हिंदी सिनेमा में ऐसे चुनिंदा कलाकार हैं, जो किसी भी किरदार को पूरी शिद्दत से निभा जाते हैं, फिर चाहे वह हास्य किरदार हो, नेगेटिव किरदार हो, सकारात्मक हो या फिर इंटेंस किरदार हो। पंकज त्रिपाठी, एक ऐसे ही अभिनेता हैं, जो हर किरदार में फिट बैठते हैं। उन्हें स्क्रीन पर देखने पर, कभी भी कलाकार की उम्र नहीं, बल्कि किरदार का काम नजर आता है। मिर्जापुर, 83, गुंजन सक्सेना, स्त्री, गैंग ऑफ़ वासेपुर, न्यूटन से लेकर ऐसी कई फिल्में उनकी फेहरिस्त में शामिल हैं, जिसमें उन्होंने अभिनय के सारे रस दर्शा दिए हैं। इसके अलावा, अच्छे कलाकार होने के साथ-साथ, पंकज ने जिस तरह से अपने फैंस और दर्शकों से एक कनेक्शन बनाया है, वह उन्हें वाकई में शेरदिल ही बनाता है।  हाल ही में आईफा अवार्ड्स के दौरान उन्हें जिस तरह से पांच मिनट तक उनके लिए तालियां बजती रहीं, उससे उनके फैंस का रेंज पता चलता है। ऐसे में उनकी नयी फिल्म शेरदिल के बहाने कुछ दिलचस्प पहलुओं पर बातचीत की है, मैं यहाँ उस बातचीत के अंश शेयर कर रही हूँ। 

खुद का पानी बोतल साथ होता है 

पंकज त्रिपाठी फिल्म शेरदिल के माध्यम से, प्रकृति का ख्याल रखने की भी बात कर रहे हैं, वह खुद निजी जिंदगी में काफी छोटे-छोटे प्रयास करते रहते हैं। 

वह कहते हैं 

मेरी कोशिश होती है कि मैं अपनी तरफ से जो छोटी-सी भी चीज कर सकता हूँ, करता हूँ। जैसे,  मैं अपने घर से अपना पानी लेकर चलता हूं। दो से तीन लीटर,ताकि प्लास्टिक के बोतल का इस्तेमाल करने की जरूरत न पड़े।  शूटिंग में मेरी यही कोशिश होती है कि मैं पानी न बर्बाद करूँ।  मैंने इलेक्टिक की कार ली है। साथ ही मैं जहाँ रहता हूँ, हर तरफ हरियाली ही हरियाली है। मेरी कोशिश यही होती है कि किसी भी चीज का इस्तेमाल करूँ, तो प्रकृति को इससे कोई नुकसान न पहुंचाऊं।

हमेशा से प्रकृति प्रेमी नहीं था, अब जाकर आँख खुली है 

पंकज का मानना है कि आपको जो चीजें आसानी से मिलती है, उस वक़्त आपको उसकी कीमत नहीं समझ आती है। 

वह कहते हैं 

मैं जब गांव में था, वहां इतनी हरियाली थी, हम सबकुछ ताजा-ताजा खाया करते थे। उस वक़्त इन चीजों को अहमियत नहीं देते थे। अब जबकि मैं शहर में हूँ, तो समझ आता है कि गांव में तो जन्नत थी। ऐसे में अब यह समझ पाता हूँ कि पेड़ों को लगाना जरूरी क्यों है।

आईफा अवार्डस में जो प्यार मिला, अद्भुत था 

पंकज जो हाल ही में हुए आईफा अवार्ड्स समारोह में जो प्यार मिला, वह उसे लेकर बेहद खुश हैं। 

वह अपने अनुभव के बारे में बताते हैं मेरी बेटी ने मुझे कहा कि आप इतने पॉपुलर हैं, इसका अनुमान यहाँ आकर हो रहा है। यह दर्शकों का मुझ पर कर्ज है कि वो मुझे इतना अनकंडीशनल प्यार करते हैं। स्टेज पर पहुंचने के बाद दो मिनट तक तो मैं कुछ बोल ही नहीं पाया लगा कि सबके पैर छू लूं क्या। मैं इस मोमेंट को कभी भी भूल नहीं पाऊंगा।

दुःख है कि नए निर्देशकों को समय नहीं दे पा रहा हूँ 

पंकज कहते हैं 

इन दिनों व्यस्तता बढ़ गई है, ऐसे में मुझे अफ़सोस होता है कि कई होनहार लोगों और युवाओं को समय नहीं दे पा रहा हूँ। मेरे कई करीबी लोगों का कहना है कि मैं नवोदित निर्देशकों को समय नहीं दे पा रहा हूं,लेकिन पूरे 365 दिन खुद को व्यस्त रखना भी मुश्किल है। लेकिन मैंने भी तय किया है, एक समय में एक ही फिल्म करूँगा। 

पता है कि एक दिन सब खत्म हो जाना है 

पंकज कहते हैं कि उन्हें पता है कि ये स्टारडम एक दिन खत्म होना ही है 

वह कहते हैं 

सच कहूँ तो मैं किसी भी गलतफहमी में नहीं हूँ। मैं आध्यात्मिक इंसान हूं  और इस बात को जनता हूँ।  कुछ साल पहले कोई सेल्फी नहीं लेता था। कुछ साल बाद भी कोई नहीं लेगा।   तो मैं जितना सेल्फलेस रह सकता हूं,रहना चाहता हूं। 

और ऐसे बनी शेरदिल 

पंकज बताते हैं कि शेरदिल उनके दिल के करीब क्यों है और फिल्म के बनने का संयोग कैसे हुआ 

वह बताते हैं 

मुझे इस कहानी को फिल्म के निर्देशक श्रीजीत मुखर्जी ने तीन साल पहले सुनाया था। उन्होंने बताया कि  पीलीभीत के जंगलों में सरकार से मुआवाज़ा पाने के लोग अपने घर के बुजुर्गों को जंगल में छोड़ आते थे। जंगली जानवरों से उनका शिकार बन जाने के बाद वे मुआवाज़ा मांगते थे। मेरे लिए यह एकदम अद्भुत आइडिया था, जिसमें मैंने डिटेल में इसे सुना और फिर मुझे लगा कि इस पर कहानी बननी चाहिए। और फिर काम शुरू हुआ, इस फिल्म की शूटिंग हमने नॉर्थ बंगाल के जंगलों में इस फ़िल्म की शूटिंग की है। इस फिल्म की शूटिंग किसी के लिए भी आसान नहीं था। लंच ब्रेक में तीन चार किलोमीटर चलकर बाहर आते थे, लंच करके,फिर जंगल में शूटिंग के लिए चले जाते थे,उसके बाद शाम को पैकअप के बाद ही वापस आते थे। लेकिन मेरे लिए हमेशा यादगार लम्हा रहेगा। 

वाकई, पंकज ऐसे अभिनेता हैं, जिनसे बातचीत करने के बाद, मुझे तो हर बार ही कुछ न कुछ नया सीखने का मौका मिलता है और मैं यही उम्मीद करती हूँ कि वह अपनी इस फिल्म से भी किसी न किसी रूप में इंस्पायर ही करेंगे। उनकी फिल्म शेरदिल 24 जून 2022 को रिलीज होने जा रही है।