मेरी निगाह तो फिलहाल सिर्फ और सिर्फ कान फिल्म फेस्टिवल पर है, जहाँ दीपिका पादुकोण बतौर जूरी सदस्य बन कर, भारत का प्रतिनिधित्व कर रही हैं, दीपिका के व्यक्तित्व की जो मुझे सबसे खास बात लगती है, वह यही लगती है कि वह न सिर्फ अपने लुक को माहौल के अनुसार खूबसूरत बनाती हैं, बल्कि अपने विचारों को भी रखने में वह बेबाक रहती हैं, ऐसे में 75 वें कान फिल्म महोत्सव में उन्होंने जो खास बातें कही हैं, भारतीय सिनेमा के बारे में, मैं उसे यहाँ शेयर कर रही हूँ।

क्रिटिक नहीं एन्जॉय करेंगी मूवीज को दीपिका

दीपिका पादुकोण ने पूरे ही आत्म-विश्वास के साथ अपनी बात रखी है कि वह किस तरह से वहां फिल्मों को क्रिटिक करने वाली हैं, उन्होंने कान फिल्मोत्सव में हुए प्रेस कांफ्रेस के दौरान कुछ खास अंदाज में बातचीत की

उन्होंने कहा

यह हम सभी(जूरी सदस्य) के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी है। और हम सबने एक दूसरे से यही वादा किया है कि हम इस जिम्मेदारी की वजह से खुद के कंधे पर बोझ की तरह नहीं लेंगे, बल्कि हमारी कोशिश होगी कि हर एक बच्चा, जो कि सिनेमा को देखते हुए बड़ा हुआ है, उसे वह जॉय मिल पाए।   क्योंकि सिनेमा एक पावरफुल माध्यम है, इसमें वह पॉवर है कि यह लोगों की जिंदगी को प्रभावित करती है। सो, अगले दो हफ्ते, हम इसे जिम्मेदारी की तरह या किसी बोझ की तरह नहीं देखेंगे। बस क्रिएटिव प्रोसेस एन्जॉय करना चाहेंगे। हम सभी यही करने यहाँ आये हैं। हम सभी क्रिएटिव लोग हैं और हम में से किसी के पास वह क्षमता नहीं है कि हम किसी को भी जज करें। हम यहाँ क्रिटिक करने की नहीं, एन्जॉय करने की कोशिश करेंगे।
Source : Instagram I @deepikapadukone

ओटीटी या सिनेमा थियेटर इस पर भी अपनी राय रखी दीपिका ने

दीपिका पादुकोण ने इस दौरान खुल कर अपनी राय रखी कि वह ओटीटी या सिनेमा थियेटर में से किसको बेहतर मानती हैं।

उन्होंने इस बारे में कहा

मुझे नहीं लगता है कि दो चीजें म्यचुअली एक्सक्लूसिव होती हैं, आज बतौर ऑडियंस देखूं, तो मेरे पास यह ऑप्शन है कि मैं घर में अपने कम्फर्ट के हिसाब से बैठूं और फिल्म या सीरीज देखूं, लेकिन मेरे पास यह भी ऑप्शन है कि थियेटर में जाकर मैं अनुभव करूँ, सिनेमा को। मुझे नहीं लगता कि एक विकल्प, दूसरे को तबाह करने की कोशिश कर रहा है। हो सकता है कि फिल्म मेकर्स के लिए माध्यम चुनना अब ज्यादा हो  गया हो,  हो सकता है कि ओटीटी के लिए जो वह बना रहे हों, वह स्केल अलग हो, लेकिन मैं इसे अच्छा मान रही हूँ, इसने काफी लोगों को मौके दिए हैं। कई लेखक, निर्देशक, डायरेक्टर्स सभी के लिए एक अच्छा प्लैटफॉर्म बन चुका है और मैं इसे इस रूप में देख रही हूँ।


दीपिका ने इस मोमेंट को अपने लिए इन्क्रेडिबल बताया है और कहा है कि यह उनके लिए बेहद खास और यादगार लम्हा है कि वह इस साल कान फिल्मोत्सव में शामिल हुई हैं।

वाकई, दीपिका के करियर की पूरी जर्नी देखूं, तो दीपिका ने अपने दम पर लगातार खुद को साबित किया है और हिंदी सिनेमा के साथ-साथ, कान फिल्मोत्सव में जूरी की सदस्य बनना, अब उनके करियर को और नए आकाश दे रहा है। ऐसे में मैं तो इसे पूरे भारतीय सिनेमा के लिए प्राउड फीलिंग मानती हूँ।