उनके लिए अभिनय ही उनकी लग्जरी है, महंगे जूते कपड़े और परफ्यूम से उन्हें स्वैग नहीं आता, उन्हें तो तब किक मिलती है, जब उन्हें एक ऐसा भी किरदार मिल जाए, जो पुरुष होते हुए भी लड़कियों जैसा कुछ बर्ताव करता हो, उन्हें लगता है कि इससे भयानक कोई  खलनायक हो सकता है क्या, ऐसे किरदार निभा कर भी वह संतुष्ट हैं। हाल ही में बड़ा बंगला बनाया है, वह भी मुंबई में। लेकिन बड़े बंगले में भी सबसे छोटे कमरे में ही उन्हें, छोटे बेड पर नींद आती है, क्योंकि यह एक ऐसे शख्स हैं, जिन्होंने अपने पैशन के पीछे भागते हुए कई साल संघर्ष किये हैं, तब जाकर उन्हें किरदारों को जीने के मौके मिल रहे हैं और उनकी शर्तों पर मिल रहे हैं। मैं बात कर रही हूँ, मशहूर, मेहनती और बेहद जुझारू अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी, जिनके लिए अभिनय से बढ़ कर दुनिया में कुछ नहीं है। अमूमन कई स्टार्स मानते हैं कि फिल्म इंडस्ट्री में आना, लक पर भी निर्भर करता है, लेकिन मैं नवाजुद्दीन के जज्बे को सलाम करती हूँ, जो अपने इस मुकाम का पूरा श्रेय सिर्फ अपनी मेहनत को देते हैं। सरफरोश में एक क्राउड का हिस्सा बनने से लेकर हीरोपंती 2 तक में, नवाज के अभिनय में वहीं परफेक्शन और हर बार कुछ नया करने की भूख आज भी बरक़रार है। नवाजुद्दीन, टाइगर श्रॉफ के साथ फिल्म हीरोपंती 2 में एक अलग मिजाज के किरदार में नजर आने वाले हैं, ऐसे में उन्होंने फिल्म के बारे में, इन्फ्लुएंसर्स जिन्हें रील्स और सोशल मीडिया के दम पर अभिनय करने का मौका मिल रहा है, ऐसी तमाम बातों पर बातचीत की है।

Source : Instagram I @nawazuddin._siddiqui

बंगला बनवा लिया है, लेकिन छोटे रूम में ही आती है नींद

नवाजुद्दीन सिद्दीकी अब भी जमीन से जुड़े हैं और वह नहीं भूले हैं कि उनकी पिछली जिंदगी कैसी थी, वह कहते हैं, लग्जरी लाइफ को मैं पूरी तरह से छलावा ही मानता हूँ।

वह विस्तार से कहते हैं

मुंबई में जब बँगला बना रहा था, तब ऐसा कुछ सोचा नहीं, मुझे तो छोटी जगह में बचपन से रहने की आदत है। मेरे साथ तो अजीबोगरीब बात हुई, जब मैं इस नए बंगले में शिफ्ट हुआ, तो जाहिर है, सबसे बड़ा कमरा मुझे ही मिला, लेकिन मुझे तो नींद आनी ही बंद हो गयी।  फिर मैंने अपना बेड, सबसे छोटे वाले रूम में शिफ्ट करवाया। वहां पर सिर्फ एक बेड है औऱ दो चेयर है, अब मुझे वहां काफी अच्छी नींद आती है। मुझे समझ आ गया कि मेरी औकात यही है। इसलिए उसी में खुश रहूँ, तो बेस्ट है।
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इन्फ्लुएंसर्स को रील्स के आधार पर मिल रहे मौके

नवाज, जिन्होंने काफी ट्रेनिंग लेने के बाद, फिल्मों की तरफ रुख किया है, ऐसे में जब इन दिनों मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को उनके फ़ॉलोअर्स के आधार पर सिर्फ काम मिलते हैं, इस सवाल के जवाब नवाजुद्दीन ने एकदम सटीक बात बोली है।

वह कहते हैं

आप इस बारे में सही कह रही हैं, मैं भी सुन रहा हूँ कि कई ऐसे एक्टर्स, जो काफी ट्रेनिंग के साथ आये हैं, उन्हें नहीं लेकर, ऑडिशन में जिनके फ़ॉलोअर्स अधिक हैं, उन्हें मौके दिए जा रहे हैं। लेकिन हकीकत में मैं, अपनी बात करूँ तो,  आप जब एक मिनट की चीज़ बनाते हैं, तो उसमें आप बहुत अच्छा कर सकते हैं, क्योंकि जो ट्रेंड चल रहा होता है, आपको बस उसके अनुसार नाचना-गाना करना होता है। आप एक मिनट में जो भी करते हैं, इससे लोगों का मनोरंजन हो जाता है, लोग आपको पसंद भी करने लगते हैं।  लेकिन फ़िल्म जो होती है, वह किसी क्रिकेट टेस्ट मैच की तरह होती है। आपको ढाई घंटे होल्ड करना है , तो वहां सबके घोड़े खुल जाते हैं। किरदार को पकड़े रहना मामूली बात नहीं होती है, कंटीन्यूटी मेंटेन करना और यह सबकुछ हर दिन लगभग दो से ढाई महीने आपको करना पड़ता है, यह करना आसान नहीं होता है, इसलिए मेरा मानना है कि फ़ॉलोअर्स का आधार अभिनय का आधार नहीं बनना चाहिए।
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फेमिनिस्ट टच वाला किरदार हमेशा से निभाना चाहता था

