जो सामने दिखता हो, वही सच हो, ऐसा जरूरी नहीं होता है ‘मिथ्या’ सी सच और झूठ के बीच एक लकीर खींचती है।  कहानी इस कदर गढ़ी गई हैं कि अंत तक यह तय कर पाना, कौन सही है, कौन गलत मुमकिन नहीं हो पाता है। दरअसल, मिथ्या बदले की भावना, बेवफाई, नफरत और अपनी महत्वकांक्षा के लिए कुछ भी कर गुजरने वाली दो लड़कियों के इर्द-गिर्द घूमती एक कहानी है। मुझे इस सीरीज में जो सबसे अच्छी बात लगी कि निर्देशक और मेकर्स ने इसके  नैरेटिव को साहित्यिक उपन्यास की तरह रचा है। इसके किरदार, घटनाएं देखते  हुए मैंने ऐसा महसूस किया, जैसे कोई किताब या उपन्यास पढ़ रही हूँ। ऐसी सीरीज में किसी व्यक्ति की मनो:दशा, उसकी मानसिक स्थिति और उसकी फितरत, इंसान के अंदर छुपे बैठे एक शैतानी दिमाग को टटोलने की पूरी गुंजाईश होती है। हुमा कुरैशी और अवंतिका दसानी की केमस्ट्री ने मिथ्या का जाल किस तरह से फैलाया है और बतौर दर्शक मैं इससे कितना जुड़ाव महसूस कर पाई, पढ़ें पूरा रिव्यू

क्या है कहानी

कहानी दार्जिलिंग की पृष्ठभूमि पर आधारित है, जहाँ एक कॉलेज में जूही अधिकारी (हुमा कुरैशी), हिंदी की प्रोफेसर हैं, जूही के पिता आनंद त्यागी (रजित कपूर) एक बड़े लेखक रहे हैं।  जूही हिंदी की प्रोफेसर है और उसने सारे उपन्यास पढ़े हुए हैं, वह यूं किसी के एक शब्द पढ़ कर भी, पता लगा लेती है कि किसी ने किसकी नकल की है, इसी क्रम में उसकी जिंदगी में रिया (अवंतिका दसानी) की एंट्री होती है। रिया का एक लेख, जिस पर जूही दावा करती है कि यह नकल की गई है, इसको लेकर रिया और जूही में एक अलग ही तकरार शुरू हो जाता है। रिया इस बात को बर्दाश्त नहीं कर पाती है कि उस पर चोरी का इल्जाम लगाया गया है, तो दूसरी तरफ जूही इस बात को हद से अधिक तूल दे देती है। फिर एक के बाद एक कहानी में बड़े ट्विस्ट आते हैं, ऐसे कई राज  हैं,जो खुलते जाते हैं, आखिर रिया क्यों जूही की जिंदगी में आती है, उसके इरादे क्या होते हैं, किसी उपन्यास की तरह ही जूही  क्यों अपनी दुनिया  में भी कल्पना करने लगती है, क्या होता है, जब इंसान किसी से हद से अधिक नफरत या हद से अधिक प्यार करने लगे या फिर अपनी जिंदगी से उसे हद से अधिक कुछ पाने की चाहत हो जाए, इन सबके बीच कौन सच और कौन झूठा है, कहानी इन्हीं क्रियाकलापों के बीच दौड़ती भागती तो कभी ठहरती हुई लगती है। शो में मर्डर होता है, किरदारों को जेल भी होती है, लेकिन अंत तक आप यह अनुमान लगा ही  नहीं पाते हैं कि सच्चा कौन है और झूठा कौन।

