बिग बुल के अभिषेक बच्चन को जब मैं फिल्म लूडो में देखती हूँ, तो मुझे कोई भी समानता नजर नहीं आती है, फिर बॉब विस्वास में देख कर, ऐसा लगता है कि किसी नए अभिषेक को देख रही हूँ। अब जब उनकी नयी फिल्म दसवीं का ट्रेलर सामने आया है, तो अभिषेक एक अलग टशन दिखाते हैं, तो उनके किरदार पर प्यार ही आता है। दरअसल, पिछले दो सालों में अभिषेक बच्चन ने अपने किरदारों के साथ लगातार एक्सपेरिमेंट किये हैं, हालाँकि वह इसे एक्सपेरिमेंट नहीं, अच्छी कहानियों का नतीजा मानते हैं। अभिषेक अपनी नयी फिल्म दसवीं को लेकर खुश हैं और कहते हैं कि यकीनन, उन्हें दो सालों में उनके करियर के बेस्ट काम करने को मिले हैं, ऐसे में अभिषेक ने मुझसे अपनी नयी फिल्म दसवीं के बारे में, ऐश्वर्य राय बच्चन से उन्हें कोविड लॉक डाउन में क्या बातें कही और अपनी जिंदगी से कुछ कुछ अनछुए पहलुओं पर बातचीत की है, मैं यहाँ उस बातचीत के अंश पेश कर रही हूँ।

ऐश्वर्य ने कहा बेस्ट टाइम है परिवार के साथ वक़्त बिताओ

अभिषेक कहते हैं कि कोविड का दो साल, लम्बा चला, ऐसे में कई बार वह परेशान हो जाते थे, उस वक़्त ऐश्वर्य राय बच्चन ने उन्हें एक खास बात कही

वह कहते हैं

मैं यह सोच कर शुरू में दुखी-दुखी रहता था कि घर में रहना हो रहा है, कैसे होगा। तब ऐश्वर्य ने मुझे ऐसी बात कही कि मेरा पूरा प्रोस्पेक्टिव ही बदल गया कि अभिषेक, पिछली बार तुम्हें अपने परिवार के साथ वक़्त बिताने का इतना समय कब मिला था, सो इस बात से खुश रहो।
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वह आगे कहते हैं

हमारे पूरे परिवार को कोविड हुआ, हमने उससे डील किया, मैं लेकिन खुद को खुशनसीब मानता हूँ कि मेरे पास लगातार इन पिछले दो सालों में काफी काम रहा, बिग बुल, लूडो, ब्रीद और दसवीं जैसी फिल्म आयी और मैंने इसे पूरा किया। इसके साथ ही मैं अभी भी काफी व्यस्त हूँ, मेरे पास घूमर और एसएसएस 7 जैसी फिल्म है।

गंगाराम चौधरी जैसे किरदार चैलेंजिंग तो होते हैं

अभिषेक रियल लाइफ में भी काफी हंसमुख हैं, ऐसे में जब उन्हें दसवीं में गंगाराम का किरदार निभाने का मौका  मिला,तो क्या उनको इस बात का डर था कि कहीं वह किरदार में अधिक कॉमेडी न कर दें,

इस बारे में अभिषेक कहते हैं

आप हमेशा एक रिस्क के साथ तो चलते हैं, जब आप गंगाराम जैसा किरदार निभा रहे होते हैं तो, जो कि लार्जर देन लाइफ किरदार है। वह काफी लाउड भी है, इसलिए मैं क्रेडिट देना चाहूंगा फिल्म के निर्देशक तुषार को, उसने मेरे किरदार को एकदम सटल बनाया है और उसे ओवर द टॉप होने नहीं दिया है, क्योंकि एक डायरेक्टर का काम होता है कि वह एक्टर पर लगाम रखे, उसे पेस को इधर उधर न होने दें, वरना एक एक्टर घोड़े की तरह भागता ही रहेगा। मेरे लिए वह काम तुषार ने किया है।

एजुकेशन होना जरूरी है जिंदगी में

अभिषेक कहते हैं कि यह बिल्कुल सच है कि एजुकेशन जरूरी है। लेकिन इसके आधार पर आप एक एक्टर को बेहतर हैं या नहीं, नहीं आंक सकते हैं।

उन्होंने इस तरह एक उदाहरण से इस बात को समझाया

हाल ही में मेरे से किसी ने पूछा कि एक पॉलिटिशियन का दसवीं पास होना कितना जरूरी है, तो मैं इस बारे में कहना चाहूंगा, मैं कोई पॉलिसी मेकर नहीं हूँ, मुझे शायद उतनी समझ भी नहीं है, जानकारी भी नहीं है, लेकिन बात जब नेता बनने की आती है तो कैसे कहा जा सकता है कि जिसने 50 साल का अनुभव हासिल कर रखा है और वह पढ़ा लिखा नहीं है, उससे बेहतर एक पढ़ा लिखा नेता होगा। अनुभव काफी महत्व रखता है न, क्या पर्सेंटेज या ग्रेड आपको अधिक क्वालिफाइड बना देते हैं। मेरा मानना है कि एजुकेटेड होना जरूरी है।

एक्सपेरिमेंटल फिल्में नहीं, अच्छी कहानियां कर रहा हूँ

अभिषेक इस बात को साफ़ नकारते हैं कि उन्हें इन दिनों एक्सपेरिमेंटल फिल्में करने को मिल रही हैं, बल्कि वह इस पर अलग ही नजरिया रखते हैं

