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Exclusive ! माही गिल : शुरुआती दौर में जब सलवार-सूट पहन कर जाती थी ऑडिशन देने, तो निर्माता-निर्देशक कहते थे ऐसे लुक में कौन कास्ट करेगा

Exclusive ! माही गिल : शुरुआती दौर में जब सलवार-सूट पहन कर जाती थी ऑडिशन देने, तो निर्माता-निर्देशक कहते थे ऐसे लुक में कौन कास्ट करेगा

Anupriya Verma

माही गिल ने फिल्मों में कदम, अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद रखा। शुरुआती दौर में और खासतौर से उस दौर में जब ओटीटी और बाकी माध्यम नहीं थे, कास्टिंग की प्रक्रिया इतनी आसान नहीं हुआ करती थी, उस दौर में मेरे लिए तो कल्पना ही कर पाना कठिन है कि उस दौर में दूसरे शहर से आयी लड़कियों को किन-किन तरह की परेशानियां झेलनी पड़ती होगी। माही गिल भी उसे अछूती नहीं रही हैं, उन्होंने मुझसे अपनी बातचीत में इस बात का जिक्र किया कि शुरुआत में कास्टिंग की प्रक्रिया कितनी अनप्रोफेशनल थी कि अगर सलवार सूट पहन कर, कोई ऑडिशन देने जाए तो उन्हें बहन जी समझ लिया जाता था और सिर्फ इन बातों पर उन्हें कास्ट नहीं किया जाता था। शुरुआती दौर में माही गिल ने भी काफी परेशानियों का सामना किया। लेकिन उन्हें पहचान मिली अनुराग कश्यप की फिल्म देव डी से। ‘देव डी’ से लेकर उनकी लेटेस्ट सीरीज ‘रक्तांचल 2′ तक के सफर पर माही ने मुझसे कई रोचक पहलुओं पर बातचीत की है।

शुरुआती दौर में रहा है काफी स्ट्रगल
माही ने अपने शुरुआती दौर के स्ट्रगल को याद करते हुए कहा कि जब वह सलवार सूट पहन कर प्रोड्यूसर्स के पास जाती थीं, तो उन्हें यह कह कर मना कर दिया जाता था कि एक्ट्रेस  बनाना चाहती हैं तो सलवार-सूट कैसे पहन रही हैं, कुछ और पहन कर आइये, इस बात पर उन्होंने काफी रिजेक्शन झेले हैं। माही कहती हैं कि अब देखिये लेकिन अब देखिये, पूरी तरह से कास्टिंग भी अब सिस्टमेटिक और प्रोफेशनल हो गई है। अब आप किसी को उनके कपड़ों से नहीं जज कर सकते हैं। माही ने शुरू में मुंबई आने पर पैसों की किल्लत भी झेली है। वह कहती हैं कि पैसों की शुरुआती दौर में में काफी किल्लत होती थी, कई बार एक-एक समय खाना खाकर भी जिंदगी गुजारी है। लेकिन माही इस बात से खुश हैं कि उन्होंने अपनी पहचान अपने दम पर बनाई है और अब भी दर्शक उनको देखना पसंद तो कर रहे हैं।

स्ट्रांग किरदार है मेरा रक्तांचल सीजन 2 में
माही गिल अपने वेब सीरीज ‘रक्तांचल सीजन 2 को लेकर इन दिनों चर्चा में हैं, जिसमें उन्होंने एक 90 के दशक की पॉलिटिशियन का किरदार निभाया है। वह इस सीरीज के बारे में बताती हैं कि माही  मानती हैं कि अब भी पुरुष महिला पॉलिटिशियन को गंभीरता से नहीं लेते हैं, रियल लाइफ में भी, लेकिन इतिहास भी गवाह रहा है कि महिला पॉलिटिशियन ने राज किया है और बहुत अच्छे से बागडौर संभाली है, उनके हाथों में जब भी सत्ता आई है। माही कहती है, अब भी इस सोच से बाहर निकलने में समय तो लगेगा ही ।वैसे उन्हें सीरीज के दौरान बनारस में शूटिंग करके बेहद मजा आया, वहां गंगा किनारे उन्होंने अच्छा समय बिताया और साथ ही उन्होंने वहां की खूब मिठाइयां भी खायीं।

माही इस सीरीज के बारे में कहती हैं कि वर्तमान दौर में महिलाओं को ध्यान में रख कर सीरीज लिखी जाने लगी है और यह अच्छा दौर चल रहा है, अब कहानियों में खूब महिला प्रधान किरदार आ रहे हैं, जैसे मैंने इस सीरीज में सशक्त किरदार निभाया है। ओटीटी के आने से काफी नए और बेहतर बदलाव हैं। कई लोगों को रोजगार भी मिल रहा है और अच्छी कहानियां भी सामने आ रही है। साथ ही वह कहती हैं कि अब महिलाओं को सिर्फ ओबेजक्टफाई नहीं दिखा रहे हैं। यह अच्छी बात है। हालाँकि वह मानती हैं कि वह इस मामले में लकी रहीं कि उन्हें लगातार अच्छे निर्देशकों का साथ मिलता रहा है।

देव डी में ने लड़कियों के लिए बनाया ट्रेंड, अपनी ही शादी में खुल कर नाचने का, सोशल मीडिया पर अब आया है

