उन्होंने शुरुआत टीवी की दुनिया से की, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने अपने अभिनय को इस तरह से निखारा कि उनके अभिनय की परख बड़े पर्दे के निर्देशकों को भी हुई और लगातार अब वह बड़ी फिल्मों में अहम किरदार निभाते हुए नजर आ रहे हैं, अपने दमदार अभिनय के साथ-साथ, पूरी दुनिया में छा जाने वाले इन्हीं शख्स ने बाहुबली में प्रभास को आवाज भी दी, जी मैं बात कर रही हूँ एक उम्दा कलाकार शरद केलकर की, जिन्होंने कम समय में ही हिंदी सिनेमा के साथ-साथ और भी कई भाषाओं की फिल्मों में अपना नाम बना लिया है। शरद केलकर वर्कोहलिक हैं और उन्हें काम किये बगैर चैन नहीं आता है और मेरा मानना है कि जूनूनी कलाकार तो एक मुकाम हासिल कर ही लेते हैं, लेकिन बेचैन कलाकार हमेशा ही कुछ नया और अनोखा करने में विश्वास रखता है, मुझे शरद में यही बेचैनी दिखती है और इसलिए मुझे ऐसा लगता है कि वह लगातार अच्छे प्रोजेक्ट्स का हिस्सा बन रहे हैं, अच्छी बात यह है कि वह खुद को टाइपकास्ट नहीं कर रहे हैं और ऑपरेशन रोमियो जैसी फिल्मों का भी चुनाव कर रहे हैं। शरद से मैंने उनकी इस फिल्म के बारे में और उनके अबतक के सफर पर बातचीत की है, मैं यहाँ उस बातचीत के कुछ अंश पेश कर रही हूँ।

टाइपकास्ट नहीं होना है

शरद का कहना है कि वह ऐसे किसी प्रोजेक्ट का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं, जिसे देखने के बाद, दर्शक कहें कि शरद ने ऐसा पहले भी किया है। इस किरदार के बारे में शरद ने बताया है कि मुझे इस किरदार के बाद, इस बार खूब गालियां भी पड़ेंगी और जूते-चप्पल भी पड़ेंगे, क्योंकि मैं फिल्म में नेगेटिव किरदार में हूँ और ऐसा मैं पहली बार कर रहा हूँ, लेकिन मुझे खुद को चैलेन्ज करने में अच्छा लगा।

वह इस बारे में कहते हैं

मुझे बोरिंग चीजें करना पसंद नहीं हैं, यही वजह है कि मैं हमेशा कुछ नया और चैलेंजिंग चीजों की खोज में रहता हूँ, मैं नहीं चाहता कि दर्शक मुझे देखें और कहें कि इसने फिर से वहीं कर दिया, मुझे खुद को टाइपकास्ट नहीं करना है, इसलिए मैं बहुत लालची कलाकार हूँ, जल्दी संतुष्ट भी नहीं होता, मैं लगातार नए निर्देशकों के साथ काम करते रहना चाहता हूँ, मैं तो बहुत बेशर्म भी हूँ, निर्देशकों से खुल कर काम मांगता हूँ। मैं एक वर्कोहलिक एक्टर भी हूँ, घर पर बैठे नहीं रह सकता, पागल हो जाऊंगा, लॉक डाउन में भी मैं चार महीने घर पर रहा, उसके बाद मैंने लगातार सिर्फ और सिर्फ काम ही किया है।
Source : Instagram I @sharadkelkar

मोरल पुलिसिंग के बारे में पेरेंट्स को बच्चों से बात करनी जरूरी है

शरद केलकर, मोरल पुलिसिंग के मुद्दे पर बनी अपनी फिल्म ऑपरेशन रोमियो को इसलिए भी एक अहम फिल्म मानते हैं कि आज के युवाओं को ही नहीं, उनके पेरेंट्स को भी पता होना चाहिए कि ऐसी सिचुएशन में क्या किया जाना चाहिए।

वह विस्तार से कहते हैं

सबसे पहले तो लोगों को मोरल पुलिसिंग से जुड़े मुद्दे के बारे में पता होना चाहिए, इससे जुड़े कानूनों के बारे में पता होना चाहिए, अगर कोई आकर आपको जबरदस्ती रोड पर या कहीं तंग करता है, तो आप क्या अहम कदम उठा सकते हैं, उस समय डरने की भी जरूरत नहीं है, क्योंकि पुलिस भी बेवजह कुछ नहीं कर सकती आपके साथ, मेरा तो मानना है कि पेरेंट्स को चाहिए कि वह खुल कर अपने बच्चों से इस मुद्दे पर बात करें, प्यार किया है या कोई दोस्त या गर्ल फ्रेंड हैं या बॉय फ्रेंड हैं, तो उनकी भावना को समझिए, उन्हें डरा धमका कर रखने की जरूरत नहीं है, वरना गलत लोग ऐसे ही धमकाते रहेंगे, इसलिए मेरा मानना है कि ऑपेरशन रोमियो जैसी फिल्में देखने के बाद, सबसे ज्यादा इन्फॉर्मेशन पेरेंट्स को ही मिलने वाली है।
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वक़्त के साथ संसोधन जरूरी हैं

