मैं सच कहूँ, तो हिंदी सिनेमा में रिश्तों की कॉम्प्लेक्ससिटी को लेकर कम फिल्में बनती रही हैं, ऐसे में मुझे एक बेहतरीन फिल्म याद आती है तो वह है दिल धड़कने दो, जिसमें हर रिश्ते उलझे रहते हैं। ऐसे में राज मेहता की एक कहानी लेकर आये हैं फिल्म जुग जुग जियो लेकर, जिसमें एक परिवार में पिता-बेटे, सास-बहू, पति-पत्नी के बीच के रिश्ते की नब्ज को पकड़ने की कोशिश होती दिखी है। शादी के बाद क्या सबकुछ ठीक हो जाता है या शादी में सिर्फ समझौते जरूरी है, प्यार नहीं। इसके बीच दो जेनरेशन की कहानियों के तार जोड़ कर दर्शाये गए हैं। ऐसे में अनिल कपूर, नीतू कपूर, मनीष पॉल, कियारा आडवाणी और वरुण धवन की फिल्म किस हद तक आपको बांधे रखती है, मैं यहाँ विस्तार से बता रही हूँ। 

क्या है कहानी 

कहानी भीम ( अनिल कपूर), गीता ( नीतू कपूर), नैना ( कियारा आडवाणी), कूकू ( वरुण धवन) की है। नैना एक पढ़ी लिखी और काबिल लड़की है, जो अपने करियर की ऊंचाइयों को छू रही है। कूकू जिंदगी में कामयाब नहीं हो सका है। ऐसे में वह नैना की कामयाबी में उसका साथ नहीं दे पा रहा, वह खुद को नीचा देखता है, महसूस करता है। दोनों तय करते हैं कि हमें अलग हो जाना चाहिए। दोनों विदेश में हैं। ऐसे में कूकी की बहन गिन्नी( प्राजक्ता कोली) की शादी है, दोनों भारत आते हैं। कूकू बहन की शादी के बाद, अपने तलाक के बारे में गीता और भीम को बताना चाहता है कि तभी भीम, अपने बारे में बेटे को बता देता है कि वह उसकी मम्मी को तलाक देगा। इस बीच पूरे परिवार को इस बात को लेकर आश्चर्य है कि अच्छी दिखने वाली शादी में कहाँ से तलाक की बात आयी। अब कहानी में इसके बाद क्या ट्विस्ट आते हैं और यह परिवार एक रह पाता है या नहीं, यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी, क्योंकि मैं इस इमोशनल कहानी का पूरा मजा यही किरकिरा नहीं करना चाहूंगी।

बातें जो मुझे पसंद आयीं 

मुझे यह फिल्म कई लिहाज से अच्छी लगी है। मुझे सबसे पहले तो निर्देशक का यह टेक लेना पसंद आया है कि उन्होंने सास-बहू के रिश्ते को स्टिरियो टाइप होने से बचाया है। फिल्म में मेरा लाड़ला बेटा ही सबकुछ है और सही वाले फंडे पर न चल कर, कहानी को एक यूनिकनेस दी है। नीतू कपूर और कियारा के बीच कई इमोशनल दृश्य मेरे तो जेहन में लम्बे समय तक रहेंगे। इसके अलावा, फैमिली कहानी के रूप में इस कहानी में फ्रेशनेस यही है कि निर्देशक की कोशिश किसी को भगवान या संस्कारी बनाने की नहीं है। मुझे यह भी ख़ुशी है कि फिल्म महिलाओं के लिए एक स्टैंड लेती है, वरना मेरा पति परमेश्वर वाले ढर्रे पर चलती तो फिल्म निश्चित तौर पर कुछ नयापन नहीं ला पाती। फिल्म का ह्यूमर जो मनीष पॉल लेकर आते हैं, वह कहानी को एंटरटेनिंग बनाता है। फिल्म में हैप्पी एंडिंग और हैप्पी फैमिली के चक्कर में निर्देशक नहीं फंसे हैं। इस फिल्म की खासियत मुझे यही लगती है कि यह रिश्तों को जोड़ने की बात भी करती है और खुद के लिए स्टैंड लेने की बात करती है, कुछ तो लोग कहेंगे के आधार पर शादी को ढोने वाला ढोंग नहीं करती है यह फिल्म। निर्देशक ने यहाँ ख़ुशी की बात दी है कि फिर चाहे वह कोई भी हो, माँ-बाप को भी खुश होने का अधिकार है, उनकी भी अपनी जरूरतें हैं, उनकी भी मानसिक स्थिति है। साथ ही यह भी निर्देशक बताते चलते हैं कि हर आइडल शादी दिखने वाली शादी हमेशा आइडल नहीं होती है, तो दो जेनरेशन को लेकर निर्देशक ने पारिवारिक रिश्ते की नब्ज को बखूबी पकड़ा है। फिल्म का गीत संगीत, कलरफुल कैनवास अच्छा है। 

