‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ में आलिया भट्ट का एक डायलॉग है, जो काफी लोकप्रिय हो रहा है कि ‘गंगू चाँद है और चाँद ही रहेगी’। इसमें कोई शक नहीं है कि संजय लीला भंसाली ने ही आलिया को चाँद बनाया है अपनी कल्पना से। लेकिन इसमें जो चार चाँद लगे हैं, उसका श्रेय मेरे ख्याल से इस फिल्म के कॉस्ट्यूम डिजायनर शीतल शर्मा को भी जाना चाहिए, जिन्होंने भंसाली के विजन को अपनी क्रिएटविटी में ढाल कर, आलिया के किरदार को सार्थक बना दिया है। इन दिनों आलिया की व्हाइट साड़ी और बालों में गुलाब ने मेरा ध्यान तो काफी आकर्षित किया है। फिल्म के ट्रेलर में जब गंगूबाई हाथों में पर्स लेकर, छतरी लगाए, चश्मा चमकाती हुई, जब व्हाइट साड़ी में निकलती हैं तो एक धाकड़ व्यक्तित्व हमारे सामने आता है। आलिया के इस पूरे लुक से यह बात स्पष्ट झलकती है कि  ‘गंगूबाई’ एक पॉवरफुल, सशक्त इरादों वाली स्ट्रांग महिला थी। दरअसल, सिनेमा को यूं ही टीम वर्क नहीं कहा जाता है, क्योंकि यहाँ सिर्फ निर्देशक का विजन नहीं, बल्कि कई लोगों के मेहनत लगती है, गंगूबाई से लेकर पूरी भंसाली की दुनिया के कमाठीपुरा को रिक्रिएट करने में कॉस्ट्यूम की अहम भूमिका रही है। ऐसे में मैंने फिल्म‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ के कॉस्ट्यूम डिजायनर शीतल शर्मा से विस्तार में बात की है और संजय लीला भंसाली की दुनिया के कमाठीपुरा की जिंदगी को गहराई में समझने की कोशिश की है और शीतल ने जो दिलचस्प बातें बताई हैं, उसे जानने के बाद, तो मेरी उत्सुकता फिल्म देखने के लिए और अधिक बढ़ गई है।

‘रईस’ ‘मंटो’ और कई पीरियोडिक ड्रामा के लिए अपनी क्रिएटिविटी दिखा चुके शीतल शर्मा को पहली बार भंसाली के साथ काम करने का मौका मिला है और उनके लिए यह बेहद खास मौका रहा, क्योंकि हर क्रिएटिव इंसान की चाहत होती है कि  उन्हें भंसाली जैसे निर्देशक के साथ काम करने का मौका मिले, जो अपनी फिल्मों को पेंटिंग की तरह संवारते हैं। ऐसे में शीतल शर्मा का भंसाली से जुड़ने का संयोग कैसे बना, इस पर शीतल ने विस्तार से बताया है।

पोस्टर लुक बन गया ब्लैक एंड व्हाइट वाला वह फोटो

शीतल बताते हैं कि मुझे भंसाली प्रोडक्शन से प्रेरणा जी का जब फोन आया था, तो मुझे यही लगा था कि सर प्रोडक्शन के किसी प्रोजेक्ट के लिए मुझे बुला रहे हैं, उनकी कोई फिल्म होगी। लेकिन जब मैं पहुंचा, तो सर ने मुझे सीधा बोला कि मैं आपको कुछ मेजरमेंट भेज रहा हूँ, साथ ही मुझे एक तस्वीर दिखाई, वह तस्वीर बहुत पुरानी-सी 1947-1948 के कमाठीपुरा की रही होगी। भंसाली सर ने मुझे बस यही बोला कि हम कमाठीपुरा दिखाने वाले हैं, 50 से 60 के दशक वाला, उन्होंने मुझसे पूछा कि तुमने कभी कमाठीपुरा देखा है क्या, क्योंकि भंसाली सर का बचपन उसके आस-पास के इलाके में ही गुजरा है। सर ने मुझे उस वक़्त कुछ नहीं बताया था कि फिल्म में आलिया भट्ट है। उन्होंने बस वही एक तस्वीर दिखाई थी। उन्होंने इसके बाद मुझे कहा कि  तुम इन चीजों को ध्यान में रख कर, अपना वर्ल्ड बनाओ। शीतल ने बताया कि सर  प्रेजेंस ऑफ़ माइंड बहुत देखते हैं,उनकी चीजों को आप कैसे ग्रैस्प कर रहे हो, इस पर वह बहुत ध्यान देते हैं। ऐसे में  सर चाहते हैं कि सिर्फ हाँ -हाँ नहीं कहो, अपने इनपुट्स दो। हमारी पहली मीटिंग लगभग एक घंटे तक चली थी, फिर मुझे बताया कि दो दिन बाद लुक टेस्ट करेंगे। फिर मैंने अपना काम शुरू किया, मेरे पास ऐसा कोई रेफरेंस पॉइंट नहीं था, मैंने अपनी कल्पना से ही व्हाइट रंग की साड़ी और उस पर एम्ब्रोडरी करवायी, फिर कुछ ब्लॉउज के ऑप्शन बनाये और फिर मैं सर के पास पहुंचा।  वहां कोर टीम के सभी लोग थे, और थोड़ी देर बाद आलिया भट्ट आयीं, तो मुझे लगा कि  ‘इंशा अल्लाह’ ( जो फिल्म बनने वाली थी लेकिन फिर नहीं बन रही है) को लेकर कुछ बात आगे बढ़ी है। उसी फिल्म के लिए मुझे बुलाया गया है। लेकिन बाद में मुझे पता चला कि आलिया भट्ट को लेकर गंगूबाई बन रही है और सर को मेरा किया काम इतना पसंद आया कि उन्होंने इसे ही पोस्टर बना दिया फिल्म का। यह मेरे लिए बड़ी ही ख़ुशी की बात थी कि आपके काम को यह सम्मान मिल रहा है।