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वह कहते हैं

मुझे एक्सपेरिमेंटल वर्ड कहने से परेशानी है, मुझे यह वर्ड सही नहीं लगता है। मुझे यह बहुत इंटेलेक्चुअल वर्ड लगता है। मैं अपनी फिल्मों को कोई एक्सपेरिमेंटल नहीं मानता हूँ, बल्कि मैं कहता हूँ कि मैं अच्छी कहानियों का हिस्सा बना हूँ और अच्छी कहानियां कहना चाहता हूँ, बस। मैं ऐसी कहानियां खुद भी देखना एन्जॉय करता हूँ और उन पर काम करना भी एन्जॉय करता हूँ। मैं हमेशा से जैसी कहानियां करना चाहता था, अब कर रहा हूँ।

स्पोर्ट्स में अधिक था सक्रिय

Source : Instagram I @bachchan

अभिषेक दसवीं में एक ऐसे नेता के किरदार में हैं, जो दसवीं की परीक्षा जेल से पास करते हैं। ऐसे में अभिषेक ने अपने बारे में बताया कि वह किस तरह के स्टूडेंट रहे हैं।

वह कहते हैं

मैं हमेशा से स्पोर्ट्स में काफी सक्रिय रहा हूँ। मैं हमेशा से ड्रामा और स्पोर्ट्स में ज्यादा रहता था। मैं कभी बेस्ट स्टूडेंट नहीं रहा, लेकिन कभी सबसे बुरा स्टूडेंट भी नहीं रहा। मैं एक एवरेज स्टूडेंट रहा हूँ, लेकिन मुझे कुछ भी नया सीखना अच्छा लगता था और आज भी लगता है, मैं आज भी रीडिंग करता हूँ, जो मुझे पापा से मिली है। मैं खुद को नयी चीजों के लिए एजुकेट करना पसंद करता हूँ।

कभी भी नहीं जाना है पॉलिटिक्स में

अभिषेक बच्चन यह साफ़ कहते हैं कि भले ही वह ऑफस्क्रीन एक नेता का किरदार निभा रहे हों, वह कभी भी रियल लाइफ में पॉलिटिक्स की दुनिया में नहीं जाना चाहते हैं। वह साफ कहते हैं कि वह पॉलिटिक्स एन्जॉय  नहीं करते हैं। न ही उन्हें पॉलिटिक्स समझ में आती है।

माँ की होनेस्टी ही उनकी खासियत है, पापा है एक्सप्रेसिव

अभिषेक अपनी माँ जया बच्चन के बारे में कहते हैं कि माँ की ईमानदारी ही उनकी खासियत है

वह कहते हैं

मुझे लगता है कि माँ ने यह बात साबित कर दिया है कि हाँ, कोई इंसान ईमानदार रह सकता है और इसलिए मुझे उनका बिंदास होकर सच कहना अच्छा लगता है। हाँ, वह मेरी माँ हैं, लेकिन शायद मैं उनकी तरह इतना ऑनेस्ट होकर बात नहीं कर पाता हूँ। लेकिन मेरी माँ ही मेरी पहली टीचर रही हैं और उन्होंने मुझे हमेशा एक अच्छे इंसान बनने की सलाह दी है। लेकिन जब बात मेरी आती है, तो वह माँ का दिल ले आती हैं, ऐसे में उन्हें जब मेरी कोई फिल्म पसंद नहीं आती है तो वह इसे या तो देखती नहीं है या फिर मुझसे कुछ समय के लिए मिलती नहीं है।

वहीं पापा अमिताभ के बारे में अभिषेक कहते हैं

पापा मेरे सबसे बड़े क्रिटिक हैं, वह मुझे अपनी सही राय देते हैं और मुझे भी जब कोई सही राय की जरूरत होती है, तो मैं उनके पास ही जाता हूँ।

कॉमिक एक्टर्स को नहीं मिलता है सम्मान

हाल ही में अक्षय कुमार ने भी कहा कि कॉमेडी को अबतक स्टार्स वैल्यू नहीं मिली है, अवार्ड्स शोज में भी बेस्ट एक्टर का अवार्ड कभी कॉमेडी को नहीं मिलता है। अभिषेक भी अक्षय की इस बात से सहमति जताते हैं।

वह कहते हैं

कॉमेडी को अब भी वह सम्मान नहीं है, जो बाकी जॉनर को है, जबकि कॉमेडी सबसे टफ जॉनर है, यह करना आसान नहीं होता है। वैसे मुझे खुद किसी एक्टर को कॉमेडी जॉनर में बांधना अच्छा नहीं लगता है या उन्हें कॉमेडियन कहना पसंद नहीं है, एक्टर तो एक्टर होता है।


वाकई, अभिषेक की यह बात मुझे खास लगती है कि वह बेबाकी से अपनी सारी बातें रखते हैं और हर चीज को लेकर उनका एक अलग प्रोस्पेक्टिव है, जो मुझे बेहद अच्छा लगता है, उन्होंने धीरे-धीरे ही सही खुद को खूब निखारा है और मुझे पूरी उम्मीद है कि दसवीं  से उनका किरदार और निखर कर सामने आएगा। फिल्म जियो सिनेमा और नेटफ्लिक्स पर 7 अप्रैल को रिलीज होगी।