इन दिनों, युवाओं में जितना क्रेज रणवीर सिंह, वरुण धवन और शेष फ़िल्मी सितारों का है, ठीक उसी तरह युवा दर्शक कुछ ऐसे सितारों से भी रिलेट कर रहे हैं, जो उनका खूब मनोरंजन अपने शानदार वेब सीरीज से कर रहे हैं, खुद मेरे परिवार में जितेंद्र कुमार, नवीन कस्तूरिया और ऐसे कई कलाकारों की खूब बातें होती हैं और खास कर युवा सदस्य मुझसे जानना चाहते हैं कि क्या मैं इनसे मिली हूँ, स्पष्ट है कि भारत की आबादी का एक ऐसा हिस्सा भी है, जो खुद को मनोरंजन की दुनिया में ‘एस्पिरेंट्स’, ‘पिचर्स ‘और ऐसी तमाम शो, जो उनकी बातें करते हैं, उनसे सम्बन्ध रखते हैं। नवीन कस्तूरिया भी ऐसे ही टैलेंट में से एक हैं और इन दिनों अपनी नयी शॉर्ट फिल्म ‘तसल्ली से’, जो कि अमेजॉन मिनी टीवी  पर स्ट्रीम हो रही है, उसे लेकर चर्चे में हैं। नवीन ने इस फिल्म और अपनी लोकप्रियता के बारे में विस्तार से बातचीत की है। मैं यहाँ बातचीत के अंश शेयर कर रही हूँ।


नकुल एक बड़ी वजह रहे फिल्म को हां कहने की

नवीन का कहना है कि वह नकुल मेहता को सालों से जानते हैं, काम करने का कभी मौका नहीं मिला था, ऐसे में यह फिल्म जब आई तो उन्होंने हाँ कह दिया।

वह बताते हैं

इस फिल्म के निर्देशक तरुण डुडेजा की मैंने पिछले साल एक  शॉर्ट फिल्म देखी थी ख्याली पुलाव और मुझे वह काफी पसंद आयी थी। फिर फिल्म में नकुल मेहता जुड़ रहे थे, तो  मैं जब भी नकुल से मिला हूँ, वह मुझे बेहद अच्छे लगते रहे हैं। वह एक बड़े ही प्यारे से इंसान हैं, तो निखिल ने मुझे यह अप्रोच किया और उन्होंने बताया कि फ्रेंडशिप की कहानी है और नकुल इसे करने वाले हैं, तो बिना स्क्रिप्ट पढ़े ही, मैंने मेरे दिमाग में यह बात रख ली थी मैं यह शॉर्ट फिल्म करूँगा। फिर जब मैंने स्क्रिप्ट भी पढ़ी तो लगा ऐसा मैंने पहले नहीं किया है, तो मैंने सोचा कि मुझे यह करना चाहिए।

तसल्ली वाली जिंदगी मुझे भी है पसंद

नवीन इस फिल्म के तर्ज पर कहते हैं कि उन्हें भी जिंदगी में थोड़ा तसल्ली से चीजों को करना पसंद है।

वह बताते हैं

मैं थोड़ा रीयल लाइफ में भी तसल्ली पसंद हूँ।  कभी-कभी मैं इस चक्कर में लेट हो जाता है, लेकिन मैं अपने काम में हमेशा परफेक्ट रहता हूँ, लेकिन निजी जिंदगी में थोड़ा रिटायरमेंट वाली फीलिंग रहती है मुझे, आराम-आराम से चीजों को करना अच्छा लगता है


युवाओं में स्टारडम एक तरह से ब्लेसिंग ही है

नवीन का कहना है कि युवा अगर उन्हें इतना पसंद कर रहे हैं, तो एक तरह से यह ब्लेसिंग ही है।

वह कहते हैं

मैं इसे ब्लेसिंग ही मानूंगा, क्योंकि इस स्टारडम के बारे में सोच कर नहीं चला था, बस मैं अच्छी कहानियों का हिस्सा ही बनना चाहता था, लेकिन यह भी नहीं कहूंगा कि जब लोग मिलते हैं और पहचानते हैं, तो अच्छा तो लगता ही है। मेरे लिए यह स्टारडम एक बोनस की तरह है। और इसमें अगर यह लोकप्रियता अच्छी कहानियों को आपके पास लाने में मदद करती है, तो यह अच्छी बात है, क्योंकि इससे अच्छे प्रोड्यूसर्स आपके पास कहानियां लेकर आएंगे। काम के पॉइंट ऑफ़ व्यू से यह अच्छा है, वरना मैं स्टारडम को ज्यादा सीरियसली नहीं लेता हूँ।