पूरी कमाठीपुरा की दुनिया क्रिएट करने का मिला मौक़ा

शीतल बताते हैं कि पहले उन्हें संजय लीला भंसाली ने केवल आलिया भट्ट और अजय देवगन के लुक को करने की बात कही थी।

शीतल कहते हैं

सर ने पहले मुझे कहा था कि सिर्फ आलिया और अजय का लुक करो। लेकिन मैंने फिर सर को कन्विंस किया कि मुझे ऐसे एक दो लुक करने की आदत नहीं है, मैं पूरी फिल्म का लुक करना चाहूंगा, आप मुझे एक बार पूरा कांसेप्ट समझा दीजिये। ऐसे में सर ने मुझसे कहा कि सेट पर हर दिन 400 से 500 लोग होंगे, ऐसे में सबका कर पाना आसान नहीं होगा। तो मैंने सर को कहा कि मैं कर लूंगा। सर ने मुझे बताया कि  वहां पूरा कमाठीपुरा रिक्रिएट करना होगा। हर दिन मुंबई के पुराने लोग, पुराना दौर यह सब दिखाना होगा। तो मैंने कहा कि सर इसी को तो करने में मजा आएगा। इसके बाद फिर सर कन्विंस हुए।  मैंने प्रेजेंटेशन दिखाया दिखाया।
Source: Instagram I @aliaabhatt

शीतल बताते हैं कि एक बार भंसाली सर को लोगों पर कॉन्फिडेंस आने में वक़्त लगता है, लेकिन एक बार आ गया तो फिर वह कुछ नहीं कहते हैं। उन्होंने मेरा काम ‘मंटो’ फिल्म में  देखा था, वो वह इस बात को समझ गए कि मैं कर लूँगा ।

शीतल बताते हैं कि सर सेट पर सरप्राइज देते हैं, वहां सेट पर शूटिंग के दौरान भी सीन्स में काफी कुछ होता है और आपको खुद को उसके लिए तैयार रखना होता है। लेकिन मुझे ख़ुशी है कि सर का जो ग्रैंड विजन है, उसे मैं अपने कॉस्ट्यूम के माध्यम से किरदारों को समझा पाया हूँ । इस फिल्म में आप जब  बैकग्राऊँड, आर्ट और एक्टर के बीच काफी खूबसूरत कॉम्बिनेशन देखेंगे तो वह आपको किसी पेंटिंग से कम नहीं लगेंगे ।

फिल्म को नाइट शूट करने की है खास वजह

शीतल बताते हैं कि संजय लीला भंसाली ने इस फिल्म की पूरी शूटिंग रात में की है।

वह कहते हैं

भंसाली सर ने पूरी शूटिंग रात में की है। लगभग 200 दिन तक शूटिंग चली है। चूँकि इस फिल्म में वह जो लाइटिंग दिखाना चाहते थे और मूड दिखाना चाहते थे, उसको सुबह दिखा पाना संभव नहीं था, क्योंकि सूर्य की रौशनी को आप कंट्रोल नहीं कर सकते हैं।  रात में लाइटिंग में सारा फील आता है और साथ ही जो साइलेंस उनको माहौल में चाहिए, वह रात में ही मिल पाता है। इस दौरान आलिया को, सर को और क्रू के काफी लोगों को कोविड हुआ, कुछ दिन शूटिंग रुकी भी, लेकिन किसी ने भी फिल्म छोड़ी नहीं।

भंसाली सर को नहीं दर्शाना है कि भारत को बदहाली में

शीतल कहते हैं कि सर जब भी कुछ दिखाते हैं, तो वह  ग्रैंड होता है, क्लासिनेस होता है। इस बार उन्होंने सिम्पलिसिटी में खासियत दिखाने की कोशिश है। पुराना बॉम्बे दिखाया है कि कैसे शाम में सब सज-धज के तैयार हो जाते थे, फिर दिन में सब औरतें एक दूसरे के बालों में तेल लगाती हैं, कोई खाना बना रही होती हैं, कोई गाना गए रही होती हैं, पानी भरा जा रहा है। सबकुछ है इसमें। सर का अपना विजन है कि अमेरिका भारत को जैसे बदहाली में दिखाना चाहता है, वह नहीं दिखाना चाहते हैं। वह सम्मान के साथ इन महिलाओं की बात रखना चाहते हैं।  इस फिल्म में डार्कनेस ऑफ़ बॉम्बे नजर आएगा।