फिल्म ‘देव डी’ अनुराग कश्यप की एक ऐसी फिल्म थी, जिसने सिनेमा इंडस्ट्री में कई सारे बदलाव किये। यह उन फिल्मों में से एक थी, जिसमें महिला कैरेक्टर को बहुत स्ट्रांग तरीके से प्रेजेंट किया था। मैं तो इस फिल्म की फैन हूँ ही, लेकिन खासतौर से मैं इस फिल्म में  माही गिल के किरदार पारो द्वारा परफॉर्म किया गया वह सीन, जिसमें वह अपनी शादी में दुल्हन बनी हुई हैं और अचानक ही गाने पर डांस करना शुरू कर देती हैं। यह फिल्म वर्ष 2009 में आई थी। तब यह दौर सोशल मीडिया का दूर-दूर तक नहीं था। मुझे लगता है कि केवल फेसबुक हुआ करता था, लेकिन इस एक सीन के बारे में आप सोचें तो विजनरी निर्देशक अनुराग कश्यप की दूरदर्शी और पारखी सोच नजर आती है। उस दौर में किसी दुल्हन का अपनी ही शादी में डांस कर लेना, वह भी भरे समाज के सामने, कोई मामूली बात नहीं थी, क्योंकि उस दौर में दुल्हन का मतलब सिर्फ शर्माना ही होता था, दरअसल, मैं अब के दौर की तुलना करती हूँ तो अब तो सोशल मीडिया ट्रेंड के रूप में लड़कियों की शादियों में लड़कियां डांस करती हुईं नजर आती ही हैं, जयमाल के स्टेज पर चढ़ने से पहले, कहीं न कहीं अनुराग ने लड़कियों को एक आजादी का एहसास अपने उस छोटे से दृश्य से दिया था, जिसका प्रभाव मुझ पर तो अभी तक है।

माही गिल से इस दृश्य की मेकिंग के बारे में बताया कि

जब अनुराग कश्यप ने उन्हें देव डी के इस सीन के बारे में कहा था कि तुमको अचानक से डांस करना है, तो मैंने उनसे पलट कर सवाल किया था, ऐसा कहाँ होता है कि लड़की अपनी ही शादी में नाचने लगे, तब अनुराग ने समझाया था कि यह सीन सिर्फ मस्ती और मजाक के लिए नहीं होगा, बल्कि इसका एक इम्पैक्ट होगा, यह दर्शायेगा कि लड़कियां भी आजाद हैं, उनके भी ख्याल आजाद हो सकते हैं और वह जो करना चाहती हैं, करें।  उन्हें शर्म का गहना पहनाना जरूरी नहीं है। माही गिल मानती हैं कि ऐसे किरदार दरअसल, आने वाले दौर का सूचक होते हैं कि आने वाले दौर में लड़कियां किस तरह से पूरी तरह से आजाद सोच के साथ बढ़ने को तैयार होंगी।

माही कहती हैं, तब इस बात को लेकर हिचक थी, लेकिन आज देखिये, ऐसी कोई शादी नहीं होती है, जिसमें लड़की अपनी शादी में डांस करते हुए स्टेज पर एंट्री न ले, सही बात है कि शादी में शर्माने का सारा जिम्मा लड़कियों पर ही क्यों थोपा जाता है। अनुराग को दरअसल, इस ट्रेंड को शुरू करने के लिए पीठ थपथपाई करनी चाहिए। माही का मानना है कि फिल्में, जो लोगों के सोच में बदलाव ला सके, वैसी ही होनी चाहिए, कहीं न कहीं अनुराग अपनी फिल्मों से उस तरह की सोच बदलने में कामयाब रहे हैं।

यह निर्देशक की सोच पर निर्भर करता है कि वह आयटम नंबर क्यों डालते हैं

फिल्मों में आयटम नंबर में लड़कियों को सिर्फ मेटेर्लिस्टिक अप्रोच के साथ दर्शाने की बात पर माही स्पष्ट कहती हैं कि  उन्होंने अबतक जिन फिल्मों में भी आयटम सांग किये हैं, वे सभी कहानी के हिसाब से होते थे, तो यह निर्देशक पर भी निर्भर करता है और वह लकी रही हैं कि उन्हें अच्छे निर्देशकों का साथ मिला है, जिन्होंने जबरन आयटम सांग नहीं डाले हैं।


रोमांटिक किरदार निभाने की चाहत

माही की बहुत चाहत है कि उनसे कोई रोमांटिक किरदार निभाने को कहे, वह कहती हैं मैं रोमांटिक किरदार करना चाहती हूँ, पूरी तरह से, जिसमें कोई ग्रे या कोई हुए शेड्स नहीं, सिर्फ प्यार का शेड्स हो, लेकिन अबतक ऐसे किरदार आये नहीं हैं, मेरे पास, मैं इंतजार में हूँ।

टाइपकास्ट कर देते हैं लोग

माही ने यह भी बताया कि बीच में उन्होंने एकदम चुनिंदा प्रोजेक्ट्स में काम किया, क्योंकि उन्हें टाइपकास्ट किया जाने लगा था। वह कहती हैं कि यह सच है कि मुझे एकदम टाइपकास्ट किया जाने लगा था। इसलिए मैंने तय किया की थोड़ा ब्रेक लूंगी और अपने मुताबिक ही काम करूंगी। इस दौरान प्रोजेक्ट्स को न कहना आसान नहीं होता था।  लेकिन खुद को निखारने के लिए वह जरूरी था और अब एक बार फिर से मुझे अच्छे काम मिलने लगे हैं।


वाकई, माही आपकी बातों से स्पष्ट होता है कि इंसान मेहनत करे तो अच्छा मुकाम हासिल करना कठिन तो है, लेकिन नामुमकिन नहीं, मैं हमेशा ही आपकी तरह स्ट्रांग महिलाओं से काफी आकर्षित होती हूँ। आने वाले समय में आपके और भी दमदार किरदार देखने को मिलेंगे, हमें पूरी उम्मीद है।