‘जब वी मेट ‘की गीत कहती है न, प्यार में कुछ सही गलत नहीं होता है, प्यार तो बस प्यार होता है। मैं जब भी कोई प्रेम कहानी देखती हूँ, तो इस नजरिये से देखने की कोशिश जरूर करती हूँ। प्रभास और पूजा हेगड़े की बिग बजट फिल्म ‘राधे श्याम’ को भी मैं, बस उसी नजरिये से देखने की कोशिश की है। ‘राधे श्याम’, दो प्यार करने वाले ऐसे प्रेमी युगल की कहानी है,  जिनकी दुनिया एकदम फैंटेंसी है। दोनों के दूसरे के प्यार में खोये रहते हैं, फूल, रोमांटिक लोकेशन और गाने सबकुछ हैं। लेकिन इस प्रेम कहानी का विलेन, कोई इंसान नहीं, बल्कि लक यानी भाग्य है, जो दोनों को हमेशा के लिए एक-दूसरे का होने नहीं देना चाहता है। लेकिन प्यार में वह ताकत होती है कि वह हाथों की लकीरों में लिखी तक़दीर को भी बदल सकती है। एक ऐसी ही प्रेम की गहराई में झांकती हुई प्रेम कहानी है ‘राधे श्याम,’ जिसमें पूजा हेगड़े ने बतौर प्रेरणा और प्यार में डूब कर जीने वाली लड़की का किरदार बखूबी तो निभाया ही है, प्रभास ने भी टूट कर प्यार करने वाले विक्रमादित्य का किरदार निभाया है। इस पीरियड लव स्टोरी में बेहद रोमांटिक लोकेशंस और प्यार से भरी एक अनोखी दास्ताँ दिखाई गई है। मैं आपको बताने जा रही हूँ कि इस प्रेम कहानी में आखिर क्या खास है, जो आपको एक बार फिर से रूमानी होने पर मजबूर कर देगा। क्या विज्ञान-ज्योतिषशास्त्र से सर्वश्रेष्ठ है या नहीं, इस सवाल का जवाब भी आपको इस फिल्म में देखने को मिलेगा।

क्या है कहानी

फिल्म की कहानी पूरी तरह से विक्रमादित्य ( प्रभास) और प्रेरणा ( पूजा हेगड़े ) के इर्द-गिर्द घूमती है। विक्रमादित्य, एक बहुत बड़ा पामिस्ट यानी हस्तरेखा शास्त्री है, जो कि हाथों की लकीरों को देख कर, सामने वाली की तक़दीर बता देता है, उसका भविष्य बता देता है और यह उसके भविष्य बता देने का ही नतीजा है कि जब उसने भारत की प्रधानमंत्री को बता दिया था कि वह आने वाले समय में इमरजेंसी की घोषणा करने वाली हैं, विक्रम को भारत छोड़ना पड़ता है, फिर वह इटली चला जाता है और वहां वह अपनी माँ ( भाग्यश्री) और अपने एक दोस्त (कुणाल रॉय कपूर) के साथ रहता है। वहीं अचानक एक दिन ट्रेन में उसकी मुलाकात, प्रेरणा से हो जाती है, जो कि एक डॉक्टर है और वह भी फैंटेसी की दुनिया में रहना पसंद करती हैं। जिंदादिल लड़की होने के बावजूद, उसको खुद के कुछ कॉम्प्लिकेशन है और उसे पता है कि वह अधिक दिनों की मेहमान नहीं हैं। लेकिन प्रेरणा की जिंदगी बदलती है, जब विक्रमादित्य उसकी जिंदगी में आता है। वह उसकी हाथों की लकीरों को पढ़ कर, कुछ ऐसा बताता है, जिसे जानने के बाद, दोनों की जिंदगी बदल जाती है। फिर यह दोनों प्रेमी कपल किस तरह से हाथों की लकीरों में लिखी तक़दीर को, सिर्फ अपने प्यार के लिए बदलते हैं, यह देखना दिलचस्प है फिल्म में। फिल्म में एक जरूरी बात बार-बार दोहराई गई है कि आपकी हाथों की लकीरों में जो कुछ भी लिखा होता है, दुनिया में एक केवल एक प्रतिशत लोग ऐसे होते हैं, जो उसे बदल कर अपनी मेहनत से सबकुछ हासिल करने की कोशिश करते हैं, तो भाग्य के हाथों अपने भविष्य का निर्माण करना कहाँ तक सही है, कहाँ तक गलत, वह तस्वीर भी यह फिल्म स्पष्ट करती है। कृष्ण और राधा का मिलन तो नहीं हो सका था, लेकिन आज भी इनसे बड़ी और अद्भुत प्रेम कहानी कोई नहीं है। ऐसे में क्या इस फ़िल्मी राधे और श्याम का मिलन संभव है, मैं यह बता दूँगी तो फिर आप फिल्म कैसे देखेंगे, यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