गुलाब और साड़ी लुक आलिया का

शीतल कहते हैं कि आलिया के साड़ी लुक की जब इतनी तारीफ़ हो रही है तो उन्हें अच्छा लग रहा है, क्योंकि उनके पास इसके लिए कोई रेफरेंस नहीं था, बस कल्पना थी। गंगूबाई की बस एक ओल्ड एज की तस्वीर घूम रही है इंटरनेट पर, जबकि कहानी 30 साल वाली गंगूबाई की जिंदगी पर है। किस तरह से गंगूबाई एक अभिनेत्री बनने मुंबई आयीं और उनकेसाथ धोखा हो जाता है। तो हमने गंगूबाई में वह अभिनेत्री बनने की चाहत दिखाने की, वह अदा कौस्ट्यूम के माध्यम से देने की कोशिश की है। जैसे गंगूबाई की हाइट कम थी और वह व्हाइट कलर इसलिए पहनती थीं, क्योंकि इससे पॉवर दिखता था, वह स्वदेशी पहनो, स्वदेशी खाओ जैसी बातों को पोट्रे कर रही हैं और  हर जगह पावरफुल दिखने के लिए वह व्हाइट पहनती थी। वह गोल्ड पहनती थी,  उनके दांत भी गोल्ड के थे । बात करने का ढंग, चलने का ढंग, सारी  बातों को ध्यान में रख कर आलिया का लुक तैयार किया गया है और आलिया ने मुझे बताया कि  किस तरह लोग उनकी साड़ी लुक को अपनाने की बात कर रहे हैं।

मीना कुमारी की नजाकत

शीतल ने आगे बताया कि

सर का कहना था कि मीना कुमारी ने काफी फिल्मों में तबायफ का किरदार किया है , रेखा ने भी किया है, लेकिन रेखा बोल्ड रही हैं, मीना में नजाकत थी। वह व्हाइट कपड़ा भी  सिर पर डाल कर आ जाती थीं, तो किसी ड्रीम से कम नहीं लगती थीं। मीना कुमारी का काजल, बिंदी, बड़ा सा बन, लटे गिरा रही हैं, यह सबकुछ आकर्षित करता है।  और  भंसाली सर को कुछ-कुछ ऐसा ही चाहिए था, गंगूबाई एक एक्ट्रेस बनने ही आई थी मुंबई तो, एक एक्ट्रेस बनने वाला अंदाज़ भी तो उसमें दिखेगा। वह फ्लेयर भी चाहिए था। मैंने उस पर काम किया। अगर वह भाषण देने जा रही है तो वह गोल्ड, चश्मा और पर्स उठाया है। पायल पहन रही है, यह सब मैंने फिल्म में जोड़ा ।
Source: Instagram I @aliaabhatt

विंटेज है आलिया का पर्स और चश्मा

जी हाँ,आलिया भट्ट का पर्स और चश्मा आम नहीं है फिल्म में, बालक यह विंटेज कलेक्शन से लाया गया है।
शीतल ने आलिया का पर्स और चश्मा, जो कि पूरी फिल्म में नजर आ रहा है,

शीतल कहते हैं कि

पहले यह पर्स और चश्मा शूट में नहीं रहने वाला था।  लेकिन जब सर ने इसके साथ कुछ सीन्स किये तो उन्हें यह भा गया, उन्होंने फिर इसको गंगूबाई के कैरेक्टर के रूप में  इस्तेमाल किया है। मैंने यह  चश्मे और पर्स फ़्रांस के विंटेज मार्केट से लाया है। वह रियल फ्रेम है।काफी पुराने दौर की है। मुझे पुरानी चीजों को कलेक्ट करने की आदत है। ऐसे में आलिया के लुक पर पहले सर को लग रहा था यह नहीं जाएगा, लेकिन फिर जिस तरह से आलिया ने इसे कैरी किया, यह चीजें आलिया के किरदार की पहचान बन गई है और आलिया ने एक्शन करते हुए, भाषण देते हुए हर जगह इसे इस्तेमाल किया है और उसे बहुत सलीके से हैंडल किया है, क्योंकि वह जानती हैं कि यह कितना प्रिसियस है।  आप देखेंगे फिल्म में तो आपको कई जगह गूजबंप्स आएंगे।

वाकई में मैंने तो शीतल की नजर से भंसाली की गंगूबाई काठियावाड़ी की दुनिया देख ली है और मैं अभी से एक्सपीरियंस कर पा रही हूँ कि यह फिल्म क्या होने वाली है और अब तो बेताबी और बढ़ गई है, वैसे मैं यह स्वीकारना चाहूंगी कि शीतल की मेहनत का ही नतीजा है कि आलिया का साड़ी लुक मैं भी एक बार तो आजमाने की कोशिश जरूर करना चाहूंगी, उनका किरदार इस कदर प्रभावशाली लग रहा है।