फिल्म ‘चक दे इंडिया’ में अगर कबीर खान जैसा कोच न होता तो क्या, टीम हॉकी जीत पाती। कबीर खान ने न सिर्फ पूरी टीम पर शारीरिक मेहनत की थी, बल्कि उन्हें जोश से भी भर दिया था। शाह रुख खान ने इस किरदार को जीवंत तरीके से निभाया है, जो मेरे लिए तो शाह रुख के करियर के बेस्ट किरदारों में से हैं। कुछ ऐसा ही तो कंगना रनौत की फिल्म ‘पंगा’ में ऋचा चड्डा ने किया, जिन्होंने कंगना के किरदार को कबड्डी के लिए तैयार किया। दरअसल, हिंदी सिनेमा में जब भी स्पोर्ट्स फिल्में बनी हैं, उनके कोच की भूमिका भी अहम रही है। यही वजह है कि जब भी निर्देशक ऐसे विषय चुनते हैं, तो वह लीड किरदार के साथ,ऐसे कलाकारों को कोच की भूमिका में लेते हैं, जो वाकई में मुख्य किरदार के साथ कदम ताल कर सकें और कहानी को कामयाब बना सकें। ऐसे कलाकारों की बात करें तो शाह रुख खान, ऋचा चड्डा, मानव कॉल और ऐसे कई नाम जेहन में आते हैं मेरे और अब तो अभिषेक बच्चन का नाम भी इस श्रेणी में शामिल हो गया है, जो जल्द ही सैयामी खेर के साथ आर बाल्की की फिल्म ‘घूमर’ में कोच की भूमिका निभाने जा रहे हैं। मैंने एक नजर कुछ ऐसे ही कलाकारों की जोड़ी पर डाली है, जो फिल्मों में कोच बन कर सामने आये हैं।

अभिषेक बच्चन- सैयामी खेर (घूमर )

सच कहूँ, तो मैंने जितनी बार भी अभिषेक बच्चन से बातचीत की है, महसूस किया है कि अभिषेक बच्चन में कन्विंसिंग पॉवर और दूसरे को समझने की समझ अच्छी है। शायद यही वजह है कि आर बाल्की को उनमें अपनी फिल्म के कोच नजर आया है। जी हाँ, अभिषेक बच्चन पहली बार कोच के किरदार में आर बाल्की की आने वाली फिल्म ‘घूमर’ में नजर आने जा रहे हैं। इस फिल्म में सैयामी क्रिकेट खेलती हुईं नजर आएँगी। खास बात यह है कि सैयामी खेर वास्तविक जिंदगी में भी क्रिकेट खेलती रही हैं और यह पहली बार है, जब वह पर्दे पर ऐसा किरदार निभाने जा रही हैं। इस फिल्म में अभिषेक कोच बनेंगे, जो सैयामी को बारीकी सिखाएंगे। ऐसे में वाकई देखना दिलचस्प होगा कि किस तरह से कहानी मोड़ लेती है।

शाह रुख खान-टीम हॉकी (चक दे इंडिया)

शाह रुख खान की फिल्म ‘चक दे इण्डिया’ उनके करियर की शानदार फिल्मों में से एक है। उन्होंने इस फिल्म में कोच के किरदार में शानदार भूमिका निभाई थी और दर्शकों ने उन्हें खूब पसंद किया था। उन्होंने कबीर खान के रूप में महिला हॉकी टीम के लिए कोच की भूमिका निभाई थी, जिसे एक बार गद्दार करार दिया जाता है, लेकिन खुद की इज्जत को वापस लाने के लिए कबीर खान, महिला हॉकी टीम तैयार करता है और उसे वर्ल्ड चैम्पियन बना देता है। यह फिल्म काफी इमोशन से भरपूर हैं और कबीर खान यानी शाह रुख के कई संवाद यादगार हैं। इस फिल्म के बाद शाह रुख की फैन फॉलोइंग में और अधिक इजाफा हो गया था। इस फिल्म का निर्देशन शिमित अमिन ने किया था।

मानव कॉल- परिणीति चोपड़ा ( साइना)

हाल ही में साइना नेहवाल की बायोपिक साइना’ रिलीज हुई थी, जिसमें परिणीति चोपड़ा ने लीड भूमिका निभाई थी और इस फिल्म में मानव कॉल ने परिणीति चोपड़ा के कोच की भूमिका निभाई थी। हालांकि वह एक खड़ूस और स्ट्रिक्ट कोच रहते हैं, मानव ने अपने किरदार को फिल्म में बखूबी निभाया है।

ऋचा चड्डा- कंगना रनौत (पंगा)

अश्विनी अय्यर तिवारी की फिल्म ‘पंगा’ एक ऐसी मूवी  थी, जो एक महिला जो कि शादी और बच्चे होने के बाद, अपने प्रिय खेल कबड्डी से मुंह मोड़ लेती है। लेकिन फिर से वह इस ओर मुड़ती है और फिर एक मुकाम हासिल करती है। कंगना ने फिल्म में जहाँ एक शानदार प्लेयर का किरदार निभाया है, ऋचा चड्डा ने भी कोच की भूमिका में जान डाल दी है। फिल्म में ऋचा के एक से बढ़ कर एक संवाद हैं, जो काफी रोचक हैं और आपको मनोरंजन भी करते हैं।

विनीत कुमार सिंह- भूमि पेडनेकर, तापसी पन्नू (सांड की आंख)

विनीत कुमार सिंह ने फिल्म ‘सांड की आंख’ फिल्म में तापसी पन्नू और भूमि पेडनेकर के किरदार चंद्रो तोमर और प्रकाशी तोमर के कोच डॉ यशपाल का किरदार निभाया है, जो दोनों को शूटिंग सिखाता है और उनका मनोबल भी बढ़ाता है। विनीत ने अपने किरदार में जान डाल दी है, यह फिल्म उनके किरदार के लिए भी याद रखी जायेगी। विनीत ने जिस तरह से दोनों का मनोबल बढ़ाया है, जिंदगी में जब ऐसे कोच होते हैं, तभी दुनिया संवरती है, इसलिए कोच की भूमिका जिंदगी के हर मैदान में जरूरी होती है। विनीत के किरदार ने फिल्म में वहीं साबित किया है।

इनके अलावा ’83’ फिल्म में मान सिंह का किरदार पंकज त्रिपाठी ने निभाया है। हालाँकि वह टीम इण्डिया के उस वक़्त कोच भी थे और मैनेजर भी।

दरअसल, सच ही है जिस तरह अर्जुन को द्रोणाचार्य का साथ मिला, जब जाकर अर्जुन,अर्जुन बनें,  किसी भी गेम में या जिंदगी में भी आपको अगर सही कोच मिलते हैं, तो आप जिंदगी में बहुत आगे बढ़ पाते हैं। मेरा ऐसा मानना है कि ऐसी फिल्में, जिसमें ऐसे रोचक कलाकार और किरदार होते हैं, वह आपको काफी इंस्पायर करते हैं, जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए और बेहतर कुछ करने के लिए।