बातें जो मुझे अच्छी लगीं

  • शुरुआत में मैंने जब फिल्म देखनी शुरू की तो मुझे लगा कि भाग्य के सहारे ही निर्देशक पूरी कहानी दिखाएंगे, लेकिन निर्देशक ने भाग्य और मेहनत को लेकर जो एक प्रतिशत लोगों की बात की है, वह एक अच्छा कॉन्ट्रास्ट है और इससे उन लोगों को काफी ताकत मिलेगी, जो भाग्य को मान कर, बल्कि अपनी मेहनत और जज्बे को अपना भाग्य मानते हैं।
  • फिल्म में जब एक लड़की की ट्रेन हादसे में हाथ कट जाता है, लेकिन फिर भी वह एक आर्चरी में अपना करियर, अपने एक हाथों से बनाती हुई नजर आती है, तो निर्देशक उन करोड़ों लोगों को हिम्मत देते हैं, जो दिव्यांग हैं, लेकिन अपने जज्बे से वह क्या नहीं कर दिखा रहे हैं।
  • फिल्म में निर्देशक ने जो फेरी टेल सीक्वेंस प्रेजेंट करने की कोशिश की है, वह आकर्षित करते हैं।
  • निर्देशक ने इस फिल्म से यह दर्शाने की कोशिश की है कि आप केवल भाग्य के भरोसे नहीं बैठ सकते और न ही आप अपने भविष्य को प्रिडिक्ट कर, अपनी जिंदगी को उस तरह से जियें, एक इंसान में वह ताकत होती है कि वह हवा का रुख बदल सकता है और यह बात इस फिल्म को देखने के बाद और पुख्ता हो जाती है।
  • फिल्म के लोकेशन बहुत सूफियाना है, इटली की सड़कों की खूबसूरत सड़कें, रंग-बिरंगे फूल और उनके बीच प्रभास और पूजा जैसे कलाकारों का रूमानी अंदाज, इस फिल्म को सिनेमेटोग्राफी के लिहाज से खास बनाता है। दोनों का ही रोमांटिक अंदाज़ बेहद खास है।
  • फैंटेसी प्रेम कहानियां इन दिनों कम बन रही हैं, ऐसे में यह कहानी आपको उस पीरियड लव का एहसास कराएंगी।
  • लैला-मजनू वाली प्रेम कहानी के तर्ज पर भी इस फिल्म में जबरदस्त ट्विस्ट है।
  • प्रभास और पूजा की जोड़ी परदे पर एकदम फ्रेश लगी है। एक यूनिक लव स्टोरी है।

अभिनय

प्रभास ने ‘बाहुबली’ के बाद, लगातार ऐसी फिल्मों को चुना है, जिसमें वह अपनी इमेज को तोड़ पाएं, इसी क्रम में वह रोमांटिक हीरो बन कर इस फिल्म में आये हैं और उन्होंने के रोमांटिक हीरो का किरदार और साथ ही साथ एक पामिस्ट के तेवर के कॉन्ट्रास्ट को अच्छी तरह से अपनाने और फिर दर्शाने की कोशिश की है। उनके फैंस उन्हें देख कर निराश नहीं होंगे, पूजा हेगड़े न सिर्फ, स्क्रीन पर बेहद खूबसूरत नजर आई हैं, बल्कि अपने प्यार को लेकर कुछ भी कर गुजरने वाली एक जुनूनी लड़की के किरदार में हैं। शेष कलाकारों में भाग्यश्री ने प्रभास की माँ का किरदार निभाया है, उनका प्रेजेंस स्क्रीन पर अच्छा लगता है। सचिन, मुरलीधर, बीणा जैसे कलाकारों के लिए सीमित स्पेस था अभिनय के लिए। कुणाल रॉय कपूर के और दिलचस्प सीन्स हो सकते थे।

बातें जिसके और बेहतर होने की गुंजाईश हो सकती थीं

कहानी में भाग्य और इंसानी जज्बात और जज्बे के बीच का जो द्वन्द है, उसे दर्शाने और स्थापित करने के लिए और अधिक घटनाएं या परिस्थिति कहानी में जोड़ी जाती, तो कहानी और अधिक दिलचस्प बन सकती थी। कहानी में थोड़ा और फ्रेशनेस लाई जाती तो, कहानी और अधिक प्रोमिसिंग लगती। फिल्म मध्यांतर के बाद और बेहतर ट्रैक के साथ आगे बढ़ती तो अच्छा होता।

फिल्म : राधे श्याम

कलाकार : प्रभास, पूजा हेगड़े, सचिन खेडरेकर, भाग्यश्री, कुणाल राय कपूर

निर्देशक : राधा कृष्णा कुमार

मेरी रेटिंग 5 में से 3. 5 स्टार