‘अ थर्स डे’ देखने के बाद, मैं तो अभिनेत्री यामी गौतम के अभिनय की कायल हो गई हूँ। यामी गौतम ने एक उद्देश्यपूर्ण फिल्म में अहम भूमिका निभाई है। यामी ने बॉलीवुड में अपने दस साल का सफर पूरा कर लिया है। ऐसे में, जब मैं मुड़ कर उनकी फिल्मों की चॉइस को देखती हूँ, तो नजर आता है कि उन्होंने कम समय में ही अपने लिए जो जगह बनाई है, वह उनकी फिल्मों के चयन का ही नतीजा रही हैं। अपनी पहली फिल्म ‘विक्की डोनर’ से लेकर अब ‘अ थर्स डे’ तक का सफर, उनके लिए आसान नहीं रहा होगा, इस बात से इत्तेफाक तो रखती हूँ, क्योंकि वह इंडस्ट्री का हिस्सा नहीं थीं, टीवी से उन्होंने फिल्मों की दुनिया में कदम रखा था। शुरुआत में यामी को ऐसी बातें भी सुननी पड़ीं कि वह केवल ग्लैमरस किरदार ही निभा सकती हैं, लेकिन यामी ने खुद को समय दिया और अब वह उन अभिनेत्रियों की श्रेणी में आ चुकी हैं, जिन्हें जेहन में रख कर, स्ट्रांग महिला किरदार लिखे जा रहे हैं। यामी ने  ‘अ थर्स डे’ फिल्म में अपने अनुभव और अपने अब तक के करियर को लेकर दिलचस्प बातें की है। वैसे सच कहूँ तो मुझे यामी के अभिनय के साथ-साथ उनकी सादगी और उनके परिवार को लेकर जो मूल्य हैं और लगाव है, यह बातें भी काफी आकर्षित करती हैं।

यामी ने बताया कि एक कलाकार के पास जब  ‘अ थर्स डे’ जैसी फिल्म आती है, तो वह कितनी इमोशनल हो जाती हैं।

वह कहती हैं

इमोशनल हूँ मैं और आसान नहीं रहा किरदार

मैं बहुत इमोशनल लड़की हूँ, ऐसे में जब मैंने इस फिल्म की कहानी पढ़ी थी, तो काफी इमोशनल हो गई थी। लेकिन मैंने ऐसे ही फ़ौरन हां, नहीं कहा था, मैंने इसमें जितने भी लॉजिक थे, निर्देशक का विजन यह सबकुछ अच्छे से समझने के बाद ही इसके लिए हाँ कहा। यह फिल्म आपको सोचने पर मजबूर करती है और यही इस फिल्म का मुख्य उद्देश्य भी रहा है। फिल्म थोड़ा वक़्त लेती है समझने में, लेकिन ठहर कर देखें तो काफी कुछ सामने आता है। यामी अपने किरदार के बारे में कहती हैं कि मैंने यह समझ लिया था कि यह किरदार मेरे लिए आसान नहीं होने वाला है और मेरी तैयारी का जो अप्रोच है, वह भी अलग होगा। हर चीज स्पॉनटिनियस नहीं हो सकती है, मेरे लिए इस कहानी के डेप्थ में जाना बहुत जरूरी था, बार-बार स्क्रिप्ट को पढ़ना बहुत जरूरी था। अपने जेहन में इस किरदार को आकार देना, शब्दों से ज्यादा वह मेरे दिमाग में है कि वह मैंने कैसे किया है। ऐसे किरदार में आप सोच कर कुछ नहीं कर सकते थे, इसलिए मैंने काफी मेहनत की।

ग्लैम गर्ल वाले ठप्पे को काम से हटाया

यामी ने जब करियर की शुरुआत की थी, तो कई लोगों को लगा था वह सिर्फ ग्लैम गर्ल बन कर रह जाएगी, लेकिन यामी ने सबको गलत ठहरा दिया, अपने काम से।इस बारे में यामी कहती हैं कि दस साल लगे हैं मुझे मेरी बात कहने में और मैं यही कहना चाहूंगी कि वक़्त लगता है। आप अपनी काबिलियत पर जब आगे बढ़ना चाहते हैं तो समय लगता है। आप देखें तो मैंने अपनी शुरुआत विक्की डोनर जैसी फिल्मों के साथ की थी, जिसमें कितना कुछ था परफॉर्मेंस थी, लेकिन लोगों को लगा हो कि यह तो सिर्फ एक सुंदर चेहरा है, यह कुछ नहीं कर पाएगी। लेकिन मैं अपने बारे में ऐसा नहीं सोचती हूँ, मेरा जो पैशन है, फिल्मों को लेकर। वह ज्यादा स्ट्रांग है किसी की धारणा से। यह सच है कि ऐसे में कई बार आप हताश हो जाते हैं, हर बार अपनी नयी फिल्म से आपको खुद को प्रूव करना पड़ता है। कई बार आपके पास अच्छे अवसर नहीं होते हैं, लेकिन जो मिल रहे हैं, उन्हीं में से आपको कुछ चुनना होता है। लोगों को जज करना आसान होता है, लेकिन आपको नहीं पता होता है कि उस वक़्त किसी के साथ क्या चल रहा होता है, तो जिस तरह से मैं किरदार ढूंढती गई, स्क्रिप्ट ढूंढ़ती गयी और फिर उरी और बाला जैसी फिल्मों ने मेरे लिए सोच पूरी तरह से बदल दी। फिर जब यह फिल्म आई है, मेरे लिए काफी कुछ बदलेगी, ऐसा मैं उम्मीद करती हूँ।

परिवार, मेरी संस्कृति रखती है मायने

फिल्मों से इतर यह सवाल मेरे मन में काफी समय से था, सो जब इस बार यामी से बातचीत करने का मौका मिला, तो मैंने पूछ ही लिया कि यामी गौतम एक लोकप्रिय स्टार होने के बावजूद, निर्देशक आदित्य धर से एकदम सादगी से भरी शादी की थी। ऐसे में यामी ने एक और बेंचमार्क स्थापित किया कि आप सेलिब्रिटी हैं तो यह जरूरी है कि दिखावे वाली ही शादी हो। बिना किसी ताम-झाम वाली शादी करने को लेकर मेरे मन में हमेशा यह उत्सुकता थी कि आखिर यामी के ऐसा करने के पीछे की क्या वजह रही होगी और उन्होंने इसका जो जवाब दिया, उसे सुन कर तो मैं उनसे और इंस्पायर हो गयी।

यामी ने इस बारे में बताया

मेरे लिए वह शादी बेहद खास है। मैं अपनी संस्कृति में विश्वास रखती हूँ। मैं अपने परिवार से जुड़ी हुई हूँ, मैंने जैसे अपने पेरेंट्स और ग्रैंड पेरेंट्स को देखा है, जिस तरह की मैंने सेरेमनी देखी है और जिस तरह की तस्वीरें मैंने देखी हैं, मुझे लगता है कि उस समय सबकुछ एन्जॉय करते थे लोग, रिचुअल्स एन्जॉय करते थे। मैं ऐसे ही ट्रेडिशन को देख कर बड़ी हुई हैं, मैं जब बड़ी हो रही थी और मैं जिस तरह की शादियों का हिस्सा बन रही थी, वह ऐसी होती थी। कुछ शादियों को देख कर लगता था कि कितना वेस्ट हो रहा है, कितनी एक्सपेक्टेशन है सिर्फ लोगों को वह दिखाने के लिए, तो  मुझे वैसा नहीं करना था, मुझे ऐसा लगता है कि अगर आपको कोई बड़ी शादी ख़ुशी देती है, तो आप बिल्कुल करें, लेकिन कोई प्रेशर में आकर नहीं करना था। मेरे और आदित्य दोनों के लिए ही हमारे ट्रेडिशन, हमारे रिचुअल्स , संस्कृति, परिवार और यह सबकुछ महत्वपूर्ण है। मैंने बखूबी सबकुछ वैसे निभाया, जैसे मेरी दादी, नानी और माँ ने निभाया। मैं लकी हूँ कि आदित्य भी ऐसे ही हैं और हम दोनों के लिए परिवार मायने रखता है, नहीं। हमलोग किसी भी तरह के वेस्टेज में विश्वास नहीं रखते हैं, यह आपका दिन है तो आप तय करें कि आपको यह दिन कैसे एन्जॉय करना है, किसी के प्रेशर में आकर कुछ करने की जरूरत नहीं है।

आदित्य के साथ होती हैं क्रिएटिव डिस्कशन

आदित्य धर एक बेहतरीन निर्देशक भी हैं, ऐसे में जब मैंने जानना चाहा कि क्या आदित्य के साथ वह क्रिएटिव डिस्कशन करती हैं,

इस पर यामी कहती हैं

हमलोग एक दूसरे के साथ काफी आइडिया को शेयर करते हैं, हम दोनों एक जैसा सोच सकते हैं, मैं उनके साथ बतौर एक्टर के रूप में काम कर चुकी हूँ, तो मैं जानती हूँ कि वह कैसे काम करते हैं। क्या उनकी क्रिएटिव एब्लिटी है।  मेरे लिए उनका नजरिया जानना जरूरी है। हमें अच्छी फिल्में देखना, सीरीज एक साथ बैठ कर देखना अच्छा लगता है। हमलोग फिल्में एन्जॉय करते हैं। हम दोनों का अंदाज़ वैसा रहा है।

महिला प्रधान फिल्में और सीरीज का वक़्त आ गया है

यामी कहती हैं कि पहले भी काफी महिला प्रधान काम किया है। फिर चाहे वह मदर इंडिया जैसी फिल्में हों, या फिर आज के दौर में कई कलाकारों ने जगह बनाई है। वहीदा, मधुबाला, नूतन, श्रीदवी, स्मिता, हाल ही में विद्या बालन, कंगना सभी ने भी काफी अच्छा प्रदर्शन किया है और आज कल ओटीटी से काफी अवसर बढ़ गया है, लेकिन अब अच्छा काम करने की डिमांड बढ़ गई है। अब लोगों को एंगेज करना अभी नयी चुनौती है।

नेगेटिव किरदार करना चाहूंगी

यामी कहती हैं कि गिन चुन कर कुछ जॉनर होते हैं, इमोशन उतने ही हैं, लेकिन कहानियां बनती हैं। अगर वैसे कोई किरदार मिले, जो नेगेटिव हो तो मैं जरूर करना चाहूंगी।

दस साल के महत्वपूर्ण पड़ाव

अपने दस साल के करियर के महत्वपूर्ण पड़ाव के बारे में यामी कहती हैं कि

मैंने काफी उतार-चढ़ाव देखा है, मुझे इस इंडस्ट्री को समझने में वक़्त लगता है, आपके लिए सफलता क्या है, आपकी ऑडियंस आपसे क्या चाहती है, यह सब समझने में काफी कुछ एक्सपीरियंस होते हैं। मेरा बस यह कहना है कि  कभी आपको गिव अप नहीं करना है। अब किरदार यादगार होते हैं, तो उस तरीके से काम करना है। मुझे लगता है कि  उरी और बाला मेरे लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुई, उसके बाद मेरा सबकुछ बदला

यामी ‘ओह माई गॉड’, ‘दसवीं‘ और ऐसी कई नयी फिल्मों में नजर आने वाली हैं।

वाकई, यामी के साथ इस बातचीत के बाद, मुझे तो फ्लैशबैक में उनके दस साल के सभी किरदार नजर आये और उनकी मेहनत भी नजर आई है। यामी ने एक अच्छी बात कही है कि  इस इंडस्ट्री में उतार चढ़ाव होते रहेंगे, जरूरी यह है कि आपको गिव आप नहीं करना चाहिए। मुझे लगता है कि हर नए कलाकारों को उनसे यह सीख तो लेनी ही चाहिए।