बॉलीवुड के लिए यह एक अच्छा मौका था, जब पूरी तरह से महिला प्रधान के रूप में एक्शन फिल्म दर्शकों के सामने आयी। इस बात के लिए कंगना रनौत और फिल्म धाकड़ के मेकर्स बधाई के पात्र हैं। लेकिन, फिल्म के कांस्पेट को चुनने के बाद, फिल्म की कहानी को लेकर थोड़ी और सतर्कता रखी जाती तो फिल्म रोमांचक हो सकती थी। लेकिन हाँ, एक्शन सीक्वेंस के लिहाज से कंगना की मेहनत पूरी तरह से नजर आती है। इसमें कोई संदेह नहीं कि कॉन्सेप्ट यूनिक सोच के साथ आयी इस फिल्म से उम्मीदें थीं, ऐसे में क्या यह फिल्म पूरी तरह से उस उम्मीद पर खरी उतरती है या नहीं, मैं यहां विस्तार से बताने जा रही हूँ।

क्या है कहानी

कहानी ड्रैगनफ्लाई उर्फ़ अग्नि ( कंगना रनौत) से शुरू होती है, वह एक अंडर कवर एजेंट की है। ऐसे एजेंट हमने बॉलीवुड की टाइगर और बेबी फिल्मों में देखे हैं। अग्नि के पिता की बचपन में हत्या कर दी गई है, इसका मानसिक असर अग्नि पर है, इस वजह से वह भारत नहीं लौटना चाहती है, लेकिन उसे रुद्रवीर ( अर्जुन रामपाल) जो कि एक खूंखार डॉन है, उसे पकड़ने के लिए उसे उस मिशन पर जाना होता है। अग्नि की मुलाकात ऐसे में एक एजेंट से होती है, जिसकी बेटी जायरा से वह काफी जुड़ जाती है। रुद्रवीर के काले कारनामों में एक महत्वपूर्ण साथ मिलता है रोहिणी(दिव्या दत्ता) का, दोनों साथ में मिल कर लड़कियों को बेचने का काम करते हैं। ऐसे में क्या कंगना अपने माता-पिता के कातिल का पर्दाफाश कर पाती हैं और क्या रुद्रवीर की क्रूरता खत्म हो पाती है, पूरी फिल्म की कहानी में चूहे-बिल्ली का खेल चलता रहता है। अग्नि का एक बॉस है (सास्वत) वह किस तरह से पूरी कहानी में नए ट्विस्ट और टर्न्स लाता है, यह भी कहानी का अहम हिस्सा है।

बातें जो मुझे पसंद आयीं

कंगना रनौत ने इस एक्शन थ्रिलर में एक्शन दृश्यों में काफी मेहनत की है और कुछ अलग करने की कोशिश की है। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी बेहद अच्छी है ।

बातें जो बेहतर होने की गुंजाइश थी

इस फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी जो मुझे नजर आयी कि कहानी में कॉन्सेप्ट के अलावा मेकर्स ने कहानी के बिल्ड अप पर थोड़ा और ध्यान दिया होता तो कहानी बेहतर हो सकती थी। कहानी में कंगना के किरदार को निखरने के लिए काफी शानदार दृश्य बनाये जा सकते हैं, लेकिन कुछ शुरुआती दृश्यों को छोड़ कर, शेष दृश्य रोचक कम नजर आते हैं। सो जा नन्ही सो जा करके एक लोरी लगातार, बार-बार पूरी कहानी में सुनना, एक समय के बाद काफी बोरिंग लगने लगता है, फिल्म में धाकड़ डायलॉग्स की भी कमी नजर आयी। फिल्म सेकेण्ड हाफ में थोड़ी धीमी हो जाती है, उसे बेहतर किया जा सकता था।

अभिनय

कंगना रनौत ने बतौर एक्शन अभिनेत्री फिल्म में बेहतर काम किया है, लेकिन इमोशनल दृश्यों में थोड़ी कमजोर पड़ी हैं। कंगना को मैं एक बहुत ही धाकड़ अभिनेत्री मानती हूँ, ऐसे में इस फिल्म में मुझे उनसे और खास की उम्मीद थी, लेकिन वहां मैं निराश हुई। अर्जुन रामपाल के खलनायक रूप में अच्छी कोशिश की है । दिव्या दत्ता को भी इस फिल्म में निखरने का मौका मिला है, शारिब हाशमी का भी काम ठीक-ठाक है। कहानी फिल्म के फेम सास्वत का फिल्म में धाकड़ परफॉर्मेंस देते हुए नजर आये हैं।

कुल मिलाकर कहूँ तो एक्शन फिल्म के लिहाज से औसत फिल्म है धाकड़, लेकिन कंगना के फैंस उन्हें नए अवतार में देख कर जरूर खुश होंगे।

फिल्म : धाकड़

कलाकार : कंगना रनौत, अर्जुन रामपाल, दिव्या दत्ता, शारिब हाशमी और अन्य

निर्देशक : रजनीश घई