जबसे अल्लू अर्जुन की फिल्म पुष्पा ने पैन इंडिया में सफलता हासिल की है। यह मान लिया गया है कि साउथ इंडिया की फिल्मों का हिंदी में रिलीज होना, सफलता की गारंटी है। लेकिन खुद प्रभास से जब हाल ही में मेरी मुलाकात हुई थी, प्रभास ने स्पष्ट रूप से कहा कि अभी केवल तीन फिल्मों बाहुबली, केजीएफ और पुष्पा की सफलता पर यह कहना जल्दबाजी होगी और हम सभी को साउथ नॉर्थ देख कर, सिनेमा को नहीं समझना चाहिए, बल्कि सिनेमा एक है, उसे इंडियन सिनेमा की तरह देखना चाहिए। ऐसे में इसी सवाल के जवाब में खिलाड़ी कुमार अक्षय कुमार ने भी मुझसे एक अहम बात शेयर की, अक्षय भी इस बारे में यही सोच रखते हैं कि हर किसी की फिल्म चलनी चाहिए। साउथ सिनेमा इंडस्ट्री के संदर्भ में और अपनी आने वाली फिल्म बच्चन पांडे के बारे में अक्षय कुमार ने कई दिलचस्प बातें शेयर की हैं, जिसे मैं यहाँ शेयर करने जा रही हूँ।

साउथ-नॉर्थ की तरह ही नहीं सिनेमा की तरह देखें

साउथ इंडियन फिल्मों के बढ़ते क्रेज के बारे में और क्या बॉलीवुड के लिए यह कॉम्पटीशन है, इस बारे में  अक्षय कुमार ने कहा कि वह इसे किसी भी रूप में कॉम्पटीशन नहीं मानते हैं, बल्कि इसे कोलेब्रेशन के रूप में ही देखते हैं।

अक्षय ने इस पर कहा

इस बात को लेकर पैनिक होने की जरूरत नहीं, किसी को अच्छा या बुरा मत कहिये, हम सब एक ही हैं और मैं इसको कॉम्पटीशन जैसा नहीं कोलेबरेशन जैसा मानता हूँ, मेरा मानना है कि अभी हर किसी की फिल्में चलनी जरूरी हैं, अच्छा काम होना जरूरी है। और यह कोलेब्रेशन सिर्फ साउथ या बॉलीवुड तक क्यों सीमित रहे, जरूरी है कि यह हॉलीवुड तक पहुंचे, अच्छे एक्टर्स हॉलीवुड जाएँ। इसमें कोई बुराई नहीं है, सिनेमा का विस्तार होते रहना चाहिए। मेरा मानना है कि हमें इसमें तैश में आने की जरूरत नहीं है कि तुलना हो रही है, हम डोसा भी खाते हैं, इडली भी खाते हैं और मंचूरियन भी खाते हैं। अच्छी फिल्में हो तो, भाषा बैरियर बननी भी नहीं चाहिए।

साउथ में भी बनती हैं यहाँ की रीमेक

मैंने जब अक्षय से जानना चाहा कि उन्होंने कई साउथ फिल्मों के हिंदी रीमेक में काम किया है, साउथ फिल्मों से लगाव की क्या उनकी कोई खास वजह है,

इस पर अक्षय कुमार ने कहा

ऐसा नहीं है कि मैं साउथ का देखता हूँ तो करता हूँ, मुझे जो भी फिल्म अच्छी लग जाती है, कहानी आकर्षित कर जाती है तो मैं कर लेता हूँ। मुझे बस एक लाइन में  कहानी सुनने की आदत है, मुझे एक लाइन में अगर आकर्षित कर गई, मैं उस फिल्म को हाँ कह देता हूँ। फिर मैं नॉर्थ साउथ नहीं देखता।ऐसा नहीं है कि मैं साउथ का देखता हूँ तो करता हूँ, मुझे जो भी फिल्म अच्छी लग जाती है, कहानी आकर्षित कर जाती है तो मैं कर लेता हूँ। मुझे बस एक लाइन में  कहानी सुनने की आदत है, मुझे एक लाइन में अगर आकर्षित कर गई, मैं उस फिल्म को हाँ कह देता हूँ। फिर मैं नॉर्थ साउथ नहीं देखता। जैसे करण जौहर मेरे पास एक फिल्म लेकर आये थे , उसने मुझे ढाई घंटे का नैरेशन दिया। मैंने सुना, फिर मैंने पूछा और क्या बना रहे हो, उन्होंने कहा छोटी फिल्म है गुड न्यूज, उसने एक लाइन में कहानी सुनायी, मैंने कहा कि वह ढाई घंटे वाली जो तुमने कहानी सुनाई है, मैं वह नहीं कर रहा है, मैं ये वाली करूँगा। इस तरह गुड न्यूज बनी।

मेरे प्रोडक्शन की फिल्में वहां रीमेक हो रही हैं

अक्षय कुमार की फिल्म बच्चन पांडे भी तमिल फिल्म जिगरठंडा का हिंदी रीमेक है, ऐसे में जब मैंने अक्षय कुमार से जानना चाहा कि वह कई साउथ की हिंदी रीमेक बनाते रहते हैं, इसकी कोई खास वजह है,

इस पर अक्षय कुमार ने कहा

नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है कि मैं सिर्फ वहीं कि रीमेक फिल्में करता रहता हूँ। मुझे कुछ फिल्में जो अच्छी लगती हैं, वहीं करता हूँ। ऐसा नहीं है, मेरी कितनी प्रोडक्शन की फिल्में हैं, जो वहां बनती रही हैं, वहां के लोग भी रीमेक करते हैं, अच्छा है हम सभी मिल बाँट कर काम करें।  

यहाँ देखें बच्चन पांडे का ऑफिशियल ट्रेलर

अक्षय कुमार ने यह भी कहा कि कॉमेडी फिल्मों का बनते रहना जरूरी है और वह आगे भी ऐसी बच्चन पांडे जैसी कॉमेडी फिल्मों में काम करते रहना पसंद करेंगे।

वैसे, वाकई में मैं भी अक्षय और प्रभास दोनों की यह साउथ और नॉर्थ की फिल्मों को लेकर होने वाले बहस पर उनके विचार को मानती हूँ, क्योंकि यह सच है कि अभी पूरे विश्व में कई बड़े सिनेमा का विस्तार हो चुका है, ऐसे में हम सभी को एक इंडियन सिनेमा के रूप में सोचना चाहिए, न कि बॉलीवुड और साउथ के कम्पैरिजन की तरह। यह अच्छा है कि अक्षय कुमार और प्रभास जैसे सुपरस्टार्स अपनी बात रख रहे हैं, जिससे उनके फैंस में इस तरह की अलगाव वाली बातें न हों।