क्राइम और थ्रिलर, ओटीटी प्लैटफॉर्म के लिए, मेरे ख्याल से बेहद पसंदीदा जॉनर हैं, ऐसे में अर्जुन रामपाल की नयी सीरीज लंदन फाइल्स आई है, मुझे इस सीरीज की शुरुआत बेहद अनोखी और अलग लगी। ऐसे में कहानी से भी काफी उम्मीदें जगीं। वैसे सच कहूँ, तो अन्य सीरीज की तुलना में कहानी में नयापन है भी, लेकिन ट्रीटमेंट के लिहाज में कहानी थोड़ी अधूरी रह जाती है। अर्जुन रामपाल, सीरीज में एक डिटेक्टिव की भूमिका में हैं। कहानी लंदन की पृष्ठभूमि पर है। गोपाल दत्त, पूरब कोहली और ऐसे कई उम्दा कलाकारों का होना, इस कहानी को देखने के लिए प्रभावित करता है। मैं यहाँ विस्तार से बता रही हूँ कि सीरीज में कुछ अच्छे एंगल भी हैं और साथ ही कुछ और बेहतर होने की पूरी गुंजाइश दिखी। इस कहानी में यह भी खूबसूरती दिखी कि लंदन शहर के खूबसूरत और ज्यादातर आउटडोर लोकेशन कहानी में नजर आये।

क्या है कहानी

कहानी की शुरुआत एक जन्मदिन की पार्टी से शुरू होती है, तभी स्कूल से एक कॉल आता है और फिर कहानी एकदम अलग मोड़ ले लेती है, वह कॉल क्यों आता है और फिर कहानी में क्या ट्विस्ट आता है, यह सीरीज की दमदार शुरुआत है, जिससे निश्चिततौर पर मैं आगे के एपिसोड देखने के लिए आकर्षित हुई। ओम सिंह (अर्जुन रामपाल) सबसे बड़ा डिटेक्टिव है, लंदन पुलिस में। ऐसे में एक बड़े मीडिया टाइकॉन अमर रॉय ( पूरब कोहली ) की बेटी माया (मेधा राणा) गायब हो जाती है, इस केस को सुलझाने की जिम्मेदारी ओम सिंह को दी जाती है। कहानी में कई सारे ट्विस्ट आते हैं, ओम के सामने ऐसे-ऐसे सच सामने आते हैं, जिसे जानने के बाद वह खुद भी हैरान रह जाता है। अमर का अपनी बेटी को गायब करने में हाथ है, ओम यह मानता है और उसे इसकी वजह से अरेस्ट भी करवा देता है, लेकिन सच ढूंढना इतना भी आसान नहीं है। यहाँ से कहानी क्या मोड़ लेती है, वह ट्विस्ट और टर्न मैं यहाँ शेयर नहीं करूंगी।  वहीं, ओम खुद भी दो साल से डिप्रेशन में है। उसकी खुद की जिंदगी के दर्द के बीच, वह अपनी ड्यूटी किस तरह से पूरी कर पाता है, यह पूरी जद्दोजहद इस कहानी में दिखाई जाती है ,फिल्म में एंटी इमिग्रेशन बिल को लेकर भी प्लॉट रचे गए हैं। कहानी में इस दौरान लंदन में जो प्रोटेस्ट होते हैं, उसे भी दर्शाया जाता है।

बातें जो मुझे पसंद आयीं

कहानी की शुरुआत ही पूरी सीरीज में सस्पेंस को बरक़रार रखने में कामयाब होती है। कहानी में कुछ दिलचस्प ट्विस्ट भी आये हैं और कुछ हिस्सों में कहानी का ट्रीटमेंट कमाल का है। वेब सीरीज का नाम क्यों लंदन वेब सीरीज है, इस बात को लेकर भी निर्देशक स्पष्ट हैं, यूरोप में जब गन कंट्रोल और इमिग्रेशन क्राइसिस को लेकर हंगामा बरपा था, उसको बैकड्रॉप में लेकर अच्छी पकड़ दिखाई गयी है। कहानी में इस बात को भी खूबसूरती से दर्शाया गया है कि कुछ लोग, किस तरह से क्रान्ति के नाम पर, युवाओं को बरगलाने की कोशिश करते हैं और अपनी राजनैतिक मनसा को पूरी करते हैं। फिल्म का टेक्निकल हिस्सा भी काफी अच्छा है।

बातें जिनके बेहतर होने की गुंजाइश थीं

क्राइम और सस्पेंस ड्रामा को लेकर, इस कदर मेरा मानना है कि दर्शक इस वक़्त इतना एक्सप्लोर कर रहे हैं कि इस कहानी में उनमें नयापन कम ही आने की गुंजाइश लगेगी, जो मैंने महसूस की। ऐसी कहानियों से उम्मीद होती है कि वह चौंकाए, लेकिन जैसे-जैसे एपिसोड्स बढ़ते हैं, कहानी काफी प्रिडिक्टेबल हो जाती है। ऐसे कई दृश्य हैं, जो लॉजिकल तो नहीं ही हैं, कई जगह वह कन्विंसिंग भी नहीं हैं। साथ ही मुख्य किरदार को गढ़ने में शेष कलाकारों पर बेहतर तरीके से काम नहीं किया गया है।

अभिनय

अर्जुन रामपाल ऐसे इंटेंस किरदारों को बखूबी जी लेते हैं, इस बार भी उनका परफॉर्मेंस अच्छा है, लेकिन कई दृश्यों में ऐसा मुझे लगा है कि वह दर्शकों को कन्विंस करने में चूकते भी हैं। मैं गोपाल दत्त के लिए खुश हूँ, इस सीरीज में उन्हें टाइपकास्ट नहीं किया गया है। इसलिए उनके किरदार में एक नयापन है। पूरब कोहली ने भी इस सीरीज में खुद को चैलेन्ज किया है। सपना पब्बी सीरीज में अधिक नजर नहीं आयी हैं। सागर आर्य इस सीरीज से शाइन करते हैं।

कुल मिला कर मैं कहूँ, तो अगर आप पुराने दौर के इन्वेस्टिगेटिव स्टोरीज ड्रामा को पसंद करते आये हैं, तो यह सीरीज आपको पसंद आ सकती है, मुझे एक बात की तसल्ली है इसे देख कर कि यह रेगुलर इन्वेस्टिगेटिव सीरीज की श्रेणी में थोड़ी आगे जरूर बढ़ती है।

वेब सीरीज : लंदन फाइल्स

कलाकार : अर्जुन रामपाल, पूरब कोहली, मेधा राणा, सपना पब्बी, गोपाल दत्त

निर्देशक : सचिन पाठक

ओटीटी चैनल : वूट सेलेक्ट

मेरी रेटिंग 5 में से 3 स्टार