लेखिका सुतापा सिकदर के कामों से मैं हमेशा से ही प्रभावित रही हूँ। सुतापा ने अपने करियर में बहुत ही चुनिंदा काम किये हैं, लेकिन उन्होंने जो भी काम किये हैं, उसमें उन्हें  महारथ हासिल है।  सुतापा किसी भागदौड़ और किसी रेस का हिस्सा बनने में यकीन नहीं रखती हैं, तभी तो वह अपने मिजाज के बेहतरीन प्रोजेक्ट्स गढ़ती रही हैं। यह सच है कि वह उम्दा अभिनेता इरफ़ान खान, जो अब हमारे बीच नहीं हैं, उनकी पत्नी हैं। लेकिन सिर्फ उनकी यही पहचान नहीं हैं। लोगों को इस बारे में जानना चाहिए कि सुतापा न सिर्फ लेखिका, बल्कि अभिनेत्री और निर्माता भी रह चुकी हैं। उन्होंने ‘कहानी’,’मदारी’ और ‘ख़ामोशी’ जैसी फिल्मों के लिए लेखन किया है। ‘शब्द’, ‘सुपारी’ जैसी फिल्मों के संवाद भी लिखे हैं। टीवी सीरीज स्टार बेस्ट सेलर्स 90 के दशक में बेहद लोकप्रिय रहे हैं, उनके लिए भी लेखन किया है। जाहिर है कि उन्हें इसका अच्छा अनुभव है और वह जब किसी लेखन के बारे में बातें करें तो सुनने की चाहत होती है।

ऐसे में सुतापा का स्क्रीन राइटर एसोशिएशन अवार्ड ज्यूरी का हिस्सा बनना भी नए लेखकों के लिए एक हौसला बढ़ाने की बात है। जी हाँ, सुतापा इस बात से बेहद खुश हैं कि नए ज़माने में, नए तरीके के काम हो रहे हैं लेखन में।

हाल ही में उन्होंने आज के युवा कॉन्टेंट पर बन रही फिल्मों पर एक बड़ी बात कही।

सुतापा ने कहा

वर्तमान दौर में युवाओं की फिल्मों को ओटीटी पर खूब दर्शाया जा रहा है। इन दिनों कहानियों में नयापन और बेबाकपन आया है। लोग विषयों को लेकर ओपन अप हुए हैं, जो कि बहुत अच्छी बात है।

सुतापा ने युवाओं को किस तरह की कहानी अपील कर रही हैं, इस बारे में बात करते हुए कहा कि मुझे लगता है कि युवा पीढ़ी बहुत ज्यादा एक्सप्लोर करने में यकीन रखती है, साथ ही वह हमारे जेनरेशन से अधिक उन्हें एक्सपोजर भी मिल रहा है। वह वर्ल्ड सिनेमा को एक्सप्लोर कर रहे हैं। वह अधिक सिनेमा से परिचित हैं, इसलिए बहुत जरूरी है कि जो पहले से फार्मूला चला आ रहा है, उस पर काम किया जाए।

सुतापा आगे ये भी कहती हैं

मुझे लगता है कि स्क्रिप्ट को लेकर उनका जुड़ाव थोड़ा अलग हैं। हमारी नैतिकता और हमारी नैतिकता की भावना पूरी तरह से अलग थी। इसलिए हम 10 साल पहले की सामाजिक व्यवस्था पर काम नहीं कर सकते। मुझे लगता है कि युवा ऐसी फिल्म की तलाश में हैं, जिसे वो अपना समझ सके, जिससे वह एक कनेक्ट महसूस कर सके, क्योंकि फिल्में तो वे सिर्फ मनोरंजन के लिए जाते हैं। मुझे लगता है कि हमें उन्हें ऐसी स्क्रिप्ट वाली फिल्म दर्शाने की जरूरत है, जिसे देख वह उसे अपना कह सकें और उन कहानियों पर विश्वास कर सकें।

वैसे सुतापा भी उन राइटर्स की सोच के इत्तेफाक रखती हैं जो वक्त के हिसाब से कॉन्टेंट को बदलने में और युवा पीढ़ी को अपील करें। सुतापा को बेबाक और शानदार स्क्रिप्ट लिखने में ही यकीन करती हैं।  

दिलचस्प बात है कि राइटर्स के मनोबल को बढ़ाने के लिए स्क्रीन राइटर एसोसिएशन अवार्ड ज्यूरी का जो गठन किया गया है, वह सिनेप्रेमी और लेखकों के लिए बहुत गर्व की बात है। ऐसे में इससे सुतापा सिकदर जैसी शख्सियत का जुड़ना और बड़ी बात हो जाती है।  

मैंने सुतापा को जितना फॉलो किया है, उनका पूरा सफर, जीवन को लेकर उनका नजरिया, मुझे हर बात आकर्षित करती है। इतनी सफलता, शोहरत मिलने के बावजूद सुतापा को सादगी पसंद जिंदगी जीना ही पसंद है। मुझे उनका वह वीडियो काफी इमोशनल लगा था, जब वह अपने बेटे बाबिल को इरफ़ान खान के देहांत के बाद, इरफ़ान के अवार्ड को ग्रहण करने के लिए तैयार कर रही थीं, बाबिल ने इरफ़ान खान का ही लुक ले रखा था। सुतापा की नजरों में इरफ़ान के लिए वह प्यार नजर आ रहा था। सुतापा के पूरे व्यक्तित्व में जो ठहराव दिखता है, उससे स्पष्ट होता है कि सुतापा की लेखनी में कितना ठहराव होगा, मुझे तो बेसब्री से इंतजार है कि एक बार फिर से सुतापा लेखनी की तरफ वापसी करें और मेरे साथ-साथ दर्शकों तक भी प्यारी कहानी पहुंचे।