मोरल पुलिसिंग के मुद्दे को लेकर शरद ने एक अहम बात कही

वह कहते हैं

मैं एक धर्म निरपेक्ष इंसान हूँ और मैं मानता हूँ कि जिस तरह से वक़्त बदलता है, उस तरह से समय-समय पर नियमों में भी बदलाव जरूरी है। ये नहीं कि जो एक बन गया है, वहीं चलता आये, संसोधन होने चाहिए, तभी बदलाव संभव है।

बेटी का बनना है दोस्त

शरद कहते हैं कि वह अपनी  बेटी, जो कि अभी केवल 8 साल की है, एक पिता नहीं, बल्कि दोस्त की तरह उसके साथ रहना चाहते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि वक़्त अब बच्चों को डरा धमका कर रखने वाला नहीं है।

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वह विस्तार से कहते हैं

मेरे पिताजी और माँ तो उस दौर में भी ऑर्थोडॉक्स नहीं थे, उन्होंने मुझे किसी चीज में मनाही नहीं की, कॉलेज के दिनों में भी मैं उनसे सब शेयर करता था, वह कभी गलत तरीके से रिएक्ट नहीं किया करते थे, उनके साथ का ही नतीजा है कि इंजीनियरिंग के बावजूद मुझे अभिनय करने दिया, मैं भी मेरी बेटी के साथ वैसा ही रिश्ता बनाना चाहता हूँ, आजकल दौर है भी नहीं कि बच्चों को डरा धमका लिया जाये, इसलिए मैं उसके साथ, जब बड़ी हो जाएगी, हर तरह की बात शेयर करना चाहूंगा और उसे सुनना चाहूंगा।

राउडी जैसा था मैं, बेटी के बाद जिंदगी में सुकून आया

शरद कहते हैं कि जब आप पेरेंट्स बन जाते हैं तो आपको कई चीजें समझ आती है, उनमें भी कई बदलाव आये हैं।

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वह बताते हैं

मैं तो पूरी तरह से राउडी था, मेरे शहर का थोड़ा असर था, गुस्सा तो इतना करता था कि क्या बताऊँ, लेकिन फिर मेरी जिंदगी में जब मेरी बेटी आयी, उसकी वजह से मैं काफी शांत हो गया, मुझे समझ आया कि धैर्य से काम करना पड़ता है, आप चीख-चिल्ला के बातें नहीं कर सकते हैं। इसका फायदा मुझे हुआ है कि अब मैं शांत हो गया हूँ और चीजों को समझदारी से अधिक सॉल्व करता हूँ।

राजामौली का फैन था, तो कोई फीस नहीं ली

मैंने जब शरद से जानना चाहा कि बाहुबली के बाद, उन्होंने किसी साउथ इंडियन फिल्म की डबिंग नहीं की, तो इस पर शरद ने कहा कि बाहुबली का उनकी जिंदगी में खास स्थान हमेशा रहेगा। उन्होंने इस फिल्म को करने के पीछे की खास वजह भी बतायी.

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वह कहते हैं

मैं राजामौली सर का हमेशा से फैन हूँ, उनकी आरआरआर भी कमाल की बनी है, इस फिल्म में तो सभी ने अपनी हिंदी डबिंग खुद से ही की है, मैं बी बाहुबली की बात करूँ , तो मैंने उस फिल्म में अपनी डबिंग करने के लिए कोई फीस नहीं ली थी, क्योंकि मैं उनका फैन था और बस उनके साथ काम करने के लिए फिल्म की और मुझे इस फिल्म से जो लोकप्रियता मिली, वह मेरे लिए अनमोल रहेगी।

शरद ने लेकिन बताया कि डबिंग की दुनिया में फीस सम्मानजनक नहीं है

शरद कहते हैं

मैं सारे डबिंग आर्टिस्ट को सलाम कहना चाहूंगा कि वह जिस तरह से काम और मेहनत करते हैं, मेरा मानना है कि उस हिसाब से उन्हें मेहनताना नहीं मिलता है, बहुत ही कम पैसे मिलते हैं, जबकि मेहनत दोगुनी होती है, इसलिए मुझे बेहद अफसोस हुआ, जब मैंने ये सब जाना, मैं चाहूंगा कि डबिंग आर्टिस्ट को उनका हक़ मिले .
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मुझे  शरद से बात करके, इसलिए भी बेहद ख़ुशी हुई और एक अलग अनुभव हुआ कि वह कई बार अपनी बातों में पत्नी कीर्ति केलकर का जिक्र करते रहे कि कीर्ति ने उन्हें किस तरह से उनके करियर को शेप देने में मदद की है, क्रिएटिव इनपुट्स दिए हैं, सपोर्ट किया है। अमूमन इतनी ईमानदारी से अपनी जीवनसाथी को श्रेय कम एक्टर ही दे पाते हैं। शरद की यही खासियत उन्हें अलहदा बनाती है और अभिनय तो वह उम्दा करते ही हैं, ऐसे में मैं उनकी नयी फिल्म ऑपरेशन रोमियो में उनके अवतार को देखने के लिए काफी बेताब हूँ। मुझे यकीन है कि वह कुछ अलग ही अंदाज में नजर आएंगे।