भारतीय फिल्म इंडस्ट्री, खासतौर से संगीतप्रेमियों के लिए एक बड़ी क्षति है कि मशहूर सिंगर और कंपोजर बप्पी लहरी अब इस दुनिया में नहीं रहे। पूरी इंडस्ट्री उन्हें प्यार से बप्पी दा के नाम से जानती थीं। वह 69 वर्ष के थे और लम्बे समय से बीमार चल रहे थे। जानकारी के मुताबिक उन्हें फेफड़ों में खराबी आ गई थी, इस वजह से वह जूहू के ही एक अस्पताल क्रिटी केयर में भर्ती थे। रिपोर्ट्स के अनुसार इसी अस्पताल के डॉक्टर ने इसकी जानकारी दी कि पिछले एक महीने से वह काफी बीमार थे। डॉक्टर ने यह भी बताया कि 18 दिन आईसीयू में रहने के बाद, जब सब पैरामीटर नॉर्मल हो गए,तो उन्हें सोमवार को डिस्चार्ज कर दिया गया था। लेकिन मंगलवार को उनकी तबीयत अधिक खराब हुई। उन्हें अस्पताल लाया गया और फिर वहीं उन्होंने अंतिम साँसें लीं। बप्पी लहरी कई तरह की शारीरिक समस्याओं से जूझ रहे थे। वह पिछले साल भी कोरोना से संक्रमित हो गए थे।
बप्पी लहरी के परिवार ने उनके निधन पर शोक जताते हुए एक स्टेटमेंट जारी करते हुए कहा है कि
यह हमारे लिए दुःख की घड़ी है कि हमारे प्रिय बप्पी दा अब इस दुनिया में नहीं रहे। बप्पी दा ने मंगलवार को आधी रात में अपनी अंतिम सांसें लीं। बप्पी दा का अंतिम संस्कार 17 फरवरी यानी गुरुवार को किया जायेगा, जब बप्पी दा के बेटे बप्पा अमेरिका से गुरुवार की सुबह आएंगे। हम सभी से प्यार की उम्मीद करते हैं।
बप्पी लहरी का हिंदी फिल्मों में सफर बहुत लम्बा और सुनहरा रहा है। उन्हें हिंदी फिल्म जगत का डिस्को बादशाह माना जाता था। खासतौर से अपने मामा किशोर कुमार के साथ उन्होंने कई बेहतरीन मेलोडियस गाने दिए हैं। बप्पी दा ने ‘चलते-चलते’, ‘डिस्को डांसर’, ‘शराबी’ समेत कई फिल्मों में गीत संगीत दिया।
‘यार बिना चैन कहाँ रे’, ‘आई एम अ डिस्को डांसर’, ‘तम्मा-तम्मा लोगे,’ ‘कभी अलविदा न कहना’ जैसे कई मेलोडियस सांग बप्पी लहरी ने गाए हैं और उनको आवाज दी है। बप्पी ने 80 के दशक से लेकर 90 के दशक में खूब हिट संगीत दिया। बाद के दौर में उन्होंने ‘तूने मारी एंट्री’, ‘उ लाला उ लाला’ जैसे गानों पर भी काम किया था।
बप्पी लाहिरी किशोर कुमार को अपना गुरु मानते थे और हमेशा कहा करते थे कि वह जो कुछ भी हैं, किशोर कुमार की वजह से ही है। बप्पी किशोर कुमार को सरस्वती मानते थे। बप्पी ने अपनी बातचीत में बताया था कि किशोर कुमार उनसे यूं ही इम्प्रेस नहीं हो गए थे, उन्हें काफी मश्क्कत भी करनी पड़ी थी। बप्पी ने जब फिल्मों में आने की इच्छा जाहिर की, उस वक़्त उन्हें कड़ी परीक्षा देनी पड़ी थी। बप्पी ने 20 साल की उम्र में काम शुरू किया था, एक फिल्म थी बढ़ती का नाम दाढ़ी, वह कॉमेडी फिल्म थी, जिसमें बप्पी ने छोटा सा किरदार निभाया था। बप्पी ने कई फिल्मों में शानदार और मेलोडियस गीत संगीत दिए हैं और फिल्म इंडस्ट्री उनकी हमेशा ऋणी रहेगी। बप्पी को गाने के साथ-साथ गोल्ड ज्वेलरी पहनने का शौक हमेशा से रहा, गोल्ड जेवेलरी उनके व्यक्तित्व की भी पहचान बन गया था। बप्पी अमेरिकन पॉप स्टार एल्विस प्रेस्ली से प्रभावित होकर इतना सोना पहनते थे। वह हमेशा एल्विस की तरह अपनी पहचान बनाना चाहते थे।
बप्पी लहरी जैसे म्यूजिशियन जो कि संगीत में मैजिक कर देते थे, अब हमारे बीच नहीं है। हम उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि देते हैं।