ओटीटी पर एक तरफ एक दुनिया चल रही है, जहाँ के निर्देशक थ्रिलर में ही अपना जहाँ बसा रहे हैं, फिर यह अलग बात है कि थ्रिलर के नाम पर वह कैसी भी कहानियां दर्शकों के सामने परोस रहे हैं। कई सारी देखी सुनी कहानियां सामने आ रही हैं और ओटीटी की ही दुनिया में एक अलग गैलेक्सी आकर्ष खुराना जैसे निर्देशक भी बना रहे हैं, इस गैलेक्सी में जो भी सितारें वे आसमान पर नहीं, बल्कि नीचे जमीन पर चमकते हैं। यह कहानियां एकदम हमारे आस-पास की होती है। इस गैलेक्सी में इमोशन भी होते हैं और परिवार वाला डिवोशन भी। यहाँ पड़ोसी की नोंक-झोंक से लेकर, मियाँ-बीवी की तकरार,तो कॉलेज में दोस्तों की टांग-खिंचाई से लेकर, अब भी ग्रीटिंग कार्ड वाला प्यार भी। मैंने आकर्ष खुराना जैसे निर्देशकों की ऐसी गैलेक्सी को कई बार नजदीक से झाँक कर देखा है और हर बार वहां उजाला ही नजर आया है, इन सितारों को देख कर ऐसा लगता है कि अब भी कुछ लोगों की जिंदगी का असली थ्रिल अपने परिवार के साथ थोड़ा वक़्त निकाल लेने में, तो कभी दोस्तों के साथ कुछ पल फुर्सत के बीता लेने का है। इसी क्रम में आकर्ष खुराना और आधार खुराना की गैलेक्सी का एक नया जगमगता शो है जुगाड़ीस्तान’आकर्ष की मेकिंग अंदाज़ से मैं अच्छी तरह से वाकिफ हूँ और यही वजह रही जिसकी वजह से मैं यह सीरीज देखने के लिए प्रभावित हुई। साथ ही सुमीत ब्यास, अहसास चन्ना और मेरे पसंदीदा गोपाल दत्त भी इस सीरीज में हैं। मतलब इतने सारे टैलेंट एक साथ किसी सीरीज में हों, तो पूरी उम्मीद थी ही कि सीरीज में कुछ तो अलहदा होगा और शुक्र है कि मैं निराश नहीं हुई हूँ। कॉलेज लाइफ जीने वाले यंगस्टर्स के लिए एक आम लेकिन खास नजरिया और कहानी दर्शाती है यह सीरीज। सीरीज में रोमांस, ड्रामा, कॉमेडी, इमोशन और वह सबकुछ है, जो जिंदगी के रस हैं हमारे।