 बातें जो और बेहतर होने की गुंजाईश थीं 

मुझे ऐसा लगता है कि जब भी ऐसे रिश्तों पर बात होती है या कहानी दिखाई जाती है तो ह्यूमर में ही सही, पत्नियों पर हद से ज्यादा जोक्स बनने लगते हैं। उससे बचा जा सकता था। जबकि इसके उलट दो औरतों में बातें करते समय, कभी भी इतने जोक्स संदर्भ नहीं बनते हैं, आम जिंदगी में भी यही बात लागू होती है, तो निर्देशक इससे बचते तो और बेहतर होता, क्योंकि कई बार ह्यूमर में आप किसी का ज्यादा भी मजाक बना जाते हैं। फिल्म की अवधि थोड़ी कम होने की गुंजाईश लगी मुझे। 

अभिनय 

सबसे पहले तो मैं बात करूँ, तो  झकास कपूर अनिल कपूर ने अपना बेस्ट देने में कोई कमी नहीं की है। वैसे भी वह जिस फिल्म में होते हैं, चार चाँद लगा ही देते हैं, उन्होंने काफी फ्रेशनेस के साथ इस किरदार को निभाया है। उनकी चतुराई वाला अंदाज दर्शकों को कहानी में काफी रोचक नजर आएगा। वहीं नीतू कपूर ने एक अच्छी वापसी की है। कुछ दृश्यों में थोड़ी कॉन्सस दिखी हैं, लेकिन उनका ग्रेसफुल अंदाज बेहद रोचक है। मुझे तो उनके इमोशनल दृश्य काफी खास लगे। खासतौर से उनका और कियारा आडवाणी का एक दृश्य है, वह इस फिल्म का हाई पॉइंट लगा मुझे। वरुण धवन ने अच्छी वापसी की है। उन्होंने रिश्तों के उलझन के बीच, एक पति, एक भाई और एक बेटे के किरदार को अच्छा निभाया है। लेकिन मेरे लिए इस फिल्म में अगर कोई शो स्टॉपर हैं, तो वह हैं कियारा आडवाणी। अपने आठ सालों के सफर में, कियारा हर फिल्म से ग्रो कर रही हैं। इस फिल्म में उन्होंने इमोशनल किरदार को बखूबी निभाया है, खासतौर से उन्हें रोता देख कर, मैं तो इमोशनल हुए बगैर नहीं रह पायी। वह आने वाले समय में मेरे लिए बेस्ट अभिनेत्रियों में से एक बन चुकी हैं। मनीष पॉल ने पूरी तरह से कहानी में एंटरटेन किया है, वह जिन दृश्यों में भी आये हैं, दर्शकों को खूब मनोरंजन देंगे, ये मेरी गारंटी है, उनके लिए एक अच्छा मौका है यह फिल्म। प्राजक्ता ने कम दृश्यों में भी अच्छा काम किया है। 

कुल मिला कर, यह फिल्म एक फैमिली एंटरटेनर फिल्म है, जिसे पूरे परिवार के साथ एन्जॉय किया जा सकता है, ऐसा मेरा मानना है। 

फिल्म : जुग जुग जियो 

कलाकार : अनिल कपूर, कियारा आडवाणी, वरुण धवन, नीतू कपूर, मनीष पॉल, प्राजक्ता कोली 

निर्देशक : राजा मेहता 

मेरी रेटिंग 5 में से तीन स्टार