सिद्धांत चतुर्वेदी की जब पहली फिल्म ‘गल्ली बॉय’ आयी और उसमें मुझे उनका जो अंदाज़ नजर आया, उसे देख कर मन में एक छवि बनी कि वह कोई रफ एंड टफ जिंदगी जीने वाले होंगे। फिर उनकी फिल्म ‘बंटी-बबली2′ में भी उन्होंने एकदम बिंदास अंदाज़ निभाया, एक ठग की भूमिका निभाई, तो उसे देख भी एक जो छवि बनी कि शायद वह फूल मस्ती में रहने वाले और अपने दोस्तों की भी टांग खिंचाई करने में माहिर होंगे। लेकिन सिद्धांत चतुर्वेदी से जब हाल ही में उनकी फिल्म गहराइयां’ को लेकर मुलाक़ात हुई, तो उन्होंने अपनी जिंदगी के कई पहलुओं पर बातचीत की और मेरे सामने एकदम नए सिद्धांत नजर आये, उन्होंने न सिर्फ अपनी बातचीत में बताया कि बचपन में वह अपने स्कूल में अपने कर्ली बालों को लेकर काफी बूली किए गए हैं, बल्कि कई ऐड फिल्मकारों ने उन्हें अजीब सा लड़का कह कर भी अपने विज्ञापनों में आने से मना कर दिया। मैं सिद्धांत की कई बातों से इतनी इंस्पायर हूँ कि मैं उनके बारे में युवाओं से यही कहना चाहूँगी कि अगर आप सिद्धांत के फैशन स्टेटमेंट और उनके बाकी अंदाज़ों ने खूब प्रभावित हो रहे हैं तो अच्छी बात है, लेकिन यह भी कोशिश की कीजिए कि जिस तरह से सिद्धांत ने सिर्फ अपनी बदौलत पहचान बनाई है इस इंडस्ट्री में, आप उनकी जर्नी से भी इंस्पायर हो सकें।फिल्म ‘गहराइयाँ’ के प्रोमोशन के दौरान हुई उनसे बातचीत में मैंने उनकी जिंदगी की कई दिलचस्प बातें जानीं, जिससे आपको भी रूबरू कराना चाहूंगी।

बचपन में हुई है खूब रैगिंग

सिद्धांत कहते हैं कि उन्हें देख कर ऐसा लगता होगा कि वह काफी अधिक कॉन्फिडेंट हैं। लेकिन ऐसा हमेशा से नहीं था, उन्होंने तो यह भी बताया कि उन्हें इंट्रोवर्ट ही रहने की आदत थी, लेकिन फिर उन्होंने काफी मेहनत से अपने लिए जगह बनायीं। अपने आप को बदला।  स्कूल के दिनों में तो उनके बाल, जो कि कर्ली हैं, उसकी वजह से लोग मैगी कह देते थे।

सिद्धांत बताते हैं

मेरी काफी रैगिंग हुई है।मेरे बालों, मेरे लुक्स की वजह से। इससे मेरा सेल्फ कॉन्फिडेंस हमेशा ही लो रहता था। मैं शुरू से डांसिंग में तो अच्छा था, एक्टिंग में भी अच्छा था, लेकिन मुझे कभी उतनी अटेंशन नहीं मिलती थी, खासतौर से मेरे लुक्स को लेकर तो कभी भी नहीं मिलती थी, तो मुझे अटेंशन की चाहत होती थी, जो कि अब मिल रही है तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा है और मैं हमेशा इसे संभाल कर रखना चाहता हूँ, खोना नहीं चाहता हूँ।

हाँ, मैं एम्बीशियस हूँ

सिद्धांत चतुर्वेदी को यह कहने में कोई भी परेशानी नहीं है कि वह काफी एम्बीशियस हैं।

वह कहते हैं कि

मैंने एक जर्नी देखी है और अपने हिस्से का संघर्ष भी। मैंने कई सालों तक काफी सारे ऑडिशन दिए हैं और कुछ नहीं होता था, उस दौर में लोगों ने कहना भी शुरू कर दिया था कि अरे इतने ऑडिशन दे रहे हो, कुछ हो नहीं रहा तो सीरियल ही कर लो, लेकिन मेरे पापा ने मुझे इस बारे में समझाया कि ऐसा करना सही नहीं है। एक एक्टर क्योंकि एक सोडे की बोतल की तरह होता है, खुल गया तो खुल गया, इसलिए खुद को अच्छी चीजों के लिए बचा कर रखो, मैं इस मामले में अपने पापा को थैंक्स कहना चाहूंगा कि उन्होंने मुझे कभी भटकने नहीं दिया। इसलिए अब जब मेरे पास काम आ रहे हैं, तो मुझे रुकना नहीं है। शुरू में मैं भी सोचता था रोमांटिक हीरो बन जाऊंगा, शाहरुख़ खान सर, सलमान खान सर की तरह, लेकिन अब लगता है कि नहीं मुझे अपना कुछ करना है, अपनी एक अलग पहचान बनानी है। मैं यहाँ किसी छवि में बंधने नहीं आया हूँ। मैं कुछ अपना करना चाहता हूँ, इसलिए मैं अभी हर तरह के किरदार करूँगा। आने वाले समय में मैं एक्शन फिल्में भी करने जा रहा हूँ। मैंने सोच रखा है कि मुझे अपना मार्क तो बनाना ही है। मैं भी पहले चाहता था कि कॉलेज बेस्ट स्टोरी करून, रोमांटिक हीरो बन कर उभरूँ। लेकिन बाद में समझ आया कि यहाँ अपना कुछ अलग नहीं दिखा पाया तो इस इंडस्ट्री से जुड़ने का क्या फायदा।

