किसी शख्सियत पर एक ऑथेंटिक बायोपिक, बिना महिमामंडन किये हुए कैसे बना सकते हैं, मैं तो यह हुनर आर माधवन से सीखना चाहूंगी, जिन्होंने अपनी पहली ही निर्देशित फिल्म रॉकेट्री -द नंबी इफेक्ट, जो निर्देशन के लिहाज से इफेक्ट छोड़ा है, इस फिल्म को देखने के बाद, मैं इमोशनल भी हूँ और गुस्से में भी हूँ और शर्मिंदा भी हूँ। गुस्सा और शर्मिंदा इसलिए कि हमारे देश में ऐसे कई लोग हैं, जो अपनी देशभक्ति को साबित करने के लिए नारे नहीं लगाते हैं, शोर नहीं मचाते हैं, बल्कि बस काम करते जाते हैं। महान साइंटिस्ट नंबी नारायणन ने भी तो वही किया था, लेकिन उन्हें बदले में देश द्रोह का झूठा इल्जाम और बेइज्जती मिली और यह सब किसने किया, हमने ही। आर माधवन की इस बात के लिए सराहना होनी चाहिए कि फिल्म बना कर, उन्होंने नम्बी नारायणन के योगदान से हमें अवगत तो कराया ही, साथ ही इसके माध्यम से कुछ हद तक, उस शख्सियत जो बहुत कुछ डिज़र्व करते थे, लेकिन उन्हें मिला तो सिर्फ दुःख, उनके लिए यह पूरे भारत की तरफ से एक माफीनामा है। शाह रुख खान ने फिल्म से जुड़ कर और जिस तरह से इमोशनल होकर, इस फिल्म को सपोर्ट किया है, मैं उनकी भी सराहना करना चाहूंगी। फिल्म हर भारतीय को क्यों देखनी चाहिए, मैं आगे विस्तार से बता रही हूँ। 

क्या है कहानी 

नम्बी नारायणन ( आर माधवन)  एक जीनियस साइंटिस्ट हैं, वह शुरू से ही फैक्ट्स के साथ चलते हैं, लेकिन अपने अनुभव के आधार पर, उन्होंने कभी किताबी ज्ञान पर ध्यान नहीं दिया। अगर कभी किताब में भी कमियां हैं, तो वह राइटर को उनकी गलती गिनाने में पीछे नहीं रहते हैं। वह ISRO में काम करते हैं और भारत को विज्ञान के आधार पर विश्व में पहचान दिलाने में जुटे हुए हैं। वह नासा जैसी विश्व की सबसे बड़े विज्ञान संस्थान की भी नौकरी ठुकराने में नहीं हिचकते हैं, क्योंकि उन्हें अपने देश से प्यार है, वह एक अलग मिशन पर निकलते हैं, इसमें उन्हें विक्रम साराभाई, जिन्हें वह अपने पिता समान मानते हैं, उनका पूरा सहयोग मिलता है, अब्दुल कलाम का साथ मिलता है। नम्बी नारायणन ने न सिर्फ विश्व की बड़े संस्थानों से ज्ञान लिया, बल्कि बड़े साइंटिस्ट के साथ अपने थीसिस भी पूरा किया। नम्बी एक विजनरी रहे हैं और ऐसे में उनकी बस यही चाहत थी कि वह अपने देश भारत के लिए कुछ करें, लेकिन एक बेबुनियादी इल्जाम ने उन्हें देश द्रोह बना दिया कि उन्होंने एक मालदीव की महिला के साथ नाजायज संबंध बना कर, उन्हें भारत के रॉकेट के सीक्रेट्स, पाकिस्तान को बेच दिए हैं। आर माधवन ने फिल्म को दो भागों में बांटा है, एक में नम्बी नारायणन के साइंटिस्ट बनने के बाद, किस तरह से रशिया से उपकरण लाने में उन्होंने एड़ी-चोटी एक कर दी थी, उसका ब्योरा है, दूसरे हिस्से में नम्बी नारायणन की जिंदगी का खौफनाक झूठ, जिसने उनकी जिंदगी बर्बाद कर दी, उनके परिवार की जिंदगी बर्बाद कर दी, उन पर देश द्रोह का लम्बा केस चला। माधवन ने तर्क के साथ, एक ऐसे निडर इंसान की कहानी कही है, जो अपने सच से पीछे नहीं हटा, उन्होंने लड़ाई लड़ी, लेकिन ऐसे में उन्होंने क्या-क्या खोया, उसे एक इमोशनल जर्नी के माध्यम से दर्शकों तक पहुंचाने की कोशिश की है, ऐसे में मैं तो कहानी से पूरी तरह से कनेक्ट कर गई। 

बातें, जो मुझे पसंद आयीं 

मैंने इस फिल्म में एक इमोशनल कनेक्ट तो महसूस किया ही, साथ ही मुझे ख़ुशी है कि माधवन ने इसे हद से ज्यादा ड्रामेटिक नहीं बनाया है। उनका ध्यान कहानी से नहीं भटका नहीं है। वह अपने किरदारों को मैलोड्रामैटिक नहीं बनाते हैं। बेवजह की भाषणबाजी नहीं है। शाह रुख खान एक शो के होस्ट हैं और फिर वह नम्बी से पूरी बातचीत करते हैं, यह डॉक्यू फीचर अंदाज में दर्शकों तक पहुंचाते हैं, यह अंदाज भी मुझे एकदम प्रासंगिक नजर आया। किसी शख्स की तारीफ़ करने में निर्देशक ने, उसके नेगेटिव पहलुओं को भी दर्शाने की कोशिश की है, यह बात कहानी को और खास बनाती है।

बातें जो और बेहतर हो सकती थीं 

मुझे ऐसा लगता है कि फिल्म के पहले हिस्से में कहानी में बहुत कट टू कट दिखाया है, तो जो साइंस से सम्बन्ध नहीं रखते हैं, उन्हें कई बार फिल्म में कन्फ्यूजन भी होगा। 

अभिनय 

मैंने हाल ही में जब माधवन से पूछा था कि क्या यह फिल्म आपके लिए मुगल ए आजम है, उन्होंने कहा था कि हाँ, शायद, यह फिल्म देखने के बाद, मैं यह बात समझ पाई हूँ कि माधवन ने इस फिल्म में कितना एफर्ट लगाया है और इसे अपना बेस्ट देने में कोई कसर एक एक्टर के रूप में या निर्देशक के रूप में नहीं छोड़ा है। इसलिए, मेरे लिए यह माधवन की यादगार फिल्मों में से एक बन जाती है। उन्होंने लहजे से लेकर, परफेक्शन देने में कोई भी कसर  नहीं छोड़ी है। 

सच कहूँ, तो ऐसी फिल्मों का बनना और आर माधवन जैसे मेगा स्टार को इसे सामने लाना बेहद जरूरी है, ताकि ऐसी शख्सियत की कहानियां सामने आ सकें और उन्हें कम से कम कुछ हद तक दर्शक देख और समझ पाएं। फिल्म 1 जुलाई 2022 को रिलीज हो रही है, एक सच्चे देशभक्त के लिए यह फिल्म समर्पित है। 

फिल्म : रॉकेट्री -द नंबी इफेक्ट 

कलाकार ; आर माधवन, सिमरन, शाह रुख खान 

निर्देशक और लेखक  : आर माधवन 

मेरी रेटिंग 5 में से 3. 5  स्टार्स