क्या है कहानी

सीरीज में दो कहानियां पैरल रूप से चल रही होती हैं। एक कहानी तारुश खेतरपाल (अर्जुन माथुर)  की है, जो कि एक पत्रकार है और उसका साथी आदित्य सिक्का (कीथ) है, दोनों को जिम्मेमदारी मिलती है एक स्टूडेंट प्रियंका ( याशिका गौर) की मौत का पता लगाने की, जिसे आत्महत्या कह कर केस को रफा-दफा करने की कोशिश है। वहीं दूसरी तरह रूही सदा( रुक्सार), लकी( तारुक रैना), देविका (जरीन शिहाब), आयेशा रहमान( अहसास चन्ना) एक सिटी यूनिवर्सिटी से जुड़े हैं, उनकी दुनिया है।  इन सबकी जिंदगी गौरव भट्टी (सुमीत ब्यास), जो कि जेनरल सेक्रेटरी ऑफ़ द स्टूडेंट्स हैं, उसने कैसे तबाह कर रखी है। यह इस पूरी कहानी में दिखाया गया है।कहानी में कई सारे ट्विस्ट और टर्न्स हैं, जो कि काफी दिलचस्प तरीके से एपिसोड दर एपिसोड दर्शाते जाते हैं। दो कहानियों के तार कैसे दिलचस्प तरीके से मेकर्स ने जोड़े हैं, यह इस कहानी में और नयापन लाता है।  सीरीज के ट्रेलर में ही इस पूरी सीरीज का सार है, जहाँ गांधीजी की बात होती है कि गांधी जी ने कहा है कि पाप से नफरत करो, पापियों से नहीं। तो इस कहानी में जुगाड़ प्रथा खूब चली है। कहानी कॉलेज जिंदगी की है। इस कहानी में भले ही मस्ती-मजाक और काफी ड्रामा हो। लेकिन इस सीरीज की सबसे ख़ास बात यह है कि यह स्टूडेंट्स की जिंदगी की एथिक्स और उनके विचारों पर बात करती है। जैसा कि सीरीज का नाम ही दर्शा रहा है कि जिंदगी जुगाड़ के बगैर नहीं चल सकती है। ऐसे में निर्देशक ने पृष्ठभूमि में, कॉलेज लाइफ को चुना है। शुरुआत के जहाँ कुछ एपिसोड हल्के-फुल्के अंदाज़ में हैं, कुछ एपिसोड के बाद कहानी इंटेंस और गंभीर होती जाती है और कई ऐसी परतें एडुकेशन सिस्टम के बारे में खुलती हैं, जिनसे मैं तो अबतक अनजान थी।

बातें जो मुझे पसंद आयीं

  • सीरीज में कुछ भी ओवर द टॉप जाकर प्रस्तुत करने की कोशिश नहीं की गई है। हमारे देश में ऐसे कई कॉलेज हैं, जहाँ ऐसी दुनिया बसती है और निर्देशक ने उससे रूबरू कराने की कोशिश की है।
  • आज भी हमारे भारत में अपने भविष्य के उज्जवल सपनों पर पैसे और पॉलिटक्स हावी है, इसका जीता जगता चित्रण इस कहानी में दिखाया गया है। किस तरह पैसों के दम पर, जो होनहार नहीं, उसको सीट दिलवाई जाती है और जिनके पास पैसे नहीं, उनसे उनका भविष्य छीना जाता है, इस पूरे कॉन्ट्रास्ट को सीरीज में अच्छी तरह से प्रेजेंट किया गया है।
  • कहानी में यूनिवर्सिटी के अंदर होने वाले घपलों पर तो फोकस करती ही है, साथ ही ह्यूमन इमोशन पर भी कैमरा ज़ूम इन करती है, जिसमें दोस्ती, लक्ष्य के लिए कुछ भी कर गुजरने की तमन्ना,  प्यार, दिल टूटना, एक दूसरे पर क्रश और बहुत सारे ह्यूमन एंगल हैं, जिन्हें एकदम रियलिटी के साथ प्रस्तुत किया गया है।
  • कहानी में एक थ्रिलर हिस्सा भी है, जो कि आपका ध्यान आकर्षित करता है। साथ ही इस सीरीज की खूबी है कि यह कहानी जबरदस्ती के जातिवाद के मुद्दे या फिर वैसे मुद्दे, जिसमें खूब भाषणबाजी और बेवजह के इमोशन क्रिएट कर, कंट्रोवर्सी क्रिएट की कोशिश होती है मेकर्स की। यहाँ मेकर्स अपने अप्रोच में बिल्कुल स्पष्ट हैं। वह छात्रों की दुनिया में ही रंगे रहे हैं और उनकी दुनिया पर ही उन्होंने फोकस किया है।
  • लोकेशन, परिवेश, संवाद कहानी के मुताबिक सटीक हैं।
  • इस सीरीज में बेहद सलीके से सटायर के रूप में, हमारे देश के एजुकेशन सिस्टम का तमाशा कैसे बनाया जाता है, वह इसमें हूबहू तरीके से दर्शाया गया है। कहानी एक ऐसी यूनिवर्सिटी की है, जहाँ स्टूडेंट्स कोई मेडिकल, तो कोई जर्नलिज्म, तो ऐसे कई क्षेत्र की पढ़ाई करने आते हैं। ऐसे में एक पूरा गिरोह कैसे कमजोर छात्र, लेकिन पैसों वाले छात्रों के नाम पर फर्जीवाड़ा कर, टॉपर्स द्वारा एग्जाम दिलवाते हैं और पैसे कमाते हैं, इस पूरे स्कैम का चिट्ठा खोला है।
  • स्टूडेंट इलेक्शन के नाम पर होने वाले करप्शन की भी असली तस्वीर इस सीरीज में प्रस्तुत की गई है। कई जगह कहानी कहने का अंदाज़, आपको हरिशंकर परसाई और श्री लाल शुक्ल जैसे उपन्यासकारों से प्रभावित नजर आएगी, जो ऐसे सटायर लिखने में माहिर हुआ करते थे। छात्रों से लेकर, दलाल,  छात्र संघ, कॉलेज मैनेजमेंट, पॉलिटिक्स और इन सबकी जो मिली-जुली सरकार चलती है, इससे ही यह जुगाड़ीस्तान की कहानी बनी है।
  • अगर आपने कॉलेज लाइफ जी है, तो यह शो पूरी तरह से नॉस्टैलिजिक फीलिंग में लेकर जाता है, मैंने इस कहानी से पूरी तरह कनेक्ट किया ।
  • सीरीज के लेखक टीम की भी तारीफ़ होनी चाहिए, जिन्होंने कॉलेज लाइफ के छोटे-छोटे नुआन्सेज को खूबसूरती से शब्द दिए हैं। संवाद को एकदम रियल रखने की कोशिश की है।