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बातें जो मुझे अच्छी लगीं

  • निर्देशक और शो के मेकर्स ने हिंदी उपन्यास की अहमियत को समझते हुए, जिक्र ही सही, मगर उपन्यास जैसे रोमांचक और रोचक किरदार गढ़े हैं। कहानी में घटनाक्रम भी उसी तरह से गुजरते हैं।
  • इंसानी फितरत पर अच्छी तरह से वार करती है कहानी। यह इंसान के अंदर जो एक और इंसान छुपा है, जो काफी मतलबपरस्त है, उस चेहरे को सामने लाती है।
  • रिया  के माध्यम  एक ऐसी लड़की का चरित्र सामने आता है, जो डिस्टर्ब चाइल्ड हुड की वजह से अपनी जिंदगी में बड़ा खामियाजा भुगतती है। इस किरदार के माध्यम से मैं कम से कम ऐसे बच्चों की दुनिया को नजदीक से देख पाई, जिन्हें मानसिक रूप से बचपन में कई परेशानियों से गुजरना पड़ता है।
  • निर्देशक अपने विजन में कि आखिरकार दर्शक किसे सच्चा और अच्छा मानें और किसे झूठा, यह उहा-पोह वाली स्थिति में अंत तक रखता है।

अभिनय

अवंतिका दसानी ने लीक से हटकर एक कठिन सीरीज से अपने करियर की शुरुआत की है। सीरीज में वह केंद्र में हैं भी। उनकी मेहनत दिख रही है।पहले काम के मापदंड पर, उन्होंने बेहतर काम किया  है, एक अनोखा किरदार निभाया है, उनके लिए इससे बेहतर डेब्यू नहीं हो सकता था, जिसमें उन्हें एक साथ कई शेड्स निभाने के मौके मिले हैं।अवंतिका में ऊर्जा नजर आती है, अच्छा है अपने भाई की तरह ही वह मुख्यधारा से अलग जाकर विषय चुन रही हैं और आने वाले समय में उनमें संभावनाएं नजर आती हैं। हुमा ने अशांत, बहुत कुछ हासिल करने की चाहत रखने वाली महत्वकांक्षी प्रोफेसर की भूमिका अच्छी तरह से निभाई है।उनके अभिनय में कई शेड्स नजर आये हैं। परमब्रत कम, लेकिन प्रभावशाली दृश्यों में नजर आये हैं। रजित इस सीरीज में एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में जुड़ते हैं, उनका काम उनके ही मिजाज का है।

बातें जो और बेहतर हो सकती थीं

कहानी बहुत ही धीमी गति से आगे बढ़ती है और घटनाओं के पीछे जो मोटिव हैं, वह बहुत स्वाभाविक से लगते हैं, उनमें कोई भी नयापन नहीं लगता है। ऐसी कहानियां साइकोलॉजिकल फिल्में और सीरीज में कई बार देखी जा चुकी है। एक और बड़ी चूक  निर्देशक से यह भी हुई है कि ऐसी कहानियां दर्शाते हुए इंसानी फितरत के वैसे पहलुओं  जिन पर बात नहीं होती, उसे दिखाने और दर्शाने का बेहतर विकल्प था। ऐसे में निर्देशक इसकी गहराई में नहीं  जाते हैं, ऊपर-ऊपर रह जाते हैं। इसे और विस्तार में और नए अप्रोच के साथ गढ़ा जा सकता था। सीरीज की वन लाइनर अट्रेक्ट करती है, लेकिन आप अधिक अपेक्षा कर लेते हो, लेकिन पूरी सीरीज में वह अपेक्षा पूरी नहीं हो पाती है। मेकर्स के पास गुंजाईश थी कि वह अपने दोनों किरदार के बीच और अधिक रोमांचक घटनाओं को बिल्ड करें, जिससे शो और रोचक बन सकता था, लेकिन वह कमी  सीरीज में रह जाती है।

वेब सीरीज : मिथ्या

कलाकार : अवंतिका दसानी, हुमा कुरैशी, परमब्रत चटर्जी, रजित कपूर, समीर सोनी, इंद्रनील सेनगुप्ता

निर्देशक : रोहन सिप्पी

चैनल : जी 5

मेरी रेटिंग 5 में ढाई स्टार