास परिवार के उलझे रिश्तों पर बेहतरीन कहानी दिखाई है। यह फिल्म रिश्तों पर बनी मेमोरेबल फिल्मों में से एक हमेशा रहेगी। यह रिश्तों के बीच में जो खाई होती है, उसकी गहराइयों में जाकर तफ्तीश की है। फिल्म में रणवीर सिंह, फरहान अख्तर, प्रियंका चोपड़ा, अनिल कपूर और शेफाली शाह मुख्य किरदारों में हैं।

लाइफ लेशन : रिश्ता चाहे कोई भी हो, कम्युनिकेशन यानी बातचीत होनी जरूरी है आपस में।

जिंदगी न मिलेगी दोबारा

‘जिंदगी न मिलेगी दोबारा’ में दोस्ती के रिश्ते को अहमियत देते हुए जोया अख्तर ने हंसी, मजाक और मस्ती के बीच रिश्तों की गहराइयों की बारीकियों को समझाया है और दर्शाया है। फिल्म में तीन दोस्तों की कहानी है, जो रोड ट्रिप पर निकलते हैं। इस सफर में कैसे नए रिश्ते जुड़ते हैं, एक दूसरे के बीच हुई गलतफहमियों को कैसे दूर करने की कोशिश होती है। यह देखना दिलचस्प रहा है। फिल्म में ऋतिक रोशन, फरहान अख्तर, अभय देओल, कल्कि और कट्रीना कैफ ने अहम भूमिका निभाई है।

लाइफ लेशन : हर इंसान को माफ़ करना और भूल जाना आना ही चाहिए, पैसा जिंदगी में जरूरी है, लेकिन पैसे से जिंदगी में सबकुछ नहीं खरीद सकते।

दिल चाहता है

‘दिल चाहता है’ में भी तीन दोस्तों की कहानी है। लेकिन तीन दोस्तों के बहाने, इसमें निर्देशक फरहान अख्तर ने प्रेम की नयी परिभाषाओं को परदे पर उतारा है। फिल्म में एक किरदार को अपनी उम्र से बड़ी महिला से प्यार होता है। एक इंसान जो सीरियस प्रेम में विश्वास नहीं करता है, जिंदगी को लेकर जिसका कैजुअल अप्रोच होता है और फिर कैसे वह डूब कर प्यार करने वाले सिचुएशन में पहुंचता है। इस फिल्म में न सिर्फ गाने, बल्कि कई दृश्य यादगार हैं। आमिर खान, अक्षय खन्ना, सैफ अली खान और प्रीति जिंटा ने अहम भूमिकाएं निभाई हैं।

लाइफ लेशन : किसी बात को जाने देने का मतलब यह नहीं है कि आपने गिव अप कर दिया है, इसका मतलब है कि आप खुद को एक और चांस देना चाहते हो।

ये जवानी है दीवानी

एक लड़का है कबीर, जिसको केवल पूरी दुनिया घूम लेनी है। उसे लाइफ लॉन्ग चीजों पर खास विश्वास नहीं है। ऐसे में एक इंट्रोवर्ट लड़की नैना उसकी जिंदगी में आती है, जिसे सबकुछ हासिल करने में नहीं, जो उसके पास है, उसे संजोने में यकीन है। इन दो किरदारों की जिंदगी के कंट्रास्ट के माध्यम से अयान मुखर्जी ने जिंदगी में आप कितना भी कुछ कर लें, कुछ न कुछ तो छूटेगा ही की इस सोच को खूबसूरती  से दर्शाया है। फिल्म ने एक बेहतरीन टेक प्रेजेंट है रिश्तों को लेकर। दीपिका पादुकोण और रणबीर कपूर ने इस किरदारों में जान डाल दी है।

लाइफ लेशन : आप कुछ भी कर लें, जिंदगी में कुछ न कुछ छूटेगा ही, इसलिए सबकुछ पाने की चाहत रखने से अच्छा है, जो मिला है, उसे ही भरपूर जी लिया जाए।