विजनरी एक्टर बनने की चाहत रखते हैं सिद्धांत

सिद्धांत कहते हैं कि उनकी चाहत है कि वह एक्टर या फिर स्टार नहीं, बल्कि एक विजनरी एक्टर के रूप में पहचान बनाएं, उनकी फिल्में विश्व स्तर पर पहचान बनाएं और वह इस तरह अपने आप पर काम भी कर रहे हैं कि वह ऐसी ही फिल्मों के हिस्सा बनें। मैं अपने आप को एक्टर या स्टार क्या कहना विजनरी कहलाना चाहूंगा। जो  एक एरा को डिफाइन करे। मैं जहां से आता हूं, वहां पर सपने देखना बड़ी बात है। सीमा लिमिटेड होती है कहीं ना कहीं। मैं उससे आगे जाना चाहता हूं। मैं जानता हूँ कि मुझसे भी अधिक लोग प्रतिभाशाली हैं, लेकिन उनको मौके नहीं मिल पाते हैं। लेकिन मैं उन लोगों को बताना चाहता  हूं कि वो चीज  आप हासिल कर सकते हो। चीजें जो मैं कर रहा हूं वही-वही नहीं करना है। ओटीटी के जरिए दुनिया छोटी  हो गई है। हम लोग भी ग्लोबल स्टार पर जाएं।

सीए से एक एक्टर बनने का सफर

सिद्धांत ने बताया कि वह सीए की पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन उसके साथ ही साथ थियेटर भी करते थे और उनके इस सफर में उनके पेरेंट्स ने उनका बहुत साथ दिया।

वह कहते हैं कि

मेरे पूरे सफर का श्रेय मेरे माता-पिता को जाता है।मैं सीए करता था, कॅालेज जाता था।फिर थिएटर करता था, मिट्ठीबाई कॉलेज में जाकर रिहर्सल करता था। पढ़ाई करता था। लेकिन मेरे पापा ने यही बात कही कि अपना एक करियर सेक्योर कर लो, इसलिए मैंने सीए की पढ़ाई की। लेकिन मैंने लगातार ऑडिशन भी दिए। वैसे शुरू में मेरे घुंघराले बाल और अजीब सा दिखने वाला लड़का कह कर हटा देते थे, बाद में उनलोगों को मेरा काम पसंद आना शुरू हुआ। धीरे-धीरे मेरी जगह बनी।

‘गहराइयां ‘से जुड़ने के बारे में है दिलचस्प किस्सा

सिद्धांत कहते हैं कि मैंने कभी दूर-दूर तक नहीं सोचा था कि शकुन बत्रा जैसे निर्देशक को मेरे जैसे लड़के में अपना किरदार दिखेगा।

वह बताते हैं

मुझे याद है कि मैं और ईशान खट्टर के साथ शकुन से मुलाकात हुई थी। गली बॉय में वह मेरे मेंटर थे।यह फिल्म मैंने 24 की उम्र में साइन की। उन्होंने मेरा शो इनसाइड ऐज देखा तो उनको लगा कि ये ट्रांसफार्म  हो सकता है। हालाँकि मुझे नहीं लगा था, लेकिन उन्होंने मुझमें अपना किरदार देख लिया था और मैंने भी जब कहानी पढ़ी तो मुझे समझ आ गया कि यह कहानी मेरे लिए ही बनी है और मैंने फिर हाँ कह दिया। दीपिका पादुकोण हमेशा से मेरी क्रश रही हैं और उनके साथ फिल्म में स्क्रीन शेयर करने का मौका मिलना एक बड़ी बात थी। इस फिल्म को ना कहने की एक भी वजह थी ही नहीं।

मेरा मानना है कि वाकई, जो भी नए युवा आना चाहते हैं, उन्हें सिद्धांत की बातों को पढ़ कर सीख लेनी चाहिए कि मेहनत के साथ-साथ, प्लानिंग भी जिंदगी में जरूरी है और खुद को निखारने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है। बहरहाल, मैं गहराइयाँ में उनके परफॉर्मेंस देख कर फिलहाल उनके किरदार में खो गई हूँ और मैं उम्मीद करती हूँ कि आने वाले समय में वह ऐसी और भी दमदार परफॉर्मेंस देते रहेंगे।