संघर्ष सबके लिए रहे हैं

नवीन कहते हैं कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि काफी संघर्ष रहा है, लेकिन उनका यह भी कहना है कि उन्होंने खुद को हमेशा मोटिवेटेड रखा है।

वह बताते हैं

मैं पीछे मुड़ कर देखता हूँ, तो काफी चीजें याद आती हैं, लेकिन जब मैं संघर्ष में थी, तब मुझे ऐसा नहीं लगता था, क्योंकि मेरा मानना है कि संघर्ष सबके लिए रहे हैं और मैंने हमेशा ही उस माहौल में खुद को मोटिवेटेड रखा है। हम कभी भी प्रिडिक्टेड नहीं रहा है, अभी मैं सोचता हूँ, तो सेन्स ऑफ़ अचीवमेंट तो लगता है और उसके बारे में सोच कर अच्छा भी लगता है। लेकिन सभी की जर्नी है, शुरुआत में सभी धक्के खाते हैं, फिर स्टेबिलिटी आती है। सक्सेस और फ्लेयर सब माइंड का ही गेम है। लेकिन अच्छा लगता है कि पैसों की तंगी नहीं है और आप अच्छे एक्टर बन गए हो।

वह आगे कहते हैं

अब इंडस्ट्री के निर्माता निर्देशक लोग आपको पहचानते हैं, तो अच्छा लगता है, लेकिन वो पहले भी हुआ करता था, क्योंकि मैं पहले दिबाकर बनर्जी का अस्टिटेंट हुआ करता था। तो मेरी डायरेक्टर्स से हमेशा से पहचान रही है, ऐसे में मेरी चाहत है कि मैंने जिन्हें भी असिस्ट किया है, मेरा बड़ा मन है कि उन निर्देशकों के साथ काम भी करूँ।


ओटीटी ने एक्टर्स को नयी दुनिया दी है

नवीन मानते हैं कि ओटीटी ने एक्टर्स की जिंदगी में क्रांति तो लाई है।

वह बताते हैं

मैं ऐसा कोई चेंज लाने के लिए पिचर्स से जुड़ा नहीं था, उस वक़्त ओटीटी का कुछ था भी नहीं। पिचर्स का पहला एपिसोड भी यूट्यूब पर आया। मैं वहां एक्टर के रूप में काम कर रहा था, मीडियम के बारे में नहीं सोचा था।  लेकिन हाँ, यह जरूर है कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि ओटीटी इतना बड़ा मीडियम बन जायेगा कि इसके अलग से अवार्ड्स होंगे। अब ऐसा लगता है कि ओटीटी की दुनिया के रिव्योल्युशन का अगर छोटा सा हिस्सा रहा, तो बड़ी बात है। मैं मनोज बाजपाई सर का इंटरव्यू पढ़ रहा था, वह कह रहे थे कि ओटीटी की दुनिया ने उन्हें नयी लाइफ दी है, तो निश्चिततौर पर अब आप अपनी कहानियां बनाने के लिए किसी पर भी डिपेंड नहीं हो, यह एक शानदार दौर है।

स्टीरियोटाइप होती ही है

नवीन का कहना है

इंडस्ट्री में स्टीरियोटाइपिंग होती है, इस बात को नकारा नहीं जा सकता है, मुझे भी समझाने में निर्देशकों को वक़्त जाता है कि मैं और भी कुछ कर  सकता हूँ, वह आपके पिछले पॉपुलर किरदारों की तरह ही ऑफर करते हैं, लेकिन पूरी तरह उनको ब्लेम भी  नहीं कर सकते हैं।


मेरा मानना है कि धीरे-धीरे ही सही नवीन को अपना मुकाम हासिल हुआ है और आने वाले समय में भी नवीन और बेहतरीन प्रोजेक्ट्स के साथ दर्शकों के सामने आएंगे और उनकी लोकप्रियता में भी लगातार इजाफा ही होगा।