अभिनय

इस सीरीज की खासियत इस सीरीज की कास्टिंग है। जहाँ सुमीत व्यास ने अपने जाने-पहचाने अंदाज़ से एकदम अलग हट कर किरदार को निभाया है। अहसास चन्ना ने भी अपने किरदार में अच्छा एक्सपेरिमेंट किया है। इनके अलावा गोपाल भट्ट ने दिल जीता है। परमब्रत ने छोटे ही किरदार में ही सही, लेकिन काफी अच्छी उपस्थिति दर्ज की है। अर्जुन माथुर और कीथ ने भी अपना बेस्ट देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। शेष कलाकारों का भी शानदार काम है।

बातें जो बेहतर होने की गुंजाईश थी

सीरीज की अवधि कम की जा सकती थी, हर एपिसोड के हिसाब से। साथ ही कुछ घटनाएं विश्वसनीय नहीं लगती हैं, उनके बगैर भी कहानी पूरी हो सकती थी। उन्हें शामिल करने की खास जरूरत नहीं थी।

लेकिन मुझे ऐसा लगता है कुछ-छोटी खामियों के बावजूद, यह सीरीज फ्रेश अप्रोच के साथ आती है और बतौर दर्शक भी मौका देती है कि आप ओटीटी पर कुछ हट कर देखें, वरना थ्रिलर और किलर के बीच ऐसी कहानियां दर्शकों की रेंज तक पहुँच पाने में ही असमर्थ हो रही हैं। मैं मानती हूँ कि ऐसी युवाओं को लेकर बनाई गई ईमानदार कोशिशों की सराहना की जानी चाहिए और ऐसी कहानियों का बनते रहना, युवाओं को कहानियों से कनेक्ट करते रखने जैसा है।

वेब सीरीज : जुगाड़ीस्तान

कलाकार : सुमित व्यास, अहसास चन्ना, याशिका गौर, प्रियंका तोमर , कीथ, तन्वी आजमी, हिमिका बोस, अर्जुन माथुर, परमब्रता चटोपाध्याय और अन्य

निर्देशक  : आधार खुराना और आकर्ष खुराना

ओटीटी चैनल : Lionsgate Play

मेरी रेटिंग 5 में से 3. 5 स्टार्स