मुझे हमेशा ही वैसी कहानियां, जो फ़िल्मी दुनिया पर होती हैं, बेहद पसंद आती हैं, ऐसे में एक निर्देशक के नजरिये से उस दुनिया में झांकने का मौका मिलता है, जहाँ आमतौर पर निगाहें नहीं पहुँच पाती हैं, साथ ही आम लोगों में जो यह अवधारणा होती है कि फ़िल्मी सितारों की दुनिया बड़ी ही नॉर्मल होती है और उन्हें जिंदगी में कभी कोई परेशानियां नहीं होती हैं। इन सारे मिथ को ऐसी कहानियां कुछ हद तक तो कम कर पाती है। इसी क्रम में नयी वेब सीरीज ‘द फेम गेम’ आई है, जो एक अभिनेत्री की जिंदगी पर आधारित है। इस सीरीज का निर्देशन बिजॉय नाम्बियार और करिश्मा कोहली ने किया है और इसलिए मुझे इस सीरीज से बहुत अधिक अपेक्षा थी कि यह सीरीज खास होगी और शुक्र है, सीरीज एक बेहतरीन कहानी कहने में कामयाब हो पाई है। यह सीरीज देखने के लिए मैं इसलिए भी उत्सुक थी, क्योंकि जमाने बाद मैं अपने 90 के दौर की जोड़ी माधुरी दीक्षित और संजय कपूर को एक साथ देख रही हूँ। दोनों ने ही शानदार काम किया है। माधुरी को ऐसी और भी सीरीज का हिस्सा बनना चाहिए। अरसे बाद, ऐसा लग रहा है कि किसी निर्देशक ने उनसे बेहतरीन काम करवाया है। माधुरी के 38 साल के करियर को देखती हूँ, और फिर इस सीरीज को देखती हूँ, तो लगता है कि माधुरी में अभिनय का जो जुनून वह भी बरक़रार है और उनके अभिनय कुशलता का कई निर्माता और निर्देशकों को एक्सपेरिमेंट्स करते रहने चाहिए  सीरीज में ऐसी कई दिलचस्प मोड़ हैं, जो देखने के बाद भी मेरे जेहन में रह गए। इस सीरीज को एक इमोशनल ड्रामा सीरीज कह सकते हैं और भले ही इसमें मुख्य किरदार एक अभिनेत्री पर आधारित हो, लेकिन यह उन तमाम अभिनेत्रियों की जिंदगी को बयां कर देता है। इन सबके बीच मानव कौल जैसे कलाकार के काम की भी खूब सराहना होनी चाहिए। उनका किरदार ध्यान आकर्षित करता है। ‘द फेम गेम’ इस लिहाज से भी एक महत्वपूर्ण सीरीज बन जाती है कि यह सीरीज खुल कर मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स पर ध्यान खींचती है। एक ग्लैमर के पीछे की दुनिया का क्या काला स्याह सच है, उसे दिखाने में बहुत हद तक यह सीरीज मुझे कामयाब लग रही है।  यह सीरीज एक हीरोइन की निजी जिंदगी में कैमरे को ज़ूम इन करती है, जहाँ एक हीरोइन किस तरह अपनी ढलती उम्र का सामना, खोती लोकप्रियता का सामना और साथ में घर-परिवार अपने बच्चों के लिए सबकुछ कुर्बान करने और समझौते करने पर मजबूर हो जाती है। निर्देशक इस फ़िल्मी दुनिया की कहानी को बहुत हद तक वास्तविकता के करीब ले जाने की कोशिश करते हाँ।

