एक जमाना था, जब हिंदी फ़िल्मी दुनिया में स्टार्स कदम रखते थे,  तो न वे और न उनके पेरेंट्स कभी इस बात पर फोकस करते थे कि शिक्षा भी बेहद जरूरी है, लेकिन धीरे-धीरे दौर बदला, अब तो स्टार्स की भी यही कोशिश होती है कि वह पहले अपने बच्चों की पढ़ाई पूरी करें, फिर उन्हें इस इंडस्ट्री में कदम रखने दें। दरअसल, यह बेहद जरूरी भी है कि एजुकेशन यानी शिक्षा को वह सम्मान मिले, ऐसे में बॉलीवुड की फिल्मों ने भी लगातार शिक्षा को सम्मान देना शुरू किया है और वे लगातार ऐसी फिल्में बना रहे हैं, जिसमें शिक्षा की जरूरत को खूबसूरती से दर्शाया गया है। साथ ही एजुकेशन सिस्टम के भी खूबियों और कमियों को दर्शाया गया है। अभिषेक बच्चन, निम्रत कौर और यामी गौतम की की आने वाली फिल्म दसवीं भी ऐसी ही फिल्मों में से एक है, जो एक नेता के दसवीं की परीक्षा पास करने की जद्दोजहद की कहानी है। ऐसे में मैं ऐसी ही 6 फिल्मों की चर्चा यहाँ करने जा रही हूँ।

दसवीं

अभिषेक बच्चन, यामी गौतम और निम्रत कौर की यह फिल्म एजुकेशन के महत्व को खूबसूरती से दर्शाएगी, ऐसी मुझे उम्मीद है, फिल्म के ट्रेलर से जो बात उभर कर सामने आई है कि यह कहानी एक नेता की है, जो जेल जाता है और फिर वहां से दसवीं की पढ़ाई पूरी करता है। वाकई में,  यह एक दिलचस्प कॉन्सेप्ट है, जो दर्शाएगी कि एजुकेशन की जरूरत क्यों है और क्यों हर इंसान को हक़ है की वह खुद को शिक्षित करें। इस फिल्म का निर्देशन तुषार जलोटा ने किया है और फिल्म 7 अप्रैल को अमेजॉन प्राइम वीडियो और जियो सिनेमा पर एक साथ स्ट्रीम होगी।

अंग्रेजी मीडियम

इरफ़ान खान की उम्दा फिल्मों में से एक और उनकी आखिरी फिल्म के रूप में अंग्रेजी मीडियम हमेशा ही याद की जाएगी। इरफ़ान खान की इस फिल्म में एक पिता के बेटी को विदेश में पढ़ाने की जद्दोजहद को दिखाया गया है कि एक पिता अपनी बेटी को पढ़ाने के लिए क्या कुछ नहीं कर जाता है। फिल्म में राधिका मदान ने मुख्य किरदार निभाया है , वह इरफ़ान की बेटी के किरदार में हैं। इस फिल्म से शिक्षा का यह रूप सामने आता है कि किस तरह से अंग्रेजी मीडियम में बच्चों को पढ़ाना आसान नहीं होता है। होमी अदजानिया ने इस फिल्म का निर्देशन किया है।

हिंदी मीडियम

हिंदी मीडियम भी एजुकेशन सिस्टम की कमी को दर्शाती है, जिसमें यह दिखाते हैं कि किस तरह से यहाँ वर्ग विभाजन है और एक आदमी अपनी बच्ची के एडमिशन के लिए कैसे पूरा दांव-पेंच खेलता है, साथ ही यह फिल्म में दर्शाया जाता है कि कैसे अमीर लोग इस बात का फायदा उठाते हैं और गरीबों को मिली स्कीम्स का भी, अपने फायदे के लिए।  इस फिल्म में इरफ़ान खान और सबा कमर ने मुख्य भूमिकाएं की थीं।

तारें जमीन पर

तारें जमीन पर, आमिर खान द्वारा निर्देशित ऐसी फिल्म रही है, जिसमें इस बात को दर्शाया गया कि शिक्षा की जब बात आती है, तो हर बच्चा एक समान होता है और इसमें कोई भेद नहीं किया जाना चाहिए। यह फिल्म यह भी दर्शाती है कि बच्चों को किस तरह से किसी रेस में शामिल करने की भूल नहीं करनी चाहिए। इस फिल्म में आमिर खान और दर्शील सफारी ने मुख्य किरदार निभाया था।

नील बट्टे सन्नाटा

अश्विनी अय्यर तिवारी द्वारा निर्देशित यह फिल्म इस बात को दर्शाती है कि शिक्षा ग्रहण करने की कोई उम्र नहीं होती है, इसलिए कभी भी शिक्षा को उम्र में नहीं बांधना चाहिए। इस फिल्म की कहानी में एक काम वाली महिला, अपनी बेटी को पढ़ाने और उसको समाज में इज्जत मिल सके, इसकी कोशिशों में जुटी रहती है, ताकि अपनी बेटी की नजरों में उसे सम्मान मिल सके। इस फिल्म में स्वरा भास्कर ने गजब का अभिनय किया था। यह उनकी बेस्ट परफॉर्मेंस वाली फिल्मों के रूप में हमेशा ही याद की जाएगी।

Source : Instagram I @reallyswara

थ्री इडियट्स

थ्री इडियट्स हिंदी सिनेमा की यादगार फिल्मों में से एक है, इस फिल्म में एजुकेशन सिस्टम को लेकर कई सारे दिलचस्प सवाल उठाये गए हैं और उसे लॉजिक के माध्यम से समझाया गया है कि हमारी एजुकेशन सिस्टम की यह बड़ी परेशानी है कि इसमें किसी भी स्टूडेंट के एजुकेशन की जानकारी पर नहीं, बल्कि नंबर्स पर फोकस किया जाता है, यही वजह है कि स्टूडेंट नंबर्स लाने में ही लगे होते हैं, लेकिन वह क्या पढ़ते हैं, उसके पीछे लॉजिक का कोई भी ध्यान नहीं रखा जाता है, इसलिए ज्यादातर बच्चे पढ़ तो लेते हैं, लेकिन वह उसे अपनी जिंदगी में व्यवहारिक रूप से इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं।  फिल्म में आमिर खान, आर माधवन, शरमन जोशी और करीना कपूर ने अहम भूमिका निभाई थी और राजकुमार हिरानी ने इस फिल्म को निर्देशित किया था।

Source : Instagram I @vidhuvinodchoprafilms

वाकई में, यह फिल्में बड़ी ही खूबसूरती से अपने मेसेज के साथ एजुकेशन के विभिन्न रूपों को दर्शाती है। ऐसे में मुझे पूरी उम्मीद है कि अभिषेक की फिल्म दसवीं भी एक अच्छा मेसेज देगी और मेरे जैसे सिने प्रेमी उन्हें देखना पसंद करेंगे।