बाहुबली फेम प्रभास ने यह बात बहुत सही कही है कि हमें साउथ इंडियन फिल्म इंडस्ट्री या बॉलीवुड, इनके बीच किसी तरह से कॉम्पटीशन को नहीं देखना चाहिए, बल्कि एक इंडस्ट्री के रूप में देखना चाहिए, क्योंकि यहाँ की फिल्में वहां और वहां की फिल्में यहाँ बनती रही रहेंगी। प्रभास की इन बातों में काफी सच्चाई भी है। कई लोगों को इस बारे में भ्रम है कि केवल साउथ इंडियन फिल्में ही हिंदी में रीमेक होती हैं। जबकि हिंदी की कई ऐसी फिल्में हैं, जो साउथ की कई भाषाओं में बनती हैं। पिंक, मिमी और ऐसी कई फिल्में इस फेहरिस्त में शामिल हैं, मैं यहाँ वैसी पांच फिल्में बताने जा रही हूँ। आयुष्मान खुराना, विद्या बालन और ऐसे कई कलाकारों की फिल्में इस फेहरिस्त में हैं।

पिंक ( वकील साहब)

अमिताभ बच्चन, तापसी पन्नू और कीर्ति कुल्हारी जैसे कई शानदार परफॉर्मेंस वाली फिल्म पिंक ने पूरे भारत में काफी लोकप्रियता हासिल की और उसकी लोकप्रियता का ही नतीजा है कि फिल्म तेलुगू में रीमेक होकर वकील साहब बनी और इस फिल्म में खुद सुपरस्टार पवन कल्याण ने अहम भूमिका निभायी।

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कहानी (अनामिका)

विद्या बालन की फिल्म कहानी ने भी काफी कमाल किया था। फिल्म में जिस तरह से एक प्रेग्नेंट लेडी के संघर्ष और अपने पति के कातिल को ढूंढने की जद्दोजहद दिखाई गई है, वह कमाल है। सुजॉय घोष की इस फिल्म का तेलुगू भाषा में अनामिका नाम से हुआ था रीमेक। नयनतारा ने फिल्म में अहम भूमिका निभाई थी।  

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विक्की डोनर ( नरुडा डॉनूरोडा )

विक्की डोनर, आयुष्मान खुराना की पहली फिल्म थी और फिल्म ने अच्छी खासी कामयाबी हासिल की, फिल्म का टॉपिक ही एकदम यूनिक है कि कहानी एक स्पर्म डोनर पर आधारित है, इस फिल्म का ऐसा प्रभाव रहा कि इस फिल्म के रीमेक तेलुगू भाषा में बनी। नरुडा डॉनूरोडा फिल्म का नाम है और फिल्म में सुमंत ने काम किया, जो कि वहां के लोकप्रिय कलाकारों में से एक हैं।

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अ  वेडनेसडे (ईनाडू)

नसीरुद्दीन शाह की बेहतरीन फिल्मों में से एक रही है अ वेडनेस डे, इस फिल्म ने आम आदमी की कहानी को एक खूबसूरत मोड़ दिया था। फिल्म का ऐसा प्रभाव रहा कि कमल हासन जैसे कलाकार ने इस फिल्म के तेलुगू रीमेक में काम किया, कमल के अलावा फिल्म में वेंकटेश भी नजर आए थे। फिल्म का नाम था ईनाडू।  फिल्म को अच्छी लोकप्रियता वहां भी मिली।

मुन्ना भाई एमबीबीएस ( शंकर दादा एमबीबीएस)

राजकुमार हिरानी की फिल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस ने हिंदी फिल्म में तो कई रिकॉर्ड्स तोड़े थे, फिर उस फिल्म का प्रभाव इतना रहा कि इस फिल्म को लेकर तेलुगु में शंकर दादा एमबीबीएस बनी और फिल्म कामयाब भी काफी रही। फिल्म में चिरंजीवी, श्रीकांत और सोनाली बेंद्रे ने अभिनय किया था।

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इनके अलावा, कृति सैनन की फिल्म मिमी को अच्छी लोकप्रियता मिली है हिंदी में, इस फिल्म में उन्होंने सरोगेट माँ का किरदार निभाया, फिल्म ने अच्छी छाप छोड़ी, ऐसे में फिल्म का यह प्रभाव है कि फिल्म, अब साउथ की भाषाओं में भी रीमेक होने जा रही हैं। खबरें हैं कि कीर्ति सुरेश इस फिल्म का हिस्सा होंगी।

मेरा तो हमेशा से ही यही मानना रहा है कि सिनेमा की भाषा सिर्फ एक होती है, उसे किसी भी सीमा में बांधना सही नहीं है, इसलिए इस सोच को हम दर्शकों को भी बदलने की जरूरत है कि केवल बॉलीवुड पर ही साउथ इंडियन फिल्मों का प्रभाव है, बल्कि इसे इस नजरिये से देखा जाना चाहिए, मेरे लिहाज से कि अच्छी फिल्म का प्रभाव होता है, फिर भाषा चाहे कोई भी हो और मैं प्रभास की बात से बिल्कुल सहमत हूँ कि हमें विदेशों की फिल्म इंडस्ट्री से कॉम्पटीशन करने के बारे में सोचना चाहिए, न कि अपनी ही इंडस्ट्री के।