नवाजुद्दीन ने मुझसे इसी बातचीत में एक दिलचस्प बात शेयर की कि अभी हीरोपंती 2 में, जो वह लैला का किरदार निभा रहे हैं, जो काफी मेकअप करती है, उनकी चाहत हमेशा से थी कि वह कोई फेमिनिस्ट टच वाला किरदार निभाएं।

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वह इस बारे में कहते हैं

मुझे एनएसडी के दौर से ऐसा कोई किरदार निभाना था, जिसमें महिलाओं वाला मैं कुछ एक्ट कर सकूं, मुझे क्योंकि यह अपील करता है और मुझे लगता है कि ऐसा किरदार देख कर ही इंसान डर जाये, तो मुझे ऐसे अजीबो-गरीब किरदार निभाने हैं, मुझे तो अपना डेडली कॉम्बिनेशन लग रहा है यह किरदार। वैसे  बतौर एक्टर मैं विचलित रहता हूँ, मुझे हमेशा कुछ अलग करने का मन होता है। पिछले दो सालों से मुझे रोमांस करने में मजा आ रहा था, लेकिन उसका भी फेज होता है, अब वह फेज खत्म हो गया है, तो अब मुझे कुछ ऐसे किरदार करने हैं।

जितना खुद को निचोड़ा है, उतना पाया है

नवाज साफ़ कहते हैं कि वह आज जिस मुकाम पर हैं, इसके लिए वह श्रेय सिर्फ अपनी मेहनत को देंगे।

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वह कहते हैं

मैं लक जैसी बातों को नहीं मानता हूँ। जो लोग लक को मानते हैं या मानते होंगे, मैं उनको गलत नहीं मानता हूँ, लेकिन मैं अपनी बात जानता हूँ, मैं खुद को जितना निचोड़ा है, उतना पाया है, जितना खोदा है, उतना मिला है मुझे, कुछ भी आसानी से नहीं, मेरी मेहनत से मिला है, इसलिए मैं लक या भाग्यशाली जैसी बातों पर यकीन नहीं करता हूँ।

इनसेक्योर एक्टर नहीं हूँ

नवाजुद्दीन कहते हैं कि वह कभी इनसेक्योर एक्टर नहीं रहे हैं।

वह कहते हैं

मैंने जब एनएसडी से आकर यहाँ फिल्मों में काम शुरू किया, कुछ समय के बाद ही मुझे वैसे रोल्स मिलने लगे, जैसे मैं चाहता था। मुझे लगता है कि मेरी सोच तो कामयाब हुई, फिर मैं इनसेक्योर क्यों हो जाऊं। हाँ, चाइल्ड एक्टर्स के सामने टफ हो जाता है, वह शानदार एक्टर होते हैं, ऑनेस्ट होते हैं, तो आपको उनके हिसाब से तैयार होना होता है। वैसे मैं यह भी कहना चाहूंगा कि मेरे साथ अन्य एक्टर्स भी इनसेक्योर नहीं होते हैं। मेरे रोल्स आज तक नहीं कटे।

वह आगे कहते हैं

मैं हमेशा से कैरेक्टर ड्रिवेन फिल्में ही करना चाहता था, वही करना चाहता भी हूँ। मैं यहाँ यह जरूर कहना चाहूंगा कि  हमारे यहां जो फिल्में बन रही हैं सबकुछ लैविश दिखाने की होड़ है। इसमें करोड़ों रुपये भी लगे जा रहे हैं। लोग फिर उसको वापस कमाने में पागल हुए जा रहे हैं। आजकल सबको लगता है कि चौंका दो, तो फिल्में चलेंगी, मैं लेकिन इसके एकदम उलट ही चलता हूँ। मेरे लिए कैरेक्टर और कहानी जरूरी है, कहानी होगी तो एक्टर होल्ड करेगा। हमारे यहाँ सोच बदलने में टाइम लगेगा।
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एक बार दिखाई थी हीरोपंती बचपन ने

अपने बचपन के किस्से को याद करके नवाज ने बताया कि उनकी धुनाई हुई थी, जब वह एक क्रिकेट मैच खेलने गए, तो एक ग्रुप से भिड़ गए थे और उनलोगों ने नवाज की धुनाई कर दी थी, तब से वह हीरोपंती दिखाने से दूर ही रहते हैं।

वाकई, नवाज जैसे कलाकार, सिनेमा के सिरमौर हैं, जिन्होंने हिंदुस्तानी सिनेमा को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई है।  नवाज की फिल्मों की खासियत मुझे लगती है कि भले ही वह जिन फिल्मों में हों, वह फिल्में कामयाब न हों, लेकिन नवाजुद्दीन के अभिनय को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। यही वजह है कि हर बार उनके किरदारों को देखने की बेताबी रहती है, यही उत्सुकता उनकी फिल्म हीरोपंती, जो कि 29 अप्रैल को रिलीज हो रही है, उसमें भी बरक़रार है, मुझे उम्मीद ही नहीं यकीन है कि वह हमें निराश नहीं करेंगे।