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क्या है कहानी

सीरीज की शुरुआत ने ही मुझे यह महसूस करा दिया कि वेलकम टू द वर्ल्ड ऑफ़ ग्लैमर।  कहानी की शुरुआत अनामिका (माधुरी दीक्षित) के साथ शुरू होती है, जो कि फैंस के सामने वेब कर रही हैं और उनकी तस्वीरें खींची जा रही हैं।  इसके बाद सीन सीधे सेट पर चला जाता है, जहाँ  अनामिका भव्य सेट पर नजर आती है।  इस सीरीज की कहानी एक मशहूर अभिनेत्री की कहानी है। वह बेहद कामयाब है। पूरी दुनिया उसकी दीवानी है। मजेदार बात यह है कि निर्देशक ने रेफेरेंस माधुरी दीक्षित की फिल्मों के ही लिए हैं, कहीं बच्चे चने के खेत में गाने पर नाचते नजर आ रहे हैं, तो कहीं माधुरी की फिल्म कलंक के दृश्य चल रहे हैं।  इन सबके बीच अनामिका अपने पति से नाखुश है, इसलिए क्योंकि उसका पति निखिल ( संजय कपूर ) जो कि एक प्रोड्यूसर है, उसके दर्द की सबसे बड़ी वजह है। वह अपनी ही बीवी की कामयाबी से जलता है। उसने सिर्फ अपनी जिंदगी में गलत रास्ते ही इख़्तियार किये हैं, बीवी के पैसों पर ऐश भी करना है, लेकिन खरी-खोटी भी सुनाना है।  एक औरत कितनी भी लोकप्रियता हासिल कर ले, अपने घर में उसे जब एक नाखुश पति के साथ जिंदगी गुजारनी होती है तो उस पर क्या गुजरती है, इसे इस कहानी में अच्छी तरह से दिखाया गया है। अपने पति को फिनांशियल परेशानी से बचाने के लिए अनामिका अपने पुराने प्रेमी मनीष खन्ना (मानव कौल) जो कि एक सुपरस्टार है और अनामिका से प्रेम भी करता है। उसके साथ फिल्म करने को तैयार हो जाती है। ऐसे में इस पूरे क्रम में कहानी में ढेर सारे ट्विस्ट और टर्न्स आते हैं। कहानी कब इमोशन से थ्रिलर ड्रामा का रूप ले लेती है, पता नहीं चलता है और यहाँ निर्देशक का विजन आपको हैरान करता है। अनामिका का अचानक कहीं गायब हो जाना, कहानी को एक अलग ही मोड़ देता है।

बातें जो मुझे अच्छी लगीं

  • निर्देशक भले ही कहानी फ़िल्मी दुनिया की लेकर आये हैं, लेकिन कहानी फ़िल्मी नहीं है, बल्कि कहानी में कई सारे परत हैं, जो एक-एक करके खुलती हैं और इमोशनल कर जाती हैं।
  • मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स पर बेबाकी से निर्देशक ने बात रखी है
  • बॉलीवुड या फ़िल्मी दुनिया के लोगों की जिंदगी में क्या उतार-चढ़ाव और परेशानियां होती हैं, उसे बड़ी ही बारीकी और संजीदगी से दर्शाया गया है।
  • कुछ सीन्स इतने प्रभावशाली हैं कि ऐसा लगता ही नहीं है कि हम इसे टीवी पर देख रहे हैं, लगता है अपने आस-पास की दुनिया में ऐसी घटनाएं होती रहती हैं। कई बार आप कुछ छोटी सी बात को इग्नोर कर देते हैं, लेकिन वहीं आपकी जिंदगी में एक बड़ा बदलाव लेकर आता है। इस कहानी में इस पॉइंट को भी अच्छे से दिखाया गया है
  • निर्देशक ने अपने कैमरे से बेहद खूबसूरती से फेम गेम की ग्लैमर दुनिया को कैप्चर किया है
  • एक अभिनेत्री की जिंदगी पर इतनी वास्तविकता से कहानी अबतक कम सीरीज और फिल्मों में कही गई है।

अभिनय

माधुरी दीक्षित की इस सीरीज में जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है, मैं तो इस बात से हैरान हूँ।माधुरी दीक्षित की अभिनय शैली को लेकर अब तक ऐसे एक्सपेरिमेंट्स नहीं हुए थे, माधुरी को मुझे ऐसा लगता है कि की निर्देशकों ने सिर्फ डांसिंग डीवा और उनकी एक्सप्रेशन क्वीन वाली इमेज में ही बांधा हुआ था। इस सीरीज में माधुरी पूरी तरह से हैरान करती हैं, वह सहजता से काफी अलग तरह का अभिनय कर गई हैं, उन्हें काफी दमदार किरदार मिला है। संजय कपूर ने भले ही अपने करियर के शुरूआती दिनों में अपने अभिनय पर मेहनत न की हो, लेकिन इन दिनों वह जिस भी प्रोजेक्ट का हिस्सा बन रहे हैं, उनकी मेहनत नजर आ रही है। मानव कौल का कहानी में होना, इस कहानी को पोएटिक अंदाज़ भी देता है और सशक्त भी बनाता है। इस कहानी की जान मुस्कान जाफरी और लक्षवीर सरन भी हैं, उन्होंने सीरीज में अहम किरदार निभाया है और काफी अच्छे दृश्य दिए हैं।

बातें जो और बेहतर हो सकती थीं

कुछ दृश्यों में निर्देशक ने इमोशन का ओवर फ्लो किया है, उसे न भी किया जाता तो भी कहानी सार्थक ही होती। कुछ संवाद फ़िल्मी हैं, उनसे बचा जा सकता था।

वेब सीरीज : द फेम गेम

कलाकार : माधुरी दीक्षित नेने, संजय कपूर, मानव कौल, सुहासिनी मुले, लक्षवीर सरन, मुस्कान जाफरी, राजश्री देशपांडे

निर्देशक : बिजॉय नाम्बियार, करिश्मा कोहली

ओटीटी : नेटफ